इशिका तनेजा केवल एक अभिनेत्री नहीं हैं, वे एक सनातन प्रचारिका और साध्वी स्वरूप हैं..

आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में इशिका तनेजा बनीं सीता माता — दीपोत्सव ने जगाया धर्म और आत्मगौरव का दीप


अखिलेश यादव दीपोत्सव को व्यर्थ कहते हैं, वे शायद उस तप और आँसू को नहीं समझते जो हमने अयोध्या के लिए बहाए हैं -इशिका तनेजा 

21 अक्टूबर ( नई दिल्ली ) अयोध्या का दीपोत्सव इस वर्ष केवल रोशनी का उत्सव नहीं था, यह धर्म और आत्मगौरव के पुनर्जागरण का क्षण था।


 26 लाख दीपों से आलोकित अयोध्या ने नया गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया, और उसी के बीच, जब मिस वर्ल्ड टूरिज्म और गिनीज़ रिकॉर्ड धारक इशिका तनेजा ने माता सीता का रूप धारण किया, तो पूरा भारत भावविभोर हो उठा।


इशिका तनेजा केवल एक अभिनेत्री नहीं हैं, वे एक सनातन प्रचारिका और साध्वी स्वरूप हैं, जिन्होंने गौसेवा, महिला गुरुकुल और धर्मजागरण अभियानों के माध्यम से समाज में आध्यात्मिक चेतना जगाई है।

 अयोध्या में सीता के रूप में उनका अवतरण केवल अभिनय नहीं था — यह भक्ति, तपस्या और सेवा का संगम था।


“सीता माता बनना मेरे लिए ध्यान था, प्रदर्शन नहीं। हर दीप में मैंने धर्म की जीत और योगी आदित्यनाथ जी की राष्ट्र नीति की ज्योति देखी,” इशिका ने कहा।


इशिका ने योगी आदित्यनाथ जी की सेवाभावना और धर्मनिष्ठ नेतृत्व की गहरी प्रशंसा की —


“योगी जी मुख्यमंत्री नहीं, एक धर्मसेवक की तरह कार्य कर रहे हैं। उन्होंने सिद्ध किया कि जब धर्म और राजनीति साथ चलते हैं, तब रामराज्य साकार होता है। उनकी राष्ट्रनीति भारत के लिए प्रेरणा है।”


दीपोत्सव ने न केवल अयोध्या को जगमगाया, बल्कि हजारों कुम्हारों, महिलाओं और स्थानीय व्यापारियों के जीवन में उजाला लाया। 



यह आयोजन स्थानीय रोजगार, पर्यटन और राज्य की जीडीपी को मजबूत कर रहा है।


“दीपोत्सव खर्च नहीं, आजीविका और आत्मगौरव का पुनर्जन्म है,” इशिका ने कहा।



अखिलेश यादव द्वारा दीपोत्सव को “पैसे की बर्बादी” कहे जाने पर इशिका ने तीखा किन्तु संयमित उत्तर दिया —




“जो दीपोत्सव को व्यर्थ कहते हैं, वे शायद उस तप और आँसू को नहीं समझते जो हमने अयोध्या के लिए बहाए हैं। यह भूमि सदियों से इस प्रकाश की प्रतीक्षा कर रही थी। दीपोत्सव व्यय नहीं — प्रायश्चित और पुनर्जन्म है।”


जनमानस का मानना है कि योगी आदित्यनाथ जी का निर्णय कि इशिका तनेजा सीता माता की भूमिका निभाएं, सर्वथा उचित और प्रेरणादायक था — क्योंकि आज की युवा पीढ़ी के लिए वे धर्म, सौंदर्य और शक्ति का जीवंत प्रतीक हैं।



“जब इशिका जैसी सच्ची प्रचारिका सीता को जीती हैं — तब हर हृदय में आस्था का दीप जल उठता है।”









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Edited by.. VD PANDEY 

(GROUP EDITOR IN CHIEF RDNEWS NEWS GROUP )


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