यदि पढ़ा-लिखा मुसलमान नहीं होता है 'आतंकी' तो ये बड़े 2 डिग्री वाले इजी. प्रोफेसर कौन है लिबरलों!
"*ये मुर्तजा अब्बासी या सोहैल कोई 1, 2, 3 या 10 उदाहरण नहीं है। ऐसे तमाम कट्टरपंथियों की लिस्ट है जिनका उद्देश्य पढ़ लिखकर भी सिर्फ जिहाद करना और काफिरों को मारना तक रहा।"*
कहते हैं पढ़ने-लिखने से इन्सान समझदार होता है, उसमें सही-गलत की पहचान करने की क्षमता आती है, लेकिन यहां हम जिन लोगों के बारे में बताने जा रहे हैं, उन्होंने तो इस बात को गलत साबित कर दिया है।
आपने अक्सर इस्लामी आतंकियों के बचाव में लिबरलों को ये तर्क देते हुए सुना होगा कि वो ये सब शिक्षा की कमी के कारण करते हैं।
लिबरलों के मुताबिक मुस्लिम युवकों को देश में सही तालीम नहीं मिल पाती है इसलिए वो कट्टरपंथी संगठनों के बरगलाने पर कट्टरपंथ का रास्ता चुनकर आतंकी बन जाते हैं…
लिबरलों ने सालों से इस्लामी आतंकियों के छवि निर्माण के लिए जो भूमिका बनाई थी वो अब आए दिन इसीलिए ध्वस्त हो रही है।
आप याद करिए कुछ दिन पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पूरा टेरर मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ था। आतंकियों को पकड़कर उनकी लिस्ट बनना शुरू हुई तो प्रोफेशन वाले कॉलम में किसी के आगे प्रोफेसर लिखा जा रहा था था, किसी के पीएचडी स्कॉलर तो किसी के में इंजीनियर।
2022 में हुए गोरखनाथ मंदिर पर हमला करने वाला मुर्तजा अब्बासी याद है क्या। पीएसी जवानों को धारदार हथियार से घायल करके मंदिर में घुसने जा रहा था और रोके जाने पर अल्लाह-हू-अकबर चिल्ला रहा था। छानबीन में सामने आया था कि उस मुर्तजा अब्बासी ने केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हुई थी।
इसी तरह जब मध्यप्रदेश पुलिस की आतंक निरोधी दस्ते ने हिज्ब उत् तहरीर आतंकी संगठन पर कार्रवाई की थी तो अलग-अलग जगह से ताबड़तोड़ आतंकियों की गिरफ्तारी हुई थी। छानबीन में पता चला था कि गिरफ्तार किए गए आरोपितों में कंप्यूटर इंजीनियर, टेक्नीशियन, टीचर आदि शामिल थे।
अभी हाल में रामेश्वर कैफे ब्लास्ट का मामला लेते हैं। NIA ने बम धमाके में गिरफ्तार आतंकियों से पूछताछ के बाद जिन लोगों के यहाँ छापेमारी की है उनमें एक आंध्रप्रदेश जिले का रिटायर्ड हेडमास्टर अब्दुल और उसका सॉफ्टवेयर इंजीनियर बेटा सोहैल भी है।
सोहेल को लेकर कहा जा रहा है कि वो इस हमले के मास्टरमाइंड अब्दुल मतीन से सपर्क में था। इसके अलावा 2 डॉक्टरों के ठिकाने पर भी रेड पड़ी है। ये दोनों ही प्रोफेशन ऐसे हैं जिसमें बिना पढ़ाई लिखाई किए कोई नहीं घुस सकता।
2021 में सिमी (स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) के 12 आतंकियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इनमें से कई आतंकी इंजीनियरिंग के छात्र थे। छानबीन में सबका कनेक्शन आतंकी संगठन मुजाहिद्दीन से पाया गया था। वहीं इनके पास से आधुनिक गैजेट्स जैसे लैपटॉप, फोन, पेन ड्राइव आदि सब बरामद हुए थे।
आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने मुस्लिम युवाओं को रोबोटिक्स की पढ़ाई करने के हुक्म दिए थे। इसमें शामिल कुछ मुस्लिम युवाओं ने मैकेनिकल और इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) के सप्लीमेंट्री चार्जशीट से यह खुलासा हुआ है।
1993 मुंबई बम कांड में दोषी पाए जाने के बाद फांसी की सजा पाने वाला याकूब चार्टर्ड अकाउंटेंट था।
1998 में अमेरिका पर सबसे बड़े आतंकी हमले को अंजाम देने वाले लादेन ने 1979 में सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी।
रियाज भटकल : इंडियन मुजाहिद्दीन की स्थापना इसी आतंकी ने की थी। 2006 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट, 2007 के हैदराबाद ब्लास्ट और 2008 के दिल्ली ब्लास्ट में इसका हाथ था। आतंकी बनने से पहले रियाज इंजीनियर था।
आतंकी मो. मसूर असगर ने जुलाई 2008 में अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट को अंजाम दिया था। उसने पुणे के विश्वकर्मा इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की है।
अफजल गुरु: इस आतंकी ने 1991 में भारतीय संसद पर हमले को अंजाम दिया था। इसकी शुरुआती पढ़ाई जम्मू-कश्मीर से हुई थी, फिर इसने झेलम वेली मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया और वहां से एमबीबीएस किया।
जिहाद के नाम पर आतंक फैलाने के काम में सिर्फ भारत के पढ़े-लिखे कट्टरपंथी नहीं शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यही हाल है। अमेरिका में 9/11 हमने का मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन के बारे में मीडिया बताता है कि वो अच्छे बिजनेसमैन परिवार से था और इंजीनियर था।
जाहिर है उसके पास न पैसे की कमी थी, न शिक्षा की… फिर भी वो कुख्यात आतंकी संगठन का सरगना बना क्योंकि उसके जहन में कट्टरपंथ घुस गया था।
इसी सोच ने अमेरिकी के ट्विन टॉवर्स और पेंटागन पर हमला कराया, जिसमें 3000 से ज्यादा लोगों की जान गई थी। ये हमला सबसे बड़े आतंकी हमलों में गिना जाता है, मगर बावजूद ऐसी तमाम घटनाओं के ISIS में शामिल होने के लिए युवक अमेरिका और ब्रिटेन से पढ़कर जाते हैं।
वहाँ उनके लिए आत्मघाती ड्रोन बनाते हैं। ऐसी तकनीक सिखाते हैं जिससे दहशत बड़े पैमाने पर फैल सके और खुद आतंकी बन जाते हैं।
ढाका हमले के जिन पांच गुनहगारों का चेहरा सामने आया है वो सभी ना सिर्फ अच्छे और अमीर घराने से हैं बल्कि बड़े-बड़े नामी स्कूल और कॉलेज के पढ़ने वाले हैं.
ऊपर इतने उदाहरणों का जिक्र ही इसलिए है ताकि समझ आ सके कि आज के समय में सिर्फ भारत नहीं, बल्कि दुनिया का सारा फोकस कट्टरपंथ मिटाने पर होना चाहिए।
इसी कट्टरपंथ के चलते छोटे-छोटे बच्चों को बरगला कर पहले पत्थरबाज बनाया जाता है, फिर बंदूक थमाकर आतंकी और इसी कट्टरपंथ के चलते कॉलेज में पढ़ रहे छात्रों का ब्रेनवॉश होता है और वो आतंकी संगठनों के कमांडर बनने लगते हैं।
ये मुर्तजा अब्बासी या सोहैल कोई 1, 2, 3 या 10 उदाहरण नहीं है। ऐसे तमाम कट्टरपंथियों की लिस्ट है जिनका उद्देश्य पढ़ लिखकर भी सिर्फ जिहाद करना और काफिरों को मारना तक रहा। इसी का उदाहरण है कि आज आतंकियों के आतंक करने का तरीका सिर्फ कहीं घुसकर गोलीबारी या बमबारी करना नहीं रह गया है। ये लोग अपनी पढ़ाई का इस्तेमाल करके अपने आतंक के तरीकों को अपग्रेड करते हैं।