कही आप भी तो नही खा रहे नकली आम ! आंत सड़ा देंगे ऐसे आम,जहरीले आमों की 1 मिनट में ऐसे करें पहचान
"कैल्शियम कार्बाइड और एसीटिलीन गैस दोनों ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इनके संपर्क में आने से सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, सिरदर्द, उल्टी, और चक्कर आना जैसे लक्षण हो सकते हैं।"
भारत में खाने की चीजों में खूब मिलावट की जाती है। खाने-पीने की चीजों को क्वालिटी और क्वांटिटी बढ़ाने के लिए ऐसे खतरनाक केमिकल मिक्स किये जाते हैं.
जो सेहत को गंभीर और जानलेवा बीमारियों की मुंह में धकेल सकते हैं। गर्मियां हैं और आम का सीजन है, तो कारोबारी आम को जल्दी-जल्दी पकाने के लिए जहरीले रसायन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इन आमों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल किया गया था। कैल्शियम कार्बाइड एक रासायनिक पदार्थ है जिसके इस्तेमाल पर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने बैन लगा रखा है।
इस रसायन के अवशेष आमों में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
भारत में इसका इस्तेमाल फलों को जल्दी पकाने के लिए किया जाता है। इस तरह के पके फल खाने से पेट में अल्सर, अनिद्रा, दिमाग की दिक्कतें, तंत्रिका तंत्र की खराबी और लीवर की समस्या भी हो सकती है।
कुछ लोग कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग फलों, खासकर आमों को जल्दी पकाने के लिए करते हैं।
कैल्शियम कार्बाइड से पके फल स्वादहीन और कम पौष्टिक होते हैं। इसके अलावा, इनमें हानिकारक रसायन भी हो सकते हैं जो सेहत के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।
कैल्शियम कार्बाइड से पके आमों में तेज और अप्रिय गंध होती है, जो एसीटिलीन गैस की वजह से होती है।
कैल्शियम कार्बाइड से पके आमों का स्वाद कच्चा या अधपका हो सकता है, भले ही वे दिखने में पके हुए लगें।
कैल्शियम कार्बाइड से पके आम बाहर से कठोर हो सकते हैं, भले ही वे अंदर से नरम हों।
पकने के बाद भी, ये आम असामान्य रूप से मुलायम हो सकते हैं।
कैल्शियम कार्बाइड से पके आम अक्सर सस्ते दामों पर बिकते हैं।
ये आम मौसम से पहले या बाद में बाजार में आ सकते हैं।
यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण को देखते हैं, तो यह संभावना है कि आम कैल्शियम कार्बाइड से पके हुए हैं। ऐसे आमों का सेवन न करना ही बेहतर है।
कैल्शियम कार्बाइड से पके आमों का रंग असमान होता है। कुछ हिस्से हरे, कुछ पीले, और कुछ लाल रंग के हो सकते हैं।
इन आमों में असामान्य चमक होती है, जो प्राकृतिक रूप से पके आमों में नहीं होती है।
इन आमों पर अधिक झुर्रियां हो सकती हैं, खासकर डंठल के पास।
यह सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। फल पकाने के लिए इसका उपयोग खतरनाक और गैरकानूनी है।
आपको बता दे गर्मियों का मौसम आम के बिना अधूरा है। फलों का राजा कहे जाने वाले आम में कई प्रकार के विटामिन्स और अन्य पोषक तत्व होते हैं जिनकी हमारे शरीर को नियमित रूप से जरूरत होती है।
ये विटामिन-सी का अच्छा स्रोत होने के साथ फाइबर से भी भरपूर होता है जो इम्युनिटी बढ़ाने के साथ पाचन को ठीक रखने में मददगार है।
मसलन आम न सिर्फ स्वाद के मामले में काफी पसंदीदा फल है साथ ही इससे सेहत को भी कई प्रकार के लाभ हो सकते हैं।
जितना हम इस अद्भुत फल को पसंद करते हैं, इससे होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर भी सावधानी बरतना जरूरी है।
ये विरोधाभासी ही है कि फाइबर के कारण आम खाने को पाचन के लिए बेहतर माना जाता है पर अगर इसका अधिक सेवन किया जाए तो इससे सूजन, दस्त, पेट दर्द, अल्सर और अपच की भी समस्या होने का खतरा हो सकता है।
अध्ययनों से पता चलता है कि आम फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर होते हैं जिनकी हमारे शरीर को स्वस्थ रहने के लिए जरूरत होती है।
हालांकि कुछ स्थितियों में इसके अधिक सेवन के कारण शुगर बढ़ने, डायरिया और कई तरह की अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का भी जोखिम हो सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बाजार से लाने के बाद यदि आप अच्छे तरीके से आम को बिना धोए ही खाते हैं तो इसको पकाने के लिए इस्तेमाल किए जाने हानिकारक तत्व पेट में जा सकते हैं जिसके कारण विषाक्तता बढ़ने का खतरा हो सकता है।
कैल्शियम कार्बाइड से पके फल खाने से विषाक्तता होने का खतरा रहता है। इससे त्वचा की गंभीर समस्याओं के साथ पॉइजनिंग और किडनी फेलियर तक का खतरा होता है।
इसलिए आम खाने से पहले उसे कम से कम दो घंटे पानी में भिगाकर रखें और अच्छी तरह से धोकर ही खाएं।
आम का अधिक सेवन करने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, मुख्य रूप से उनमें उच्च फाइबर सामग्री के कारण इस तरह का जोखिम देखा जाता रहा है।
अत्यधिक फाइबर का सेवन करने से पेट में सूजन, गैस, पेट में ऐंठन और दस्त के मामले बढ़ जाते हैं। आम का सेवन सीमित मात्रा में करना सही रहता है। दिन में 3-4 आम से ज्यादा नहीं खाना चाहिए।
आम हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फलों में से एक है जिसका अर्थ है कि अधिक मात्रा में इसका सेवन करने पर यह रक्त शर्करा के स्तर में तेजी से वृद्धि कर सकता है।
मधुमेह वाले व्यक्तियों या इंसुलिन प्रतिरोधी लोगों के लिए इससे शुगर बढ़ने का खतरा हो सकता है।
मीठा रसीला आम खाने में जितना स्वादिष्ट होता है, उतने ही इसके फायदे भी हैं। पेड़ पर पका आम सबसे टेस्टी और हेल्दी माना जाता है,
लेकिन बाजार में जल्दी मुनाफा कमाने के लिए कुछ दुकानदार कैल्शियम कार्बाइड जैसे रसायनों का इस्तेमाल करके आमों को जल्दी पकाते हैं। केमिकल्ज से पके आम खाने से सेहत को कई गंभीर नुकसान हो सकते हैं।
इससे आपको उल्टी, दस्त, कभी-कभी खून के साथ दस्त, अत्यधिक कमजोरी, छाती में दर्द, एसिडिटी और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इतना ही नहीं, इससे त्वचा पर अल्सर होने, आंखों को नुकसान होने, गला खराब होने और निगलने में कठिनाई आदि का भी रिस्क है।
हाइपोक्सिया रासायनिक रूप से पके आम खाने का एक आम दुष्प्रभाव है। हाइपोक्सिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें टिश्यू तक पर्याप्त आक्सीजन नहीं पहुंच पाती है और यह ज्यादातर तब होता है जब रक्त में आक्सीजन का स्तर गिर जाता है।
आमों को जल्दी पकाने के लिए कई तरह के केमिकल इस्तेमाल किए जाते हैं, जिनमें एथिलीन गैस, कैल्शियम कार्बाइड से निकलने वाली एसिटिलीन गैस और इथेफोन शामिल हैं।
आम की पहचान कैसे करें
आम खरीदते समय ध्यान दें कि आम पर कहीं सफेद या ग्रे रंग का पाउडर तो नहीं लगा है। अगर ऐसा पाउडर दिखे तो समझ लें कि ये आम केमिकल से पकाए गए हैं।
आम का रंग देखें
आम की किस्म के हिसाब से रंग अलग हो सकता है। लेकिन अगर रंग में कुछ गड़बड़ लगे तो ये केमिकल से पका हुआ हो सकता है। कभी-कभी केमिकल से पकाए आमों पर हरे धब्बे भी रह जाते हैं, जो प्राकृतिक नहीं लगते। ये धब्बे पीले रंग से आसानी से अलग दिखाई देंगे।
दबाकर चैक करें
पके और मीठे आम की पहचान करने के लिए उसे खरीदते समय हल्का सा दबाकर देखें। आम अगर सॉफ्ट लगे तो ये पके हुए आम की पहचान है, लेकिन अगर आम दबाने पर सख्त महसूस हो, तो हो सकता है आम केमिकल से पकाया हुआ है। चखने में भी केमिकल से पकाए आमों का पता चल सकता है।
इन्हें खाने के बाद मुंह में हल्की जलन हो सकती है। पके आम की महक मीठी होने की संभावना होती है। कभी-कभी उनके तनों पर फलों जैसी सुगंध आती है। आपको तने के सिरे के पास जांच करनी चाहिए, वहां गंध अधिक तीव्र होनी चाहिए। पके आम का रस आसानी से निकल सकता है।
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