नालंदा ! खिलजी ने जिसे जलाया,मोदी ने उसे भव्य बनाया

नालंदा ! खिलजी ने जिसे जलाया,मोदी ने उसे भव्य बनाया;नालंदा ज्ञान जाने विस्तार से..


नालंदा केवल एक नाम नहीं, बल्कि भारतवर्ष की सशक्त पहचान है- पीएम मोदी


मोदी सरकार नालंदा विश्वविद्यालय को पुराना वैभव दिलाने के प्रयास में जुट गई है। इसी क्रम में पीएम मोदी ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के पास नए कैंपस का उद्घाटन किया। 

2010 में इस विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना होने के बाद से ही यह अस्थाई भवन में चल रहा था। जिसके बाद 2017 में नए कैंपस का निर्माण शुरू किया गया था।

इस दौरान पीएम ने कहा कि मै इसे भारत की विकास के एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूं। नालंदा केवल नाम नहीं, यह पहचान है।

 नालंदा मंत्र, गौरव और गाथा है। आग की लपटों में पुस्तकें में भले जल जाए, लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकती। 

इस दौरान पीएम ने कहा कि मै इसे भारत की विकास के एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूं। नालंदा केवल नाम नहीं, यह पहचान है। नालंदा मंत्र, गौरव और गाथा है। 

आग की लपटों में पुस्तकें में भले जल जाए, लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकती।


आज भारत में योग की सैकड़ों सुविधाएं मौजूद हैं। हमारे ऋषियों ने कितना गहन शोध इसके लिए किया होगा! लेकिन, किसी ने योग पर एकाधिकार नहीं बनाया। 

आज पूरा विश्व योग को अपना रहा है, योग दिवस एक वैश्विक उत्सव बन गया है।


कुछ दिन पहले साइंस हायर एजुकेशन इंपैक्‍ट रैंकिंग आई है। कुछ साल पहले तक इसमें भारत के सिर्फ 13 इंस्‍टीट्यूशन शामिल थे। 

अब इसमें भारत के 100 शिक्षा संस्थान शामिल है। पिछले एक दशक में देश में हर सप्ताह एक यूनिवर्सिटी बनी है। हर दिन एक नई आईटीआई की स्थापना हुई है। 

भारत में हर दिन दो नए कॉलेज बने। आज देश में 23 आईआईटी है। दस साल पहले देश में 13 एम्स थे, आज यह 21 हो गई। 10 साल में मेडिकल कॉलेज की संख्या भी दोगुना हो गई।

 आज भारत के एजुकेशन सेक्टर में रिफॉर्म हो रहे हैं। इसी साल अबू धाबी में आईआईटी दिल्‍ली का कैंपस खुला है। तंजानिया में आईआईटी मद्रास का कैंपस शुरू हो चुका है।


पीएम मोदी ने कहा कि आज हायर एजुकेशन के लिए भारत में ही सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थान खुल रहे हैं। अब भारत के शिक्षण संस्थान ग्लोबल हो रहे।

 नालंदा विवि को भी दुनिया के हर इलाके में जाना है। दुनिया बुद्ध के इस देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाह रही है। नालंदा की यह धरती विश्व बंधुत्व की भावना को नया आयाम दे सकती है। 

आने वाले 25 साल भारत के युवाओं के लिए महत्वपूर्ण है। नालंदा विवि के विद्यार्थिंयो के लिए आने वाले दिन महत्वपूर्ण हैं। 

आप अपने ज्ञान को समाज को एक सकारात्मक बदलाव के लिए प्रयोग करिए। अपने ज्ञान से बेहतर भविष्य का निर्माण कीजिए। नालंदा का गौरव भारत का गौरव है। 

आपके ज्ञान से पूरी मानवता नई दिशा मिलेगी। मुझे विश्वास है कि हमारे युवा आने वाले समय में पूरे विश्व को नेतृत्व देंगे।


पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि नालंदा का अर्थ है कि जहां शिक्षा और ज्ञान के दाह का अविरल प्रवाह हो। शिक्षा सीमाओं से परे है। नफा-नुकसान के नजरियों से भी परे है। शिक्षा ही हमें गढ़ती है। 

उसे विचार और आकार देती है। नालंदा में बच्चों का एडमिशन उनकी पहचान और उनकी राष्ट्रीयता को देखकर नहीं होता था।


पीएम मोदी ने कहा कि नालंदा केवल भारत के ही अतीत का पुर्नजागरण नहीं है। इसमें एशिया के कई देशों की विरासत जुड़ी हुई है। इस कार्यक्रम में उपस्थित मेरे मित्र देशों के प्रतिनिधियों का मैं अभिनंदन करता हूं। 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए नालंदा विश्वविद्यालय का उद्घाटन कर दिया है। यह विवि 455 एकड़ में फैला हुआ है। इसमें कुल 221 संरचनाएं हैं। 

तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के द्वारा 19 सितंबर 2014 को इसके निर्माण की नींव रखी गई थी। 

आर्किटेक्ट बीबी जोशी ने नालंदा विश्वविद्यालय के प्रारूप को डिजाइन किया है। 

विश्वविद्यालय का नया परिसर नालंदा के प्राचीन खंडहरों के करीब ही है. बिहार का नालंदा एक वक्‍त पर दुनिया का सबसे बड़ा शिक्षण केंद्र था और अब 815 सालों के लंबे इंतजार के बाद यह फिर से अपने पुराने स्वरूप में लौट रहा है. 


*"नालंदा विश्वविद्यालय" का इतिहास*--


नालंदा एक प्रशंसित महाविहार था, जो भारत में प्राचीन साम्राज्य मगध (आधुनिक बिहार) में एक बड़ा बौद्ध मठ था। यह साइट बिहार शरीफ शहर के पास पटना के लगभग 95 किलोमीटर दक्षिणपूर्व में स्थित है, और पांचवीं शताब्दी सीई से 1200 सीई तक सीखने का केंद्र था। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है।


नालंदा 5 वीं और छठी शताब्दी में गुप्त साम्राज्य के संरक्षण के तहत और बाद में कन्नौज के सम्राट हर्ष के अधीन विकसित हुए। गुप्त युग से विरासत में मिली उदार सांस्कृतिक परंपराओं के परिणामस्वरूप नौवीं शताब्दी तक विकास और समृद्धि की अवधि हुई। बाद की शताब्दियों में धीरे-धीरे गिरावट का समय था।


नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत का प्रमुख और ऐतिहासिक शिक्षा केंद्र था. इसे दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय माना जाता है, जहां छात्र और शिक्षक एक ही परिसर में रहते थे. 

नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई. में गुप्त सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने की थी. बाद में इसे हर्षवर्धन और पाल शासकों का भी संरक्षण मिला. इस विश्वविद्यालय की भव्यता का अनुमान इससे लगाइए कि इसमें 300 कमरे, 7 बड़े कक्ष और अध्ययन के लिए 9 मंजिला एक विशाल पुस्तकालय था, जिसमें 3 लाख से अधिक किताबें थीं. 


यहां एक समय में 10,000 से अधिक छात्र और 2,700 से अधिक शिक्षक होते थे. छात्रों का चयन उनकी मेधा के आधार पर होता था और इनके लिए शिक्षा, रहना और खाना निःशुल्क था. इस विश्वविद्यालय में केवल भारत से ही नहीं, बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया आदि देशों से भी छात्र आते थे. 


*बख्तियार खिलजी ने किया था बर्बाद*


1193 में बख्तियार खिलजी के आक्रमण के बाद नालंदा विश्वविद्यालय को बर्बाद कर दिया गया था. यहां विश्वविद्यालय परिसर और खासकर इसकी लाइब्रेरी में आग लगाई गई, जिसमें पुस्तकालय की किताबें हफ्तों तक जलती रहीं.


भारत के अलावा 17 अन्‍य देशों की भागीदारी 

नए विश्वविद्यालय ने 2014 में 14 छात्रों के साथ एक अस्थायी स्थान से काम करना शुरू किया. विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य 2017 में शुरू हुआ.

 भारत के अलावा इस विश्वविद्यालय में जिन 17 अन्य देशों की भागीदारी है उनमें ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्रुनेई दारुस्सलाम, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओस, मॉरीशस, म्यांमार, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं. इन देशों ने विश्वविद्यालय के समर्थन में समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं. विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों को 137 छात्रवृत्तियां प्रदान करता है.

Post a Comment

Previous Post Next Post