एक और माफिया को CM योगी ने मिलाया मिट्टी में ;SP-BSP काल मे फैला था काला साम्राज्य

 एक और माफिया को CM योगी ने मिलाया मिट्टी में ;SP-BSP काल मे फैला था काला साम्राज्य

अतीक,मुख्तार... तथा विकास दुबे जैसे पहले ही मिल चुके है मिट्टी मे


हाजी इकबाल उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायवती का करीबी माना जाता था. साथ ही बसपा से पूर्व विधायक भी रह चुका है.


उत्तर प्रदेश में सीएम योगी की सरकार ने माफियाओं को सबक सिखाया है. कई साल से अपराध और सियासी रसूख की मेवा खाने वाले माफियाओं को योगी सरकार ने ठीक कर दिया है. 


पश्चिम यूपी में खनन माफिया के नाम से मशहूर पूर्व बसपा एमएलसी हाजी इकबाल उर्फ बाला की ED ने करीब 4440 करोड़ रुपए की 121 एकड़ संपति को अटैच कर दिया है.


कभी परचून की दुकान और बोतलों में शहद भरकर बेचने वाला हाजी इकबाल अपराध की दुनिया में इस कदर तरक्की कर आगे बढ़ा कि 5 हजार करोड़ रुपयों से भी ज्यादा का एंपायर खड़ा कर दिया.


माफिया हाजी इकबाल पर भी ईडी ने कार्रवाई कर 4440 करोड़ रुपयों की संपत्ति जब्त कर ली है.


अवैध खनन और जमीनों पर कब्जा समेत हाजी इकबाल के नाम दर्जनों मामले दर्ज हैं. इससे पहले की सरकारों ने हाजी इकबाल पर कार्रवाई करने से किनारा किया था. 

अब योगी सरकार ने इस खनन माफिया को मिट्टी में मिला दिया है.


हाजी इकबाल लंबे समय से फरार चल रहा है और 1 लाख रुपयों का इनामी अपराधी है. हाजी इकबाल के चारों बेटे जेल में हैं और खुद दुबई में छिपकर दिन काट रहा है.


ED ने PMLA 2002 के प्रावधानों के तहत अवैध खनन मामले में अब्दुल वहीद एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट से संबंधित 4,440 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी को कुर्क किया है.


 इकबाल के करीबी बताते है की हाजी इकबाल सहारनपुर मिर्जापुर कस्बे स्तिथ परचून की दुकान चलाया करता था.

 बताया गया कि परचून की दुकान चलाने के दौरान हाजी इकबाल ने मधुमक्खी के छत्ते तोड़कर शहद बोतलों में भरकर बेचने का काम भी किया. उसके बाद जंगलों से चोरी से कटवाकर खैर तस्करी का धंधा किया.


बताया गया कि शुरू से ही बीएसपी में रहकर मायावती का नजदीकी रहा और इस बात का फायदा उठाता रहा. 

वहीं सपा कार्यकाल में भी खनन का कारोबार इकबाल के पास ही रहा. इस दौरान उसने अकूत संपत्ति कमाई.


फिलहाल 1 लाख रुपए का इनामी हाजी इकबाल फरार है और उसके चारों बेटे और भाई सलाखों के पीछे है.


बता दें कि इस संपति पर हाजी इकबाल गैंग द्वारा ग्लोकल यूनिवर्सिटी का निर्माण कराया था.

ये सभी संपत्तियां अब्दुल वहीद एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर पंजीकृत हैं.

 ट्रस्ट का नियंत्रण, प्रबंधन और संचालन मोहम्मद इकबाल, पूर्व एमएलसी और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा किया जाता था.


अपने साझीदारों को धीरे-धीरे अलग करते हुए सारा खनन का कार्य अपने हाथ में ले लिया और बड़ा माफिया बन गया.

 बताया गया कि शुरू से ही बीएसपी में रहकर मायावती का नजदीकी रहा और इस बात का फायदा उठाता रहा.

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