महाशिवरात्रि भगवान शिव की सबसे बड़ी रात्रि के रूप में जानी जाती है.

 महाशिवरात्रि भगवान शिव की सबसे बड़ी रात्रि के रूप में जानी जाती है.


इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च यानी आज मनाया जा रहा है. इस दिन भक्त दिन भर उपवास रखते हैं. गरुड़ पुराण, पदम पुराण, स्कन्द पुराण, शिव पुराण तथा अग्नि पुराण सभी में महाशिवरात्रि पर्व की महिमा का विशेष वर्णन मिलता है.


इस बार की महाशिवरात्रि पर ग्रह पांच राशियों में होंगे. चंद्र और मंगल एक साथ मकर राशि में होंगे. यह संयोग लक्ष्मी नामक योग बना रहा है. इसलिए इस बार शिवरात्रि पर धन संबंधी बाधाएं दूर की जा सकती हैं. 

चंद्र और गुरु का प्रबल होना भी शुभ स्थितियां बना रहा है. इस बार की शिवरात्रि पर रोजगार की मुश्किलें भी दूर की जा सकती हैं. साथ ही आज शुक्र प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि भी मनाई जाएगी. 

आज पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव शंकर के आगे व्रत का संकल्प लें. संकल्प के दौरान उपवास की अवधि पूरा करने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद लें. 

फिर शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें. इसके बाद रोली, सिन्दूर, चावल, फूल, जनेऊ, वस्त्र, धूपबत्ती, सप्तधान्य यानी सात तरह के धान, बेलपत्र, आंकड़े के फूल, धतूरे के फूल, आदि सामग्री को एकत्रित कर लें और साथ में गाय का घी, दही, दूध और मेवा आदि से पंचामृत बनाएं. 

फिर मंदिर जाकर उस पंचामृत से भगवान शंकर को स्नान कराएं. इसके बाद केसर डालकर जल चढ़ाएं और अखंड ज्योत जलाएं. इसके बाद भगवान शिव के मंत्र "ऊं नमः शिवाय" का 108 बार जाप करें. 

इस दिन शिव जी को तीन पत्तों वाला बेलपत्र चढ़ाएं. शंकर भगवान को भांग बहुत प्रिय है इसलिए इस दिन भांग को दूध में मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं. 

धतुरा और गन्ने का रस शिव जी को अर्पित करें. इससे जीवन में सुख बढ़ता है. जल में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं. इससे मन की अशांति दूर होती है. 

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में महाशिवरात्रि मनाई जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती विवाह के बंधन में बंधे थे. 

माना जाता है कि जो भक्त महाशिवरात्रि का व्रत रखते हैं महादेव (Lord Shiva) उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.

भगवान शिव की महाशिवरात्रि के दिन पूजा की जाती है. इस दिन पूजा सामग्री में कई चीजें शामिल की जाती हैं. इनमें बेलपत्र, भांग, मदार के फूल, धतूरा, सफेद चंदन, गंगाजल और गाय का दूध भोले शंकर को चढ़ाया जाता है. 

भोग में भगवान शिव को यूं तो जल और बेलपत्र चढ़ा सकते हैं, लेकिन इसके अलावा भी कुछ भोग की चीजें हैं जो भगवान शंकर को अर्पित की जा सकती हैं. कहते हैं इससे महादेव प्रसन्न हो जाते हैं.

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