सपा काल मे कब्रिस्तान के नाम फर्जी तरीके से ली थी बांके बिहारी मंदिर की जमीन, योगी सरकार मे पुनः हुई मंदिर के नाम
2004 मुलायम सरकार में ही उक्त भूमि को कब्रिस्तान दर्ज करा लिया गया था
समाजवादी पार्टी की सरकार थी और उन दिनों भोला पठान समेत अन्य लोगों ने षड्यंत्र करके बांके बिहारी मंदिर की इस जमीन को कब्रिस्तान के नाम करा लिया था.
मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इस जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया था
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पाटी की सरकार के दौरान कुछ लोगों ने इस जमीन पर पहले कब्जा किया और फिर अधिकारियों से मिलीभगत कर इसका इंद्राज कब्रिस्तान के नाम करा लिया था.
वृंदावन ट्रस्ट की शाहपुर स्थित जमीन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है.
अब इस इंद्राज के खिलाफ आई अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इसे खारिज किया है. इसके साथ ही इंद्राज करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों व इसमें शामिल अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दिए हैं.
इसके बाद धर्म रक्षा संघ के राम अवतार सिंह गुर्जर ने इस जमीन के मालिकाना हक की लड़ाई स्थानीय अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक लड़ी.
उनकी अर्जी पर हाईकोर्ट ने इस जमीन के मालिकाना हक का सत्यापन करते हुए पाया है कि नामांतरण गलत तरीके से किया गया. चूंकि मामला सेंसिटिव है.
इसलिए अदालत ने भी अपने फैसले में पूरी गंभीरता दिखाते हुए ना केवल जमीन का नामांतरण खारिज किया है,
बल्कि जिन अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा अन्य लोग इस गोरखधंधे में शामिल रहे थे, उनके खिलाफ केस भी दर्ज करने के आदेश दिए हैं.
हाईकोर्ट के इस फैसले पर धर्म रक्षा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सौरभ गौड़ ने खुशी जताई है. कहा कि उनका संगठन शुरू से इस मुद्दे को लेकर मुखर था.
लेकिन उस समय समाजवादी पार्टी की सरकार थी और उन दिनों भोला पठान समेत अन्य लोगों ने षड्यंत्र करके बांके बिहारी मंदिर की इस जमीन को कब्रिस्तान के नाम कर लिया था.
इस गलती के सुधार के लिए कई बार शिकायत दी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. आखिरकार हाईकोर्ट ने इस मामले में न्याय दिया है.
*2004 में ही उक्त भूमि को कब्रिस्तान दर्ज करा लिया गया था*
मथुरा जिले की छाता तहसील के गांव सायपुर में स्थित बांके बिहारी की जमीन का स्वामित्व कब्रिस्तान के नाम पर किए जाने को लेकर अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है।
हाईकोर्ट ने मथुरा जिले की छाता विधानसभा के तहसीलदार को 17 अगस्त के दिन हाईकोर्ट में तलब किया। तहसीलदार को स्पष्टीकरण के साथ हाईकोर्ट ने तलब किया ।
बांके बिहारी मंदिर के नाम जो जमीन दर्ज है, उसको पहले राजस्व अभिलेखों में कब्रिस्तान और फिर पुरानी आबादी के नाम से दर्ज कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने पूछा कि शाहपुर गांव के प्लाट 1081की स्थिति राजस्व अधिकारी द्वारा समय-समय पर क्यों बदली गई है?
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता राघवेन्द्र प्रसाद मिश्र ने बहस की।
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से ही गाटा संख्या 1081 बांके बिहारी महाराज के नाम से दर्ज था। फिर इसे क्यों बदला गया?
उन्होंने आगे कहा कि भोला खान पठान नामक व्यक्ति ने राजस्व अधिकारियों की मिली भगत से 2004 में उक्त भूमि को कब्रिस्तान दर्ज करा लिया।
शाहपुर गांव मेवात के बार्डर का इलाका है। यहां पचास प्रतिशत आबादी मुस्लिम और इतनी ही आबादी हिंदुओं की है। बिहारी जी मंदिर के अभिलेखों में हेरफेर बेहद शातिराना तरीके से किया गया था।
जिस 108 नंबर खसरे की जमीन का प्रस्ताव कब्रिस्तान के लिए किया गया। लखनऊ तक फाइल 108 की ही चली।
लेकिन तहसील में साजिश रच 1081 कर दिया गया। धर्म रक्षा संघ के दबाव पर पुलिस ने जांच की तो खेल सामने आया।