अंग्रेजों का कानून खत्म,भारतीय कानून होगा लागू!तारीख पर तारीख से मिलेगी निजात

अंग्रेजों का कानून खत्म,भारतीय कानून होगा लागू!तारीख पर तारीख से मिलेगी निजात


*अब देश में कहीं भी जीरो एफआईआर दर्ज करवा सकेंगे.*


*आतंकवाद को पहली बार किया गया परिभाषित*


*राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर होगी सख्त सजा.आतंकवादी कृत्यों के लिए उम्रकैद व मृत्युदंड की सजा*


*इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल साक्ष्य अब साक्ष्य के रूप में माने जाएंगे*


*नए कानून लागू होने के बाद मुकदमा से लेकर अदालत का फैसला आने तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी*


अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून खत्म हो जाएंगे। 1 जुलाई शुरू होते ही इनकी जगह बने तीन नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे।


केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में गृह मंत्रालय ने 25 दिसंबर, 2023 को तीनों नए आपराधिक कानूनों की अधिसूचना के तुरंत बाद पुलिसकर्मियों, जेल, अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों समेत फॉरेंसिक कर्मियों को जागरूक करने के लिए बड़े स्तर पर काम करना भी शुरू कर दिया था। 

इसके अलावा एनसीआरबी ने नए कानूनों को लागू करने में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मदद के लिए 36 सपोर्ट टीम और कॉल सेंटर भी बनाए हैं। 

ताकि किसी भी राज्य को अगर इन नए कानूनों को लागू करने से संबंधित किसी भी तरह की तकनीकी या अन्य कोई परेशानी आ रही है तो उसे तुरंत दूर किया जा सके।


नए कानूनों के तहत क्राइम स्पॉट, अदालती सुनवाई और इलेक्ट्रॉनिक तरीके से अदालती समन की तामील की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की सुविधा के लिए ई-साक्ष्य, न्यायश्रूति और ई-समन नाम से तीन नए ऐप भी बनाए हैं।


आईपीसी की जगह लेने जा रही भारतीय न्याय संहिता में संगठित अपराध और आतंकवाद की परिभाषा भी तय कर दी गई है. आईपीसी में आतंकवाद की परिभाषा नहीं था. इसके साथ ही कौनसा अपराध आतंकवाद के दायरे में आएगा, इसका जिक्र भी है.


अब देश के बाहर भारत की किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना भी आतंकवादी कृत्य माना जाएगा.


अब तक आतंकवाद की कोई परिभाषा नहीं थी, लेकिन अब इसकी परिभाषा है. इस कारण अब कौनसा अपराध आतंकवाद के दायरे में आएगा, ये निश्चित हो गया है.


भारतीय न्याय संहिता की धारा 113 के मुताबिक, जो कोई भारत की एकता, अखंडता, और सुरक्षा को खतरे में डालने, आम जनता या उसके एक वर्ग को डराने या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने के इरादे से भारत या किसी अन्य देश में कोई कृत्य करता है तो उसे आतंकवादी कृत्य माना जाएगा.


आतंकवाद की परिभाषा में 'आर्थिक सुरक्षा' शब्द को भी जोड़ा गया है. इसके तहत, अब जाली नोट या सिक्कों की तस्करी या चलाना भी आतंकवादी कृत्य माना जाएगा. इसके अलावा किसी सरकारी अफसर के खिलाफ बल का इस्तेमाल करना भी आतंकवादी कृत्य के दायरे में आएगा.


नए कानून के मुताबिक, बम विस्फोट के अलावा बायोलॉजिकल, रेडियोएक्टिव, न्यूक्लियर या फिर किसी भी खतरनाक तरीके से हमला किया जाता है जिसमें किसी की मौत या चोट पहुंचती है तो उसे भी आतंकी कृत्य में गिना जाएगा. 


इन तीन नए कानूनों के लागू होने के बाद क्रिमिनल लॉ सिस्टम में काफी कुछ बदल जाएगा. मसलन, अब देशभर में कहीं भी जीरो एफआईआर दर्ज करवा सकेंगे. 

कुछ मामलों में आरोपी की गिरफ्तारी के लिए सीनियर से मंजूरी लेनी होगी. अब पुलिस कुछ मामलों में आरोपी को हथकड़ी लगाकर गिरफ्तार कर सकती है. 


अब देश में कहीं भी जीरो एफआईआर दर्ज करवा सकेंगे. इसमें धाराएं भी जुड़ेंगी. अब तक जीरो एफआईआर में धाराएं नहीं जुड़ती थीं. 15 दिन के भीतर जीरो एफआईआर संबंधित थाने को भेजनी होगी.


पुलिस को अब पीड़ित को 90 दिन के भीतर उसके मामले से जुड़ी जांच की प्रोग्रेस रिपोर्ट भी देनी होगी. पुलिस को 90 दिन में चार्जशीट दाखिल करनी होगी. 

परिस्थिति के आधार पर अदालत 90 दिन का समय और दे सकती है. 180 दिन यानी छह महीने में जांच पूरी कर ट्रायल शुरू करना होगा.


अदालत को 60 दिन के भीतर आरोप तय करने होंगे. सुनवाई पूरी होने के बाद 30 दिन के अंदर फैसला सुनाना होगा. फैसला सुनाने और सजा का ऐलान करने में 7 दिन का ही समय मिलेगा.


नए कानून में पुलिस कस्टडी को लेकर सख्ती की गई है. अब तक आरोपी को गिरफ्तारी की तारीख से ज्यादा से ज्यादा 15 दिनों के लिए पुलिस कस्टडी में भेजा जा सकता था.

 उसके बाद आरोपी को कोर्ट न्यायिक हिरासत में भेज देती है. लेकिन अब पुलिस गिरफ्तारी के 60 से 90 दिन के भीतर किसी भी समय 15 दिन की कस्टडी मांग सकती है.


भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 43 (3) में गिरफ्तारी या अदालत में पेश करते समय कैदी को हथकड़ी लगाने का प्रावधान किया गया है. 


इस धारा के मुताबिक, अगर कोई कैदी आदतन अपराधी है या पहले हिरासत से भाग चुका है या संगठित अपराध या आतंकवादी गतिविधि में शामिल रहा है, ड्रग्स से जुड़े अपराध करता हो, हथियार या गोला-बारूद, हत्या, दुष्कर्म, एसिड अटैक, नकली सिक्कों और नोटों की तस्करी, मानव तस्वरी, बच्चों के खिलाफ यौन अपराधन या राज्य के खिलाफ अपराध में शामिल रहा हो तो ऐसे कैदी को हथकड़ी लगाकर गिरफ्तार किया जा सकता है या मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जा सकता है.


अब तक सारे कानूनी रास्ते खत्म होने के बाद दया याचिका दायर करने की कोई समय सीमा नहीं थी. लेकिन अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 472 (1) के तहत, सारे कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद दोषी को 30 दिन के भीतर राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर करनी होगी.


राष्ट्रपति का दया याचिका पर जो भी फैसला होगा, उसकी जानकारी 48 घंटे के भीतर केंद्र सरकार को राज्य सरकार के गृह विभाग और जेल के सुपरिंटेंडेंट को देनी होगी.

1 जुलाई से देश भर में लागू हो रहे तीन नए कानूनों को लेकर यूपी पुलिस ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सभी पुलिसकर्मियों को इसे लेकर जानकारियां दी गई. नए कानून लागू होने के बाद मुकदमा से लेकर अदालत का फैसला आने तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. 

इतना ही नहीं भारत आपराधिक न्याय प्रणाली में तकनीकी का इस्तेमाल करने वाला देश भी बन जायेगा. इतना ही नहीं थाने से लेकर कोर्ट के चक्कर लगाने वाले पीड़ितों को तारीखों के मायाजाल से भी मुक्ति मिलेगी.

 नए कानून के तहत न्याय प्रक्रिया से जुड़े सभी संस्थानों के लिए समयबद्ध कार्यवाही और न होने पर जवाबदेही भी तय होगी. इसके तहत 35 आपराधिक धाराओं में कार्यवाही के लिए समय सीमा भी तय कर दी गई है, ताकि तारीख पर तारीख वाली व्यवस्था को खत्म किया जा सके.


यौन उत्पीड़न के मामले में जांच सात दिन में पूरी करनी होगी. इतना ही नहीं किसी का मुकदमा वापस लेने से पहले पीड़ित को सुनवाई को मौका दिया जाएगा. 

आवाज़ का नमूना लेने के लिए हिरासत में लेना जरूरी नहीं होगा. सात साल से अधिक की सज़ा के मामलों में तकनीकी सबूत के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञ को मौके पर जाना होगा.


महिलाओं, बच्चों के खिलाफ अपराधों से संबंधित 35 धाराएं हैं, जिनमें 13 नए प्रावधान शेष में संशोधन.सामूहिक बलात्कार पर 20 साल की कारागार या उम्रकैद.नाबालिक से गैंगरेप में होगी उम्रकैद या मौत की सजा.

यौन संबंध के लिए झूठ बोलकर सम्बंध बनाना होगा अपराध.पीड़िता का बयान महिला अधिकारी की मौजूदगी में होगा.भोगोड़े अपराधी को 10 साल की होगी सजा.भगोड़े अपराधियों की संपत्तियों को जब्त करने के लिए मिलकर कदम उठाए जाएंगे.

भगोड़े अपराधी की गैर मौजूदगी में अदालत में चलेगा मुकदमा.भारत के साथ अन्य देशों में ज़ब्त होगी अपराधी की संपत्ति.अगले 50 सालों में हर संभव तकनीकी बदलाव होंगे.पुलिस और अदालती कार्यवाही का होगा कम्प्यूटराईजेशन.7 साल या उससे अधिक सजा के मामलों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य.

जांच में गवाही दर्ज करना होगा अनिवार्यपुलिस कार्यवाही की पूरी प्रक्रिया की होगी वीडियोग्राफी.बलात्कार पीड़िता के ई बयान का होगा प्रावधान.अदालत में ऑडियो ,वीडियो पेश करने का प्रावधान.गवाह ,अभियुक्त ,विशेषज्ञ ,पीड़ित अदालत में वर्चुल पेश हो सकते है.

बहस पूरी होने के 30 दिनों के अंदर होंगे फैसले.ब्रिटिश काल के राजद्रोह के कानून को किया गया समाप्त.राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर होगी सख्त सजा.आतंकवादी कृत्यों के लिए उम्रकैद व मृत्युदंड की सजा.इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल साक्ष्य अब साक्ष्य के रूप में माने जाएंगे.

पहली बार अपराध करने वाले को एक तिहाई मिली सज़ा पूरी करने पर मिल सकेगी ज़मानत.गवाहों की सुरक्षा के लिए गवाह संरक्षण योजना होगी लागू.

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