एक समय जब 'माफिया अतीक' का साथ मिला और काग्रेस(UPA) के हाथ पर आया संकट टल गया

एक समय जब 'माफिया अतीक' का साथ मिला और काग्रेस(UPA) के हाथ पर आया संकट टल गया


काग्रेस का हाथ सदैव आतंकवादी अपराधी और माफियाओ के साथ रहता है!


UPA सरकार के PM मनमोहन सिंह का ‘मेहमान’ कश्मीरी पंडितों का हत्यारा!; वो ‘यासीन मलिक’ जिसे UPA सरकार से मिला भरपूर ‘प्यार’



माफिया अतीक अहमद के महत्वपूर्ण वोट ने 2008 में केंद्र की UPA सरकार परमाणु समझौते को बचाने में मदद की थी , किताब 'बाहुबलीज ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स : फ्रॉम बुलेट टू बैलट' में दावा किया गया है

साल 2008 में जब तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार और अमेरिका के साथ उसके परमाणु समझौते पर संकट के बादल मंडरा रहे थे, तब गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद ने सरकार बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

राजेश सिंह द्वारा लिखित और रूपा पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में उल्लेख किया गया है कि अतीक उन बाहुबलियों में से एक था, जिन्होंने संप्रग सरकार को गिरने से बचाया था. असैन्य परमाणु समझौता करने के सरकार के फैसले पर वाम दलों ने 2008 के मध्य में सरकार को दिया गया अपना बाहरी समर्थन वापस ले लिया था.

पुस्तक के अनुसार, तब अतीक अहमद सहित छह अपराधी सांसदों को 48 घंटे के भीतर विभिन्न जेलों से फर्लो पर छोड़ा गया था. इन छह सांसदों में समाजवादी पार्टी का तत्कालीन लोकसभा सदस्य अतीक अहमद था, जो तत्कालीन इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के फूलपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहा था.पुस्तक के अनुसार, इन बाहुबली सांसदों में से एक उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी का सांसद अतीक अहमद था. उसने अपना वोट डाला था और वह भी संकटग्रस्त संप्रग के पक्ष में. उस समय तक अतीक अहमद खुद को अपराध और राजनीति - दोनों क्षेत्रों में स्थापित कर चुका था.उन्होंने आगे लिखा कि संप्रग को समर्थन देने वाले अन्य सांसदों में ये बाहुबली नेता भी शामिल थे. पुस्तक में कहा गया है, (विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर) मतदान से 48 घंटे पहले सरकार ने देश के कानून तोड़ने वालों में से छह को फर्लो पर जेल से बाहर निकाल दिया था, ताकि वे अपने संवैधानिक दायित्वों को पूरा कर सकें. इन बाहुबली सांसदों पर कुल मिलाकर अपहरण, हत्या, जबरन वसूली, आगजनी सहित 100 से अधिक मामले दर्ज थे.

राजेश सिंह ने लिखा है कि तब समाजवादी पार्टी, अजीत सिंह के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) और एच डी देवेगौड़ा की जनता दल (सेक्युलर) ने संप्रग को अपना समर्थन दिया था. उन्होंने आगे लिखा कि संप्रग को समर्थन देने वाले अन्य सांसदों में ये बाहुबली नेता भी शामिल थे.

आतंकवादी यासीन मलिक को मनमोहन सरकार में मिला ढेर सारा प्यार

यह काग्रेस के लिए कोई पहली बार नही हुआ था कि उन्होने अपने हित साधने मे आतंकवादी और माफियाओ का सहयोग न लिया हो ।इस घटनाक्रम के पहले भी कश्मीर का आतंकवादी जिसने लाखो हिन्दुओ का कत्लेआम कराया था, वह तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह से आकर दिल्ली मे मिला था ।

यासीन मलिक को यूपीए सरकार में कॉन्ग्रेस पार्टी से भी खूब प्यार मिला था। साल 2006 में मनमोहन सिंह ने जेके एलएफ के अध्यक्ष यासीन मलिक को नई दिल्ली में पीएम आवास पर बुलाया और कई मुद्दों पर उससे चर्चा की। आज भी यासीन मलिक के साथ पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की मुस्कुराती फोटो, वीडियो आपको वायरल होती मिल जाएगी।

काग्रेस की तरह ही उस समय  उसी के रंग मे भारत के कुछ मीडिया संस्थान भी रंगे थे।

यही नही 2008 में इंडिया टुडे के कॉन्क्लेव में भी आतंकवादी  यासीन मलिक को यूथ आइकन बनाकर उतारा गया और उसके अलगाववादी संगठन को सेकुलर कहा गया। इस मंच का इस्तेमाल करके मलिक ने पूरे 12 मिनट ऑन टीवी अपने अलगाववादी विचारों का प्रचार प्रसार बुद्धिजीवी बनकर किया था। 

इससे पहले बीबीसी जैसा विदेशी मीडिया भी यासीन को अपने चैनल के माध्यम से हीरो दिखाने का प्रयास कर चुका था और इसी शो में उसने स्वीकार किया था कि उसने कश्मीरी हिंदू रिटायर्ड जज नीलकंठ गंजू को मारा।

इंडिया टुडे और बीबीसी की इस रेस में ध्यान रहे एनडीटीवी भी पीछे नहीं था। एनडीटीवी चैनल के प्राइम टाइम एंकर रवीश कुमार ने साल 2013 में यासीन मलिक को तब बोलने का मंच दिया था जब वह भूख हड़ताल के नाम पर हाफिज सईद के साथ बैठा दिखा था। आपको जानकर शायद हैरानी न हो कि रवीश कुमार इस शो में कश्मीरी पंडितों की हत्या की बात कबूल चुके यासीन को यासीन साहब और सर-सर कहकर बुला रहे थे।


Post a Comment

Previous Post Next Post