भारत में बहुसंख्यक हिंदुओं की संख्या पिछले 65 सालों में कम हुई है और अल्पसंख्यक मुस्लिमों की गिनती बढ़ी है...रिपोर्ट

भारत में बहुसंख्यक हिंदुओं की संख्या पिछले 65 सालों में कम हुई है और अल्पसंख्यक मुस्लिमों की गिनती बढ़ी है...रिपोर्ट


भारत में बहुसंख्यक आबादी में 7.82% की उलेखनीय गिरावट आई है


1950 में मुस्लिम आबादी का हिस्सा 9.84 प्रतिशत था और 2015 में बढ़कर 14.09 प्रतिशत हो गया

भारत में खतरे में मुसलमान नैरेटिव उतना ही पुराना है, जितनी पुरानी तुष्टिकरण की राजनीति है।


केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनने के बाद इस नैरेटिव को और हवा दी गई है। 

शायद ही कोई दिन बीतता है जब मुस्लिम पीड़ित का प्रोपेगेंडा न चलाया जाता हो।


 लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट है। भारत की जनसंख्या में मुस्लिमों की हिस्सेदारी बढ़ी है। वहीं हिंदुओं का हिस्सा घटा है। 


इस रिपोर्ट से वो सारे दावे भी धराशायी होते है जो ये कहते रहे कि हिंदुओं के तादाद में ज्यादा होने से मुस्लिमों पर खतरा हो सकता है। 


रिपोर्ट के अनुसार, 1950 से लेकर 2015 के बीच, भारत में बहुसंख्यक आबादी में 7.82% की उलेखनीय गिरावट आई है। 


पहले हिंदू 84.68 फीसदी थे और अब सिर्फ 78.06 रह गए हैं। जबकि इसी अवधि के दौरान अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी में वृद्धि दर्ज की गई है। 


रिपोर्ट बताती है कि 1950 में मुस्लिम आबादी का हिस्सा 9.84 प्रतिशत था और 2015 में बढ़कर 14.09 प्रतिशत हो गया। 


इसी तरह ईसाई समुदाय भी 2.24% से 2.36% (5.38%) तक पहुँचा है।



अब इन आँकड़ों से यह तो स्पष्ट हो गया है कि भारत में रहने वाले हिंदू किसी के लिए खतरा नहीं रहे। 


अगर ऐसा होता तो अल्पसंख्यकों की संख्या में ऐसी बढ़त नहीं देखने को मिलती। इसके अलावा इस बात से ये भी साबित होता है कि हिंदू हर धर्म के प्रति सहिष्णु हैं क्योंकि भारत में कभी ऐसी साजिशों का खुलासा नहीं हुआ कि वो दूसरे मजहब के लोगों को लालच देकर अपने धर्म में परिवर्तित करवा रहे हैं… 


उलटा इस बात के प्रमाण जरूर हैं कि दूसरे मजहब के लोग हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराने के लिए बकायदा प्लान के तहत काम करते हैं औ उन्हें धर्म पथ से भ्रमित करने की कोशिश करते रहे हैं या उन्हें जबरन अपना मजहब कबूल करवाते हैं.


कुछ लोग शायद सोचें समुदाय की हिस्सेदारी 7-8 फीसद कम-ज्यादा होने का बवाल नहीं मचाया जाना चाहिए। 


लेकिन, इस बात को गौर से समझिए कि जिस रिपोर्ट के आधार पर आपको ये पता चलता है कि भारत में बहुसंख्यक हिंदुओं की संख्या पिछले 65 सालों में कम हुई है और अल्पसंख्यक मुस्लिमों की गिनती बढ़ी है। 


वही रिपोर्ट के अगर कुछ और हिस्सों को पढ़ें तो देश के पड़ोसी मुल्कों में हुए जनसंख्या बदलाव की जानकारी भी आपको मिलेगी।


बांग्लादेश की बहुसंख्यक आबादी 1950 में 76 फीसद थी, आज भी उतनी की उतनी है। लेकिन हिंदुओं के साथ ऐसा नहीं है। 1950 में उस क्षेत्र में 23% हिंदू थे और अब केवल 8% बचे हैं। इसी प्रकार से पाकिस्तान में 1950 में कुल मुस्लिमों की आबादी 84% थी और अब 93% हो गई है वो भी तब जब पाकिस्तान से 1971 में बांग्लादेश अलग हो गया है।


 जबकि हिंदुओं की जनसंख्या में हिस्सेदारी पाकिस्तान में 65 साल पहले 13% थी और अब सिर्फ 2% रह गई है।


 अफगानिस्तान में भी मुस्लिम बहुल हैं और उनमें भी 0.3 का ही लेकिन बढ़त देखने को मिली है। वो 1950 में 99.4 थे और अब 99.7 हो गए हैं।


1950 में नेपाल में हिंदुओं की संख्या 84% थी जो 2015 में 81% ही रह गई। इसके अलावा सबसे बड़ी बात जिस पर हमें विचार करने की जरूरत है वो ये है कि एक तरफ पड़ोसी मुल्कों और हमारे देश में मुस्लिमों की पॉपुलेशन लगातार बढ़ रही है .

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