shardiya Navratri 2023 :इस नवरात्रि को हाथी पर हो रहा है माता दुर्गा का आगनम;जानिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और नियम

 shardiya Navratri 2023 :इस नवरात्रि को हाथी पर हो रहा है माता दुर्गा का आगनम;जानिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और नियम


 आज से शारदीय नवरात्रि का आरंभ हो चुका है। अगले 9 दिनों तक मां दुर्गा की उपासना की जाएगा। आइए जानते हैं आज नवरात्रि के पहले दिन पूजा और घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त।


 नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से भक्त पूजा-उपासना करते हैं. प्रथम दिन प्रतिपदा पर दुर्गा जी के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है. 


15 अक्टूबर से लेकर दसवीं यानी 24 अक्टूबर दशहरा तक लोग धूमधाम से इस त्योहार को सेलिब्रेट करते हैं.


नवरात्रि की पूजा आरंभ करने से पहले कलश स्थापना या घट स्थापना का विधान है। ऐसे में शुभ मूहूर्त पर कलश स्थापना करने से साधक को मां दुर्गा का आशीष प्राप्त होता है और साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


शुभ मुहूर्त में विधि-विधान के साथ स्थापित किया गया कलश साधक के परिवार में सुख, संपन्नता और आरोग्य लेकर आता है। घट स्थापना के लिए आप मिट्टी, सोना, चांदी या तांबे के कलश का प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन इनके स्थान पर लोहे या स्टील के कलश का उपयोग करना शुभ नहीं माना जाता।


स्थापना से पहले करें ये काम

कलश स्थापना करने से पहले उस स्थान को गंगा जल से शुद्ध कर लें। इसके बाद वहां हल्दी से अष्टदल बनाएं। इसके बाद कलश में शुद्ध जल लेकर उसमें हल्दी, अक्षत, लौंग, सिक्का, इलायची, पान और फूल डालें। फिर कलश के ऊपर रोली से स्वास्तिक बनाएं। अब कलश को स्थापित करते हुए मां भगवती का आह्वान करें।


कलश की स्थापना के दौरान दिशा का ध्यान रखना जरूरी है। आप कलश स्थापना के लिए घर की पूर्व या उत्तर दिशा का चयन कर सकते हैं। क्योंकि वास्तु की दृष्टि से भी इन दिशाओं को बहुत-ही शुभ माना गया है।


भगवत पुराण के अनुसार जब भी माता हाथी पर सवार होकर आती हैं तो गज वाहिनी कहलाती हैं और वह अपने साथ सुख, समृद्धि और खुशहाली लाती हैं। नौ दिवसीय पर्व में 18, 22 और 23 अक्तूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्ध योग रहेंगे। नवरात्रों के साथ मांगलिक कार्यों का भी आगाज हो जाएगा।


पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं। 

दरवाजे पर आम या अशोक के पत्तों का तोरण लगाएं। 

नवरात्र के पहले दिन माता की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर स्थापित करना चाहिए।


उसके बाद माता के समक्ष मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं, जौ समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं।

कलश स्थापना के साथ ही रोली, अक्षत, मोली, पुष्प आदि से देवी  के मंत्रों का उच्चारण करते हुए माता की पूजा करें और भोग चढ़ाएं। 

अखंड दीपक प्रज्वलित कर मां की आरती करें।


नौ देवियों के मंत्र-

- शैलपुत्री- ह्रीं शिवायै नम:।

- ब्रह्मचारिणी- ह्रीं श्रीं अम्बिकायै नम:।

- चन्द्रघण्टा- ऐं श्री शक्तयै नम:।

- कूष्मांडा- ऐं ह्री देव्यै नम:।

- स्कंदमाता- ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।

- कात्यायनी- क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।

- कालरात्रि - क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।

- महागौरी- श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।

- सिद्धिदात्री - ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।



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