इस्लामी मुल्कों में वक्फ बोर्ड का नामलेवा नहीं, भारत मे बढ़ती ही जा रही मुगलिया बोर्ड की प्रॉपर्टी ..लैंड जिहाद !

इस्लामी मुल्कों में वक्फ बोर्ड का नामलेवा नहीं, भारत मे बढ़ती ही जा रही मुगलिया बोर्ड की प्रॉपर्टी ..लैंड जिहाद !

वक्फ बोर्ड ने अपने हिस्से इतनी जमीन दिखाई हुई है कि सिर्फ देश में रेल और सेना के लोग ही इनके ऊपर आते हैं।


वक्फ बोर्ड लगातार अवैध तरीके से जमीनो पर अपना कब्जा जमाता जा रहा है


नेहरू सरकार ने 1954 में एक्ट बनाकर इस बोर्ड को मजबूती दी थी। अब इसके नाम पर कब्जे होते हैं।


पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक बंगाली मौलाना की वीडिया वायरल हुई थी।इस वीडियो में मौलाना दावा करता दिखाई दे रहा था कि बंगाल में इंच-इंच जमीन मुस्लिमों की है।

वीडियो में सुनाई पड़ रहा था कि मौलाना कहता है- कलकत्ता हाईकोर्ट-मुस्लिमों की जमीन पर है, मुख्यमंत्री कार्यालय मुस्लिमों की जमीन पर है, कोलकाता एयरपोर्ट मुस्लिमों की जमीन पर है और ईडन गार्डन स्टेडियम तक मुस्लिमों की जमीन पर है।

देश में वक्फ बोर्ड मजहबी जमींदार बनकर उभरा हुआ है। इन्होंने अपने हिस्से इतनी जमीन दिखाई हुई है कि सिर्फ देश में रेल और सेना के लोग ही इनके ऊपर आते हैं।

आप खबरें उठाकर देख लीजिए आपको कभी वक्फ वाले मंदिर की संपत्ति पर अपना कब्जा बताते हुए मिलेंगे तो कभी कहेंगे पूरा का पूरा गाँव वक्फ की जमीन पर बसा है।

2022 में खबर आई थी कि वक्फ बोर्ड ने तमिलनाडु में हिंदुओं के गाँव पर कब्जा किया है जिसमें 1500 पुराना मंदिर भी बना हुआ।

इसके अलावा हाल में जामा मस्जिद के पास बने सरकारी पार्कों को लेकर भी शिकायत आई थी कि उसे मस्जिद अपने काम में लेने लगा है, कोशिश करने पर भी वो उस जगह को नहीं छोड़ते।

इससे पूर्व 2021 में बाराबंकी के कतुरीकला में वक्फ के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था जहाँ पता चला था कि जमीनें धोखाधड़ी से वक्फ के नाम की गई हैं।

सवाल ये उठते हैं कि आखिर लोकतांत्रिक देश में ऐसा बोर्ड क्यों बनाया गया कि एक मजहब के नाम पर प्रॉपर्टी इकट्ठा की जाए… तो इन सारे सवालों का जवाब नेहरू काल से मिलता है।

भारत में ‘वक्फ एक्ट’ की शुरुआत 1954 में नेहरू सरकार में हुई थी। इसके बाद 1964 में सेंट्रल वक्फ काउंसिल ऑफ इंडिया बना दिया गया।

इसका काम केंद्रीय निकाय वक्फ अधिनियम, 1954 की धारा 9 (1) के प्रावधानों के तहत स्थापित विभिन्न राज्य वक्फ बोर्डों के तहत काम की देखरेख करने का था।

साल 1995 में एक्ट में कुछ संशोधन हुए और इसे और मजबूती मिली। इन संशोधनों के बाद प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्डों के गठन की अनुमति दी गई।

बता दें कि आज के समय में देश में एक सेंट्रल वक्फ काउंसिल और 32 स्टेट बोर्ड है।

एक बार अगर कोई संपत्ति इस बोर्ड के अधीन आ जाती है तो व्यक्ति उसे वापस नहीं ले सकती चाहे वो पहले उसी की क्यों न रही हो। वहीं वक्फ उसका जैसे चाहे वैसे इस्तेमाल कर सकता है।

हाल में इस पर सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने भी ट्वीट किया था। उन्होंने मौलाना वाली वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए वक्त के मामले को उठाया था।

साथ ही राहुल गाँधी के परिवार पर निशाना साधा था। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा था, “परनाना ( जवाहरलाल नेहरू) ने वक्फ एक्ट बनाया दादी (इंदिरा गाँधी) ने वक्फ एक्ट को मजबूत किया पिता (राजीव गाँधी) ने वक्फ एक्ट को और मजबूत किया 1995 में पुराना कानून वापस और नया कानून 2013 में वक्फ बोर्ड को असीमित शक्ति दिया कॉन्ग्रेस ने भारत को बर्बाद करने के लिए 50 घटिया कानून बनाए हैं।”

यहाँ आपको जानकर शायद हैरानी होगी कि वक्फ का कॉन्सेप्ट इस्लामी देशों तक में नहीं है। फिर वो चाहे तुर्की, लिबिया, सीरिया या इराक हो।

लेकिन भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते आज हालात ऐसे हैं कि इन्हें देश में तीसरा सबसे बड़ा जमींदार बताया जा रहा है। इनके पास अकूत संपत्ति है।

अल्पसंख्यक मंत्रालय के अनुसार वक्फ बोर्ड के पास पूरे देश भर में 8,65,646 संपत्तियाँ पंजीकृत हैं।

इनमें से 80 हजार से ज्यादा संपत्ति वक्फ के पास केवल बंगाल में हैं। इसके बाद पंजाब में वक्फ बोर्ड के पास 70,994, तमिलनाडु में 65,945 और कर्नाटक में 61,195 संपत्तियाँ हैं। देश के अन्य राज्यों में भी इस संस्थान के पास बड़ी संख्या में संपत्तियाँ हैं।

अब समय आ गया है कि इस बोर्ड को पूरी तरह से खत्म किया जाए वर्ना आगे चलकर एक दिन हिन्दुस्तान की सारी जमीन पर वक्फ बोर्ड का कब्जा होगा ।

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