माफिया अतीक के हर गुर्गे का था Code,डायरी में छिपा है अतीक के गुनाहों का हिसाब
माफिया अतीक अहमद के गैंग की अब तक 1169.20 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों का जब्तीतरण व ध्वस्तीकरण किया है
अतीक अहमद के घर से पुलिस को जो डायरी मिली है। इसके एक खास पेज पर कई सारे कोड वर्ड लिखे मिले हैं। इन कोड वर्ड में उमेश पाल हत्याकांड की पूरी प्लानिंग शामिल है। अतीक अहमद को BADE-006 कोड नेम मिला था तो वहीं अशरफ के लिए CHOTE-007 कोड नेम की आईडी दी गई थी। एनकाउंटर में मारे गए असद का Ansh_yadav00-कोड नेम था। इसके अलावा उमेश पाल की रेकी करने वाले आरोपी नियाज को XYZZ1122, शूटर अरमान को Bihar Tower, अतीक के तथाकथित वकील खान सौलत हनीफ को Advo010 और जेल में बंद अतीक के बेटे अली को Patel-009 कोड नेम दिया गया था। सभी आरोपी आईफोन के फेस टाइम पर इसी कोड नेम का इस्तेमाल कर एक-दूसरे से संपर्क में थे। इन्हीं कोड वर्ड का इस्तेमाल करके उमेश पाल की हत्या करवाई गई। सूत्रों के अनुसार उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक ने साबरमती जेल से आईफोन से घर पर फोन करके मुबारकबाद भी दी थी।
सूत्र बताते हैं कि जांच पड़ताल में साबरमती जेल के अंदर खुद अतीक के पास तीन आईफोन मिले थे। सभी आरोपी फेस टाइम पर कोड नेम से बनाकर बात कर रहे थे।
पुलिस ने उसके गैंग के कुल 154 सदस्यों व सहयोगियों के विरुद्ध कार्रवाई की गई। पुलिस ने गैंग के सदस्यों के 68 शस्त्र लाइसेंस निरस्त किए और 22 की हिस्ट्रीशीट खोली।पुलिस को छापेमारी के दौरान माफिया अतीक अहमद के घर और अशरफ के ससुराल से एक लाल डायरी मिली है। सूत्रों के अनुसार इस डायरी में अतीक की संपत्तियों के बारे में पूरी जानकारी है। नामी और बेनामी संपत्तियों का पूरा लेखाजोखा इस डायरी में मौजूद है। इसमें यह भी दर्ज है कि अतीक का कारोबार किस जगह किसके साथ है। रुपये कहां-कहां से आते हैं, डायरी में पांच राज्यों में फैले अतीक के आर्थिक साम्राज्य का लेखाजोखा दर्ज है।
फिया अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के बाद भी पुलिस की कार्रवाई लगातार जारी है। उमेश पाल हत्याकांड में शामिल असद समेत पांच लोगों का एनकाउंटर हो चुका है। अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन और बमबाज गुड्डू मुस्लिम फरार चल रहा है।
यूपी पुलिस ने माफिया अतीक अहमद के गैंग की अब तक 1169.20 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों का जब्तीतरण व ध्वस्तीकरण किया है।
अतीक अहमद के विरुद्ध कुल 101 मुकदमे दर्ज थे, जिसमें से 54 मुकदमे न्यायालयों में विचाराधीन थे।