ISRO Aditya L1 Mission Launch:पहले सोलर मिशन आदित्य एल1 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग;6 जनवरी 2024 को L1 पॉइंट तक पहुंचेगा

 ISRO Aditya L1 Mission Launch:पहले सोलर मिशन आदित्य एल1 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग;6 जनवरी 2024 को L1 पॉइंट तक पहुंचेगा


भारत के पहले सोलर मिशन आदित्य एल1 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग के बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा- मैं आदित्य-एल1 मिशन लिए पीएसएलवी को बधाई देता हूं.


चंद्रयान-3 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कामयाब लैंडिंग के 10वें दिन ISRO ने शनिवार को आदित्य L1 मिशन लॉन्च कर दिया। 


आदित्य सूर्य की स्टडी करेगा। इसे सुबह 11.50 बजे PSLV-C57 के XL वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया।


करीब 4 महीने बाद यह 15 लाख Km दूर लैगरेंज पॉइंट-1 तक पहुंचेगा। इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज पर आसानी से रिसर्च की जा सकती है। ​


*आदित्य L1 का सफर*


* PSLV रॉकेट ने आदित्य को 235 x 19500 Km की पृथ्वी की कक्षा में छोड़ा।

* 16 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रहेगा। 5 बार थ्रस्टर फायर कर ऑर्बिट बढ़ाएगा।

*फिर से आदित्य के थ्रस्टर फायर होंगे और ये L1 पॉइंट की ओर निकल जाएगा।

*3110 दिन के सफर के बाद आदित्य ऑब्जरवेटरी इस पॉइंट के पास पहुंच जाएगा

*थ्रस्टर फायरिंग के जरिए आदित्य को L1 पॉइंट के ऑर्बिट में डाल दिया जाएगा।




L1 पॉइंट पर ग्रहण बेअसर, इसलिए यहां भेजा जा रहा

इसरो का कहना है कि L1 पॉइंट के आस-पास हेलो ऑर्बिट में रखा गया सैटेलाइट सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देख सकता है। 


इससे रियल टाइम सोलर एक्टिविटीज और अंतरिक्ष के मौसम पर भी नजर रखी जा सकेगी। ये 6 जनवरी 2024 को L1 पॉइंट तक पहुंचेगा।


*लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) क्या है?*

लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में L1 नाम से जाना जाता है।


इससे रियल टाइम सोलर एक्टिविटीज और अंतरिक्ष के मौसम पर भी नजर रखी जा सकेगी। ये 6 जनवरी 2024 को L1 पॉइंट तक पहुंचेगा।


*सूर्य की स्टडी क्यों जरूरी?*


जिस सोलर सिस्टम में हमारी पृथ्वी है, उसका केंद्र सूर्य ही है। सभी आठ ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते हैं। 

सूर्य की वजह से ही पृथ्वी पर जीवन है। सूर्य से लगातार ऊर्जा बहती है। इन्हें हम चार्ज्ड पार्टिकल्स कहते हैं। सूर्य का अध्ययन करके ये समझा जा सकता है कि सूर्य में होने वाले बदलाव अंतरिक्ष को और पृथ्वी पर जीवन को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।


इसीलिए इसरो सूर्य को समझना चाहता है।

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन  (इसरो) एक बार फिर इतिहास रचने की दहलीज पर है.  


अब देश के साथ-साथ विश्व देश की निगाहें ISRO के सूर्य मिशन यानी Aditya-L1 पर टिकी हैं. श्रीहरिकोटा के लॉन्चिंग सेंटर से ISRO के सूर्य मिशन आदित्य-L1 मिशन को आज 11.50 बजे लॉन्च कर दिया गया. 


आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी और सूर्य के बीच की एक फीसदी दूरी तय करके L-1 पॉइंट पर पहुंचा देगा. 


लॉन्चिंग के ठीक 127 दिन बाद यह अपने पॉइंट L1 तक पहुंचेगा. इस पॉइंट पर पहुंचने के बाद Aditya-L1 बेहद अहम डेटा भेजना शुरू कर देगा.


भारत के पहले सोलर मिशन आदित्य एल1 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग के बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा- मैं आदित्य-एल1 मिशन लिए पीएसएलवी को बधाई देता हूं. अब से, मिशन अपनी यात्रा शुरू करेगा. यह लगभग 125 दिनों की बहुत लंबी यात्रा है. 


बता दें कि आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान पीएसएलवी रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया है. इसरो ने कुछ देर पहले ही यह जानकारी दी थी.

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