कर्नाटक सेक्स स्कैंडल की तरह ही अजमेर सेक्स स्कैंडल कांड से दहल गया था देश
"अजमेर सेक्स कांड की शुरूआत में सबसे पहले 'फारूक चिश्ती ' नामक एक शख्स ने पहले सोफिया स्कूल की एक लड़की को फंसाया. उसके साथ रेप किया. इस दौरान उसने उसकी अश्लील तस्वीरें खींच ली. इसके बाद वो इन अश्लील तस्वीरों के जरिए उसे ब्लैकमेल करने लगा. उससे स्कूल की दूसरी लड़कियों को बहला-फुसला कर लगाने के लिए कहने लगा. मजबूरन वो लड़की अपनी सहेलियों को भी फार्म हाउस ले जाने लगी. उन सभी के साथ रेप और ब्लैकमेल का खेल होता रहा."
एक के बाद दूसरी, दूसरी के बाद तीसरी, इस तरह एक ही स्कूल की करीब सौ से ज्यादा लड़कियों के साथ रेप हुआ*.
कर्नाटक का सेक्स स्कैंडल इस वक्त पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस स्कैंडल में पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के बेटे एच डी रेवन्ना और पोते प्रज्वल रेवन्ना का नाम सामने आया है.
इन दोनों पर सैकड़ों महिलाओं का शारीरिक शोषण करने और अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने का आरोप लगा है. रेवन्ना परिवार में कुक का काम करने वाली एक महिला ने इन दोनों के खिलाफ यौन शोषण का केस भी दर्जा कराया है.
कर्नाटक बीजेपी के नेता देवराजे गौड़ा ने 8 दिसंबर, 2023 को प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र को एक खत लिखा था. इसमें उन्होंने रेवन्ना परिवार के स्कैंडल का खुलासा किया था.
देवराजे गौड़ा ने लिखा था कि उन्हें एक पेन ड्राइव मिली है. इसमें कुल 2976 वीडियो हैं.
इसी तरह 32 साल पहले राजस्थान के अजमेर में एक बहुत बड़ा स्कैंडल हुआ था.
अजमेर सेक्स स्कैंडल की
कहानी सुन दिल दहल जाएगा
उस वक्त एक स्थानीय दैनिक नवज्योति अखबार में एक ऐसी खबर छपी जिसने सबको हिला डाला.
इस खबर में स्कूली छात्राओं को उनकी अश्लील तस्वीरों के जरिए ब्लैकमेल करते हुए उनका यौन शौषण किए जाने का पर्दाफाश किया गया था. ''बड़े लोगों की पुत्रियां ब्लैकमेल का शिकार'' शीर्षक से प्रकाशित खबर ने पाठकों के हाथों में अखबार पहुंचने के साथ ही भूचाल ला दिया.
इसके बाद खुलासा हुआ कि एक गिरोह अजमेर के गर्ल्स स्कूल सोफिया में पढ़ने वाली लड़कियों को फार्म हाउसों पर बुला-बुला कर रेप करता रहा और उन लड़कियों के घरवालों को भनक तक नहीं लगी.
रेप की गई लड़कियों में आईएएस, आईपीएस की बेटियां भी थीं. इस पूरे कांड को अश्लील तस्वीरों के जरिए ब्लैकमेल करके अंजाम दिया गया था. पीड़ित लड़कियों की संख्या 100 से अधिक बताई गई थी. इन लड़कियों की उम्र 17 से 20 साल के बीच थी.
इस कांड की शुरूआत में सबसे पहले फारूक चिश्ती नामक एक शख्स ने पहले सोफिया स्कूल की एक लड़की को फंसाया. उसके साथ रेप किया. इस दौरान उसने उसकी अश्लील तस्वीरें खींच ली. इसके बाद वो इन अश्लील तस्वीरों के जरिए उसे ब्लैकमेल करने लगा.
उससे स्कूल की दूसरी लड़कियों को बहला-फुसला कर लगाने के लिए कहने लगा. मजबूरन वो लड़की अपनी सहेलियों को भी फार्म हाउस ले जाने लगी. उन सभी के साथ रेप और ब्लैकमेल का खेल होता रहा.
एक के बाद दूसरी, दूसरी के बाद तीसरी, इस तरह एक ही स्कूल की करीब सौ से ज्यादा लड़कियों के साथ रेप हुआ. घर वालों की नजरों के सामने से ये लकड़ियां फार्म हाउसों पर जाती थीं. उनके लेने के लिए बाकायदा गाड़ियां आती थीं. घर पर छोड़ कर भी जाती थीं.
लड़कियों की रेप करते समय तस्वीरें ले ली जाती थीं. इसके बाद डरा-धमका कर और लड़कियों को बुलाया जाता.
इस सेक्स स्कैंडल का मास्टरमाइंड फारूक चिस्ती था. उसके साथ नफीस चिस्ती और अनवर चिस्ती भी शामिल थे. तीनों ही यूथ कांग्रेस के नेता थे. फारूक अध्यक्ष पद पर था. इन लोगों की पहुंच दरगाह के खादिमों तक भी थी.
खादिमों तक पहुंच होने के कारण रेप करने वालों के पास राजनैतिक और धार्मिक दोनों ही तरह की शक्तियां थी. रेप की शिकार लड़कियां ज्यादतर हिंदू परिवारों से थीं. रेप करने वाले ज्यादातर मुस्लिम समुदाय थे. इस वजह से पुलिस डरती थी.
धीरे-धीरे इस स्कैंडल के बारे में पूरे शहर को पता चल गया. लड़कियों की अश्लील तस्वीरें हवा में तैरने लगी. जिसे मौका मिलता वो हाथ साफ कर लेता.
लड़कियों को ब्लैकमेल करके उनके साथ रेप करता. यहां तक निगेटिव से फोटो को डवलप करने वाला टेकनिशियन भी इसमें शामिल हो गया था.
समाज में अपनी बेइज्जती होती देख लड़कियां एक-एक करके खुदकुशी करने लगी. उन्हें इस नर्क से निकलने रास्ता जिंदगी को खत्म करना ही समझ आया.
क्योंकि परिवार, समाज, पुलिस और प्रशासन तक कुछ नहीं कर रहा था. इस तरह 6-7 लड़कियों की खुदकुशी के बाद मामला संगीन हो गया. इसी बीच दैनिक नवज्योति के एक पत्रकार संतोष गुप्ता ने इस केस पर सीरीज शुरू कर दी. उनकी खबरों ने पुलिस और प्रशासन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया.
नगर के जागरूक संगठन गुनाहगारों को सजा दिलाने के लिए सक्रिय हो गए. स्कूल छात्राओं के साथ यौन शोषण का सारा खेल शहर में सुनियोजित तरीके से मुस्लिम समुदाय के प्रभावशाली युवाओं के द्वारा हिन्दू लड़कियों के साथ किया जा रहा था.
इसे लेकर विश्वहिन्दू परिषद, शिवसेना, बजरंग दल जैसे संगठनों ने मुट्ठियां तान ली. इस मामले के बारे में राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत को अवगत कराया गया. उन्होंने एक्शन लेने को कह दिया.
आखिरकार चौतरफा दबाव के बीच 30 मई 1992 को भैरोंसिंह शेखावत ने केस सीआईडी सीबी के हाथों में सौंप दिया।
31 मई 1992 से इस केस की जांच शुरू कर दी. इस जांच में युवा कांग्रेस के शहर अध्यक्ष और दरगाह के खादिम चिश्ती परिवार के फारूक चिश्ती, उपाध्यक्ष नफीस चिश्ती, संयुक्त सचिव अनवर चिश्ती, पूर्व कांग्रेस विधायक के नजदीकी रिश्तेदार अलमास महाराज, इशरत अली, इकबाल खान, सलीम, जमीर, सोहेल गनी, पुत्तन इलाहाबादी, नसीम अहमद उर्फ टार्जन, परवेज अंसारी, मोहिबुल्लाह उर्फ मेराडोना, कैलाश सोनी, महेश लुधानी, पुरुषोत्तम उर्फ जॉन वेसली उर्फ बबना और हरीश तोलानी नामक अपराधियों के नाम सामने आए. इनमें शामिल हरीश तोलानी अजमेर कलर लैब का मैनेजर हुआ करता था.
इस केस का पहला निर्णय छह साल बाद आया, जिसमें अजमेर की अदालत ने आठ लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई।