जय श्री महाकाल सेवा ट्रस्ट के सानिध्य मे सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग बनाने में जुटे श्रद्धालु, किया जा रहा अभिषेक

 जय श्री महाकाल सेवा ट्रस्ट के सानिध्य मे सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग बनाने में जुटे श्रद्धालु, किया जा रहा अभिषेक


पंडित पवन दुबे की अध्यक्षता मे "जय श्री महाकाल सेवा ट्रस्ट" आश्रम मे सवा सौ करोड़ पार्थिव शिवलिंग निर्माण व अभिषेक का आयोजन अरैल प्रयागराज मे गंगातट पर चल रहा है


यहा एक लेख में संवत 1674 के सावन मास में औरंगजेब द्वारा मंदिर को जागीर दिए जाने का भी उल्लेख है


प्रयागराज: पंडित पवन दुबे ने कहा कि भगवान शिव श्मशान में निवास करते हैं। जिसके चलते उन्हें भूतवान कहा गया। भूत का अर्थ पंचतत्व भी होता है और सब के मालिक भी है। शिवजी के कंठ में विष व मस्तिष्क में अमृत है। संसार के विष को अमृत रूपी बुद्धि से ही जीता जा सकता है। यह संसार शुभ और अशुभ का मिश्रण है। भगवान शिव को संसार का मालिक भी कहा जाता है। जिससे नाम विश्वनाथ पड़ा। शिवपुराण के साथ ही 1200 भक्तों द्वारा शिवलिंग निर्माण कर पूजन अभिषेक किया गया। सवा करोड़ शिवलिंग निर्माण के लिए बढ़ रही शिवभक्तों की संख्या को देखते हुए बड़े हॉल में भी शिवलिंग निर्माण की व्यवस्था की गई है। इसी के साथ शाम को विशेष आरती व प्रसाद वितरण किया गया।


हमारी मुलाकात अरैल स्थित जय श्री महाकाल सेवा ट्रस्ट आश्रम मे पंडित पवन दुबे जो कि जय श्री महाकाल सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष है और आप के ही नेतृत्व मे यह परम पुनीत कार्य किया जा ।


वही आश्रम मे एक और विद्वान जो ज्योतिष के बहुत ही अच्छे  जानकार है पंडित अजय मिश्रा जी से मुलाकात हुई उन्होने भगवान शिव के बिषय मे कहा 

शिवजी निवृति मार्ग के आचार्य है। मन से निवृति एवं कार्य में प्रवृति का आदर्श हमें बताते है। भीतर से प्रवृति होने के कारण माया में आसक्ति होती है। जिससे अनेक प्रकार की चिंताएं होती है। जिसे ज्ञान होता है वही माया का पर्दा दूर कर भक्ति में सफल होता है।

उन्होने यह भी बताया कि तीर्थ राज प्रयागराज में भगवान शिव के सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग निर्माण कर अनूठी पूजा की जा रही है। शिव भक्त वृन्दावन की रज से शिवलिंग बनाकर महादेव को प्रसन्न करने में लगे हैं।


आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां मिट्टी के सवा करोड़ पार्थिव महादेव (शिवलिंग) बनाकर पूजा की जाएगी.

प्रयागराज की नगरी में सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग निर्माण का कार्य चल रहा है। इस महायज्ञ में प्रतिदिन श्रद्धालु जुटते हैं और अपने हाथों से बाबा की प्रतिमा बना रहे हैं।

श्री आदि सोमेश्वर भगवान शिव  को समर्पित सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग निर्माण आयोजन चल रहा है, जिसमें श्रद्धालुजन बढ़चढ़क़र हिस्सा ले रहे हैं।


पंडित पवन दुबे ने आदि शिव सोमेश्वर धाम की महिमा का भी बखान करते हुए बताया कि सोमतीर्थ, जिसे अब सोमेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। प्रयागराज में संगम के सामने देवरख क्षेत्र में स्थित है। पद्मपुराण में प्रयागराज के अक्षयवट क्षेत्र के अग्निकोण पर गंगा यमुना की धारा के संगम स्थल के समीप दक्षिणी तट पर सोमतीर्थ का वर्ण है। पौराणिक ग्रंथों में गौतम ऋषि द्वारा दिए गए शाप से कुष्ठ पीड़ित चंद्रदेव द्वारा प्रयाग की धरती पर सोमेश्वर महादेव शिवलिंग की स्थापना करने की चर्चा आती है। 14वां शताब्दी में विघापति ने अपने ग्रंथ भू परिक्रमा में भी सोमतीर्थ का उल्लेख किया है।कहा जाता है कि औरंगजेब जब सोमेश्वर महादेव मंदिर में आया तो सीढ़ियों पर ही उसके पैर रुक गए और उसने मंदिर में कई चमत्कार देखे। चमत्कारों को देखकर पहले उसको कुछ समझ में नहीं आया और उसने अपना सिर झुका लिया। नतमस्तक होकर उसने मंदिर को तोड़ने का फैसला टाल दिया और मंदिर के रखरखाव के लिए दान भी दिया।





सोमश्वर महादेव मंदिर में हनुमानजी का भी मंदिर है। हनुमानजी के मंदिर के सामने एक धर्मदंड है। पत्थर की शिला के रूप में स्थापित इस धर्मदंड में 15 पंक्तियों में एक लेख उत्कीर्ण है। इस लेख में संवत 1674 के सावन मास में औरंगजेब द्वारा मंदिर को जागीर दिए जाने का उल्लेख है। हालांकि हनुमानजी की प्रतिमा के सामने इस दंड पर प्रतिदिन सिंदूर का लेप होने से अब लेख स्पष्ट नहीं दिखता है।

Posted by V D Pandey editor in chief 

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