अजमेर सेक्स स्कैंडल1992:देश का सबसे बड़ा सेक्स स्कैंडल, 100 से अधिक हिन्दु लड़कियो को कांग्रेसी नेता और चिश्तियो ने बनाया हवश का शिकार,न्याय मिलना बाकी

अजमेर सेक्स स्कैंडल1992:देश का सबसे बड़ा सेक्स स्कैंडल, 100 से अधिक हिन्दु लड़कियो को कांग्रेसी नेता और चिश्तियो ने बनाया हवश का शिकार,न्याय मिलना बाकी


*एक के बाद दूसरी, दूसरी के बाद तीसरी. ऐसे करके एक ही स्कूल की करीब सौ से ज्यादा लड़कियों के साथ रेप हुआ*


*इस स्कैंडल के मास्टरमाइंड थे फारूक चिस्ती, नफीस चिस्ती और अनवर चिस्ती. तीनों ही यूथ कांग्रेस के लीडर थे. फारूक प्रेसिडेंट की पोस्ट पर था*


*1992 में पूरे स्कैंडल का भांडा फूटा. लड़कियों से आरोपियों की पहचान करवाने के बाद आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया*


.*केस का पहला जजमेंट आया छः साल बाद. अजमेर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने आठ लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई*


*एक और आरोपी सलीम नफीस को उन्नीस साल बाद  2012 में पकड़ा गया. वो भी बेल पर छुट कर आ गया*


*इसी बीच फारूक चिस्ती ने अपना मेंटल बैलेंस खो दिया. जिसकी वजह से उसकी ट्रायल पेंडिंग हो गई*


*चिश्तियो ने हिन्दु लड़कियो को फार्म हाउसों में बुला कर किया बलात्कार और खींची तश्वीरे*


*उस समय पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री और कॉन्ग्रेस पार्टी के अध्यक्ष थे*


फारूक चिश्तीनाम के आदमी ने पहले सोफ़िया स्कूल की एक लड़की को फंसाया. लड़की की अश्लील फोटो खींच ली. बाद में इस फोटो के जरिये ब्लैकमेल करके और लड़कियां बुलाई गईं. डर कर लड़की अपनी दोस्तों को भी फार्म हाउस ले जाने लगी. उसकी दोस्त अपनी और दोस्तों को. एक के बाद दूसरी, दूसरी के बाद तीसरी. ऐसे करके एक ही स्कूल की करीब सौ से ज्यादा लड़कियों के साथ रेप हुआ. घर वालों की नज़रों के सामने से ये लकड़ियां फार्म हाउसों पर जातीं. कहते हैं कि बाकायदा गाड़ियां लेने आती थीं. और घरों पर छोड़ कर भी जातीं. लड़कियों की रेप के वक्त फोटोज खींच ली जातीं. फिर डरा-धमका कर और लड़कियों को बुलाया जाता.

इस स्कैंडल के मास्टरमाइंड थे फारूक चिस्ती, नफीस चिस्ती और अनवर चिस्ती*. 

तीनों ही यूथ कांग्रेस के लीडर थे. फारूक प्रेसिडेंट की पोस्ट पर था. इन लोगों की पहुंच दरगाह के खादिमों (केयरटेकर्स) तक भी थी. खादिमों तक पहुंच होने के कारण रेप करने वालों के पास राजनैतिक और धार्मिक, दोनों ही पॉवर थी. रेप की शिकार लड़कियां ज्यादतर हिंदू परिवारों से थीं. अधिकारियों को लगा कि केस का खुलासा होने से इसे 'हिन्दू-मुस्लिम' नाम देकर दंगे हो सकते हैं.

*मुंह खोलने और मददगारो को मिली जान से मारने की धमकियां*


जिन लड़कियों की फोटोज खींची गई थीं, उनमें से कईयों ने सुसाइड कर लिया. एक ही साथ  6-7 लड़कियां  मर गईं. न सोसाइटी आगे आ रही थी, न उनके परिवार वाले. डिप्रेस्ड होकर इन लड़कियों ने ये कदम उठाया. एक ही स्कूल की लड़कियों का एक साथ सुसाइड करना अजीब सा था. ये बात आगे चलकर केस को एक्सपोज करने में मददगार रही.खोला. बाद में किसी  NGO

ने पड़ताल की. फोटोज और वीडियोज के जरिए तीस लड़कियों की शक्लें पहचानी गईं. इनसे जाकर बात की गई. केस फाइल करने को कहा गया.  लेकिन सोसाइटी में बदनामी के नाम से बहुत परिवारों ने मना कर दिया. बारह लड़कियां ही केस फाइल करने को तैयार हुई. बाद में धमकियां  मिलने  से दस लड़कियां भी पीछे हट गई. बाकी बची दो लड़कियों ने ही केस आगे बढ़ाया. 

*एक के बाद एक, मरती गई हवश की शिकार पीड़ित बेटिया*

जिन लड़कियों की फोटोज खींची गई थीं, उनमें से कईयों ने सुसाइड कर लिया. एक ही साथ  6-7 लड़कियां  मर गईं. न सोसाइटी आगे आ रही थी, न उनके परिवार वाले. डिप्रेस्ड होकर इन लड़कियों ने ये कदम उठाया. एक ही स्कूल की लड़कियों का एक साथ सुसाइड करना अजीब सा था. ये बात आगे चलकर केस को एक्सपोज करने में मददगार रही.

इंडिया के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल में आने वाले इस केस ने बड़ी-बड़ी कोंट्रोवर्सीज की आग को हवा दी. जो भी लड़ने के लिए आगे आता, उसे धमका कर बैठा दिया जाता.  

*आदमियों का एक गैंग अजमेर के गर्ल्स स्कूल सोफ़िया में पढ़ने वाली लड़कियों को फार्म हाउसों पर बुला-बुला कर रेप करता रहा और घरवालों  को भनक तक नहीं लगी*. 

रेप की गई लड़कियों में आईएएस, आईपीएस की बेटियां भी थीं. ये सब किया गया अश्लील फोटो खींच कर. पहले एक लड़की, फिर दूसरी और ऐसे करके सौ से ऊपर लड़कियों के साथ हुई ये हरकत. ये लड़कियां किसी गरीब या मिडिल क्लास बेबस घरों से नहीं, बल्कि अजमेर के जाने-माने घरों से आने वाली बच्चियां थीं. सोफ़िया अजमेर के जाने-माने प्राइवेट स्कूलों में से एक है.

*अजमेर सेक्स स्कैंडल पर लिखी गई किताब"डर्टी पिक्चर"*

जिसे लिखा है अनुराधा मारवाह ने. अनुराधा ने पूरे केस की स्टडी के बाद यह बुक लिखी है . किताब की थीम है  अजमेर रेप केस की स्टोरी . किताब  रियलिटी और इमेजीनेशन का  मिक्सचर  है. स्टोरी  एक अम्बिशियस लड़की की है जो कुछ पोलटिकल लोगों के चक्कर में आ जाती है. आगे कहानी  में अजमेर रेप केस की कड़ियां ऐड की गई हैं.


ये यहीं के लोग थे, खादिम थे। प्रभावशाली थे, अमीर थे और सफेदपोश थे। वो अपराधी नहीं दिखते थे, वो समाजसेवी के कलेवर में थे। कुल 8 लोगों के खिलाफ शुरुआत में मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद जाँच हुई और 18 आरोपित निकले।

*युवती को अपने जाल में फँसाओ, उससे सम्बन्ध बनाओ, उसकी नग्न व आपत्तिजनक तस्वीरें ले लो, फिर उसका प्रयोग कर के उसकी किसी दोस्त को फाँसो*

ये वही लोग थे, जिन पर सूफी फ़क़ीर कहे जाने वाले ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह की देखरेख की जिम्मेदारी थी। ये वही लोग थे, जो ख़ुद को चिश्ती का वंशज मानते हैं। उन पर हाथ डालने से पहले प्रशासन को भी सोचना पड़ता। अंदरखाने में बाबुओं को ये बातें पता होने के बावजूद इस पर पर्दा पड़ा रहा।

चेन के बारे में तो आपको पता ही होगा। एक के बाद एक को जोड़ कर चेन या श्रृंखला बनाई जाती है। मजहबी ठेकेदार के वेश में रह रहे दरिंदों ने यही तरीका अपनाया था। किसी युवती को अपने जाल में फँसाओ, उससे सम्बन्ध बनाओ, उसकी नग्न व आपत्तिजनक तस्वीरें ले लो, फिर उसका प्रयोग कर के उसकी किसी दोस्त को फाँसो, फिर उसके साथ ऐसा करो और फिर उसकी किसी दोस्त के साथ- यही उस गैंग का तरीका था।

इस रेप-कांड की शिकार अधिकतर स्कूल और कॉलेज जाने वाली लड़कियाँ थीं* 

लोग कहते हैं कि इनमें से अधिकतर ने तो आत्महत्या कर ली। जब ये केस सामने आया था, तब अजमेर कई दिनों तक बन्द रहा था। लोग सड़क पर उतर गए थे और प्रदर्शन चालू हो गए थे। जानी हुई बात है कि आरोपितों में से अधिकतर समुदाय विशेष से थे और पीड़िताओं में सामान्यतः हिन्दू ही थीं।

उस समय पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री थे और कॉन्ग्रेस पार्टी के अध्यक्ष भी वही हुआ करते थे*.....

पूरे 5 सालों तक उन्होंने सरकार और संगठन को चलाया था। फारूक चिश्ती इंडियन यूथ कॉन्ग्रेस के अजमेर यूनिट का अध्यक्ष था। नफीस चिश्ती कॉन्ग्रेस की अजमेर यूनिट का उपाध्यक्ष था। अनवर चिश्ती अजमेर में पार्टी का जॉइंट सेक्रेटरी था। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि शक्तिशाली कॉन्ग्रेस पार्टी, उसकी तुष्टिकरण की नीति और आरोपितों का समाजिक व वित्तीय प्रभाव- इन सबने मिल कर न्याय की राह में रोड़े खड़े कर दिए थे।

मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत की सरकार ने जाँच के आदेश तो दिए लेकिन तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी*.. कहा जाता है कि कॉन्ग्रेस नेता जयपाल का भी इस सेक्स स्कैंडल में हाथ था और पत्रकार मदन सिंह की हत्या भी इसी कारण हुई।

मदन सिंह इस पूरी घटना के तथ्यों का पर्दाफाश करने में लगे हुए थे। पुलिस ने इस हत्याकांड को गैंगवार का नतीजा करार दिया था। पुलिस ये मानने को तैयार ही नहीं थी कि इसका सेक्स स्कैंडल से कुछ लेना-देना हो सकता है।

*एक चीज जो आज तक कहीं नहीं दिखा, वो है- न्याय*

इस केस पर बाद में टीवी मीडिया पर शो से लेकर किताबें तक लिखी गईं लेकिन एक चीज जो आज तक कहीं नहीं दिखा, वो है- न्याय। अगर उस समय पुलिस ने इस केस में आरोपितों पर शिकंजा कसा होता तो शायद उन्हें फाँसी की सज़ा भी मिल सकती थी।


*वी डी पांडेय "सिंघम" एडीटर इन चीफ आर डी मीडिया*

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