22 जनवरी को मंदिर में रामलला(Ramlala) संगरमरमर तथा सोने(Gold) की प्लेट लगे 8 फीट ऊंचे सिंहासन(Throne) पर होंगे विराजमान

 22 जनवरी को मंदिर में रामलला(Ramlala) संगरमरमर तथा सोने(Gold) की प्लेट लगे 8 फीट ऊंचे सिंहासन(Throne) पर होंगे विराजमान


रामलला संगरमरमर तथा सोने की प्लेट लगे 8 फीट ऊंचे सिंहासन पर विराजमान होंगे


500 वर्षों के संघर्षों के बाद भगवान राम लला का भव्य मंदिर आकार लेकर खड़ा हो चुका है. ऐसे में बहुप्रतीक्षित मंदिर में भगवान के विराजमान होने का उत्सव भी शताब्दी में एक बार मनाया जाने वाला उत्सव के रूप में होगा.


22 जनवरी को मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। मंदिर के गर्भगृह का निर्माण पूरा हो चुका है। 

इस बीच सामने आया है कि रामलला संगरमरमर तथा सोने की प्लेट लगे 8 फीट ऊंचे सिंहासन पर विराजमान होंगे।

भगवान के प्राण प्रतिष्ठा से लेकर के भगवान के हर एक कार्यक्रम को इस तरह से संपन्न किया जाएगा. ताकि वह सदी का पहला और आखिरी कार्यक्रम हो.

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, अनिल मिश्रा ने कहा, पहली मंजिल पर 17 खंभे लगाए जा चुके हैं तथा सिर्फ दो खंभे लगने बाकी हैं। 

पहली मंजिल की छत 15 दिसंबर तक तैयार होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि परिक्रमा मार्ग की फर्श का काम भी पूरा हो चुका है तथा गृह मंडप के फर्श पर संगमरमर बिछाने का काम चल रहा है। 

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य ने कहा, यात्री सुविधा केंद्र की तीनों मंजिलों की छतें बनाई जा चुकी हैं, जबकि राम मंदिर की बाहरी दीवार (परकोटा) के प्रवेश द्वार का काम आखिरी चरण में है तथा नवंबर के आखिर तक पूरा हो जाएगा। 

राम मंदिर के लिए श्रद्धालुओं ने बड़ी मात्रा में सोने और चांदी की वस्तुएं दान में दी हैं। मिश्रा ने कहा, भक्तों ने जिन सोने एवं चांदी की वस्तुओं को दान में दिया है, उन्हें पिघलाया जाएगा क्योंकि उन्हें जमा करके रखना मुश्किल है। 


 श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक सदस्य ने कहा कि यह सिंहासन राजस्थान के कारीगरों द्वारा बनाया जा रहा है, जोकि 15 दिसंबर तक अयोध्या पहुंच जाएगा। 

यह सिंहासन 8 फीट ऊंचा तथा 4 फीट चौड़ा होगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने कहा, मंदिर के गर्भगृह का निर्माणकार्य भी पूरा हो चुका है। 

उन्होंने कहा कि राम मंदिर का ग्राउंड फ्लोर 15 दिसंबर तक तैयार करना है जबकि फर्स्ट फ्लोर का 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।  


हाल ही में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 100 क्विंटल चावल का ऑर्डर दिया था, जिसका उपयोग 5 नवंबर को "अक्षत पूजा" में किया जाएगा तथा फिर देश भर में प्रभु श्री राम के भक्तों के बीच इसे वितरित किया जाएगा।

 इसके साथ ही एक क्विंटल पिसी हुई हल्दी तथा देसी घी भी मंगवाया गया है, जिसे विधि-विधान से चावल में मिलाया जाएगा। ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने मंगलवार को कहा कि सभी प्रदेशों से विहिप प्रतिनिधियों को 5 नवंबर को अयोध्या बुलाया गया है।

 हर प्रतिनिधि को 5 किलो चावल दिया जायेगा। वे अपने-अपने मंदिरों में इसकी पूजा कर जिले के प्रतिनिधियों को देंगे। तत्पश्चात, इसे ब्लॉकों, तहसीलों एवं गांवों में लोगों को भेजा जाएगा।  


भगवान श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा का महोत्सव 5 से 7 दिन चलेगा और इसके साथ ही 120 वैदिक विद्वान भगवान राम लला के प्राण प्रतिष्ठा के धार्मिक अनुष्ठान को संपन्न करेंगे.


इतना ही नहीं भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर भी वृहद योजना बनाई गई है. प्राण प्रतिष्ठा के लिए बनारस के प्रकांड विद्वान गणेश्वर दत्त शास्त्री के द्वारा भगवान के प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकाला गया.जो 22 जनवरी 2024 को दोपहर 12:00 से 12:45 के बीच सम्पन्न होगा मृगशिरा नक्षत्र में रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान होंगे तो भगवान के वैदिक प्राण प्रतिष्ठा बनारस के ही प्रकांड विद्वान लक्ष्मीकांत दीक्षित के द्वारा संपन्न कराया जाएगा.

राम मंदिर परिसर में ही स्थित यज्ञशाला मंडप में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान चलेगा, जिसमें वैदिक मंत्रोचार के साथ पूर्णाहुति दी जाएगी वैदिक पद्धति और शास्त्रसंवत विधि से उत्तम पक्ष में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का महोत्सव संपन्न कराया जाएगा. 

लौकिक और परमार्थिक दृष्टि से प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम किया जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात भगवान राम लला के दैनिक पूजन अर्चन में भी विस्तार किए जाने की योजना है. 

जिसमें भोग आरती पूजन शयन आरती और पालकी सेवा राम लला के दैनिक पूजा में शामिल होगी.


लौकिक और परमार्थिक दृष्ट से प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम जो 22 जनवरी को होना है. वह भव्य होगा. भारत में इस शताब्दी का प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम मुख्य कार्यक्रम होगा. 

इसके साथ ही काचीकामकोटी के शंकराचार्य ने बताया कि रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद उनकी सेवा और पूजन में विस्तार किया जाएगा तिरुपति के तर्ज पर भगवान राम लला की सेवा की जाएगी. 

भगवान के सुप्रभात से लेकर के शयन आरती तक भब्य सेवा की जाएगी. जिसमें पालकी सेवा भी शामिल होगी.

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