हिन्दु OBC के आरक्षण पर INDI GANG का डाका!अवैध रूप से मुस्लिमो को OBC कोटे का दिया लाभ

हिन्दु OBC के आरक्षण पर INDI GANG का डाका!अवैध रूप से मुस्लिमो को OBC कोटे का दिया लाभ


OBC के कोटे मे मुस्लमानो को दे दिया गया आरक्षण;अब चला कानून का चाबुक!


देश में धर्म के आधार पर आरक्षण की कोई व्‍यवस्‍था नहीं है."


"बंगाल ,कर्नाटक ही नहीं,यूपी केरल आन्ध्रप्रदेश तेलंगाना आदि राज्यों में भी खेला हो रहा है।


देश में धर्म के आधार पर आरक्षण की कोई व्‍यवस्‍था नहीं है."


मुस्लिम आरक्षण लोकसभा चुनाव का मुद्दा बन गया है. भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे के आमने-सामने हैं.

 भाजपा लगातार OBC का हक मारने का आरोप लगा रही है.


पश्चिम बंगाल में ओबीसी आरक्षण के मसले पर हाईकोर्ट के फैसले से बवाल मच गया है.


कोलकाता हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में 2010 के बाद जारी पांच लाख से अधिक ओबीसी सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया है.

 इससे राज्य ही नहीं पूरे देश की राजनीति में आरक्षण पर एक फिर बहस छिड़ गई है.

 हाईकोर्ट ने 2012 में राज्य की ममता बनर्जी सरकार द्वारा 77 जातियों को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने संबंधी कानून को ही अवैध करार दिया है.


यहा सारी कहानी  सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पर आधारित है.इसी को आधार बनाकर 2010 में पश्चिम बंगाल की वाम मोर्चा सरकार ने 53 जातियों को ओबीसी की श्रेणी में डाल दिया और ओबीसी आरक्षण सात फीसदी से बढ़ाकर 17 फीसदी कर दिया. 

इस तरह उस वक्त करीब 87.1 फीसदी मुस्लिम आबादी आरक्षण के दायरे में आ गई.इसके बाद ममता की सरकार ने इस सूची को बढ़ाकर 77 कर दिया. 

35 नई जातियों को इस सूची में जोड़ा गया, जिसमें से 33 मुस्लिम समुदाय की जातियां थीं. साथ ही तृणमूल सरकार ने भी राज्य में ओबीसी आरक्षण सात फीसदी से बढ़ाकर 17 फीसदी कर दिया. 

ममता सरकार के इस कानून की वजह से राज्य की 92 फीसदी मुस्लिम आबादी को आरक्षण का लाभ मिलने लगा.


दूसरी तरह, ओबीसी आरक्षण को भी दो वर्गों में बांट दिया गया. 10 फीसदी आरक्षण एक वर्ग को दिया गया, जिसमें से अधिकतर जातियां मुस्लिम समुदाय की थीं. 

दूसरे वर्ग को सात फीसदी आरक्षण मिला जिसमें हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय की जातियां थीं.


सूत्रों के मुताबिक सपा सरकार में इस तरह की व्यवस्था की गई थी. उसमें कई मुस्लिम जातियों को शामिल किया गया था. 

बीजेपी के दावा है कि नियमों के विरुद्ध जाकर ये व्यवस्था की गई थी, जिसके बाद अब इस मामले की गहराई के पड़ताल शुरू की जाएगी, कि ये नियम कैसे बना और इसे कैसे लागू किया जा रहा है. इसके बाद सरकार की ओर से जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं. 


सूत्रों के अनुसार इस कवायद के तहत यह पता किया जाएगा कि मुसलमानों को आखिरकार किस नियम-व्यवस्था के तहत ओबीसी कोटे में आरक्षण दिया जा रहा है.

 खबर के मुताबिक यूपी में ओबीसी को जो 27 फीसद आरक्षण दिया जाता है उसमें मुस्लिमों की लगभग दो दर्जन जातियों को पिछड़ों के कोटे में रिजर्वेशन दिया जाता था. 

ऐसे में इस बात की जाँच की जाएगी कि ये आरक्षण क्यों और कैसे दिया जाता था. 


कर्नाटक का मुस्लिम आरक्षण लोकसभा चुनाव का मुद्दा बन गया है. भाजपा इसे लेकर लगातार कांग्रेस पर हमलावर है. 

पीएम नरेंद्र मोदी ने भी आरोप लगाया है कि कांग्रेस सभी मुस्लिमों को ओबीसी कोटे में डालकर पिछड़ों का हक मार रही है. 

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी कहा है कि कर्नाटक सरकार ने मुस्लिम समुदाय की सभी जातियों को ओबीसी में शामिल कर लिया है जो संवैधानिक रूप से गलत है.


हालांकि कर्नाटक समेत भारत के पांच राज्य ऐसे हैं जहां सभी मुस्लिमों को आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है. 

ऐसा करने के लिए संबंधित राज्यों में सभी मुस्लिमों को ओबीसी मान लिया गया है. कर्नाटक का मामला ताजा है इसीलिए उस पर सवाल उठाया जा रहा है.

 इससे पहले तेलंगाना में भी विधानसभा चुनाव के दौरान इस मुद्दे ने जोर पकड़ा था.


कर्नाटक का मुस्लिम आरक्षण लोकसभा चुनाव का मुद्दा बन गया है. भाजपा इसे लेकर लगातार कांग्रेस पर हमलावर है. 

पीएम नरेंद्र मोदी ने भी आरोप लगाया है कि कांग्रेस सभी मुस्लिमों को ओबीसी कोटे में डालकर पिछड़ों का हक मार रही है.

 राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी कहा है कि कर्नाटक सरकार ने मुस्लिम समुदाय की सभी जातियों को ओबीसी में शामिल कर लिया है जो संवैधानिक रूप से गलत है.


दरअसल देश में आरक्षण की जो व्यवस्था है वह धर्म के आधार पर न होकर सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित लोगों के लिए है. 

भारत में जिन मुस्लिमों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है वह मुस्लिमों की वो जातियां हैं जो पिछड़े वर्ग में शामिल हैं. 

 हालांकि कर्नाटक समेत भारत के पांच राज्य ऐसे हैं जहां सभी मुस्लिमों को आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है. ऐसा करने के लिए संबंधित राज्यों में सभी मुस्लिमों को ओबीसी मान लिया गया है. 

कर्नाटक का मामला ताजा है इसीलिए उस पर सवाल उठाया जा रहा है. इससे पहले तेलंगाना में भी विधानसभा चुनाव के दौरान इस मुद्दे ने जोर पकड़ा था.


देश में उन्हीं मुस्लिम जातियों को आरक्षण मिलता है जो या तो केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल हैं या फिर राज्य की. समय-समय पर राज्य इन सूचियों में फेरबदल करते हैं और आरक्षण से छेड़छाड़ के बिना अन्य जातियों को इसमें शामिल कर लेते हैं. हालांकि देश में कर्नाटक समेत पांच राज्य ऐसे थे जहां सभी मुसलमानों को ओबीसी में शामिल किया गया था. 

इनमें केरल और तमिलनाडु सबसे आगे हैं. इसके अलावा तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक इस सूची में शामिल हैं. 

खासतौर से तेलंगाना में निवर्तमान सीएम के चंद्रशेखर राव लगातार मुस्लिमों के लिए ओबीसी की उप श्रेणी में फिक्स 4 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 12 प्रतिशत करना चाहते थे. 

उन्होंने विधानसभा में भी एक प्रस्ताव पास किया था, जिसे केंद्र सरकार ने नामंजूर कर दिया था.

बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश राजस्थान समेत उत्तर भारत के सभी राज्यों में मुस्लिमों की पिछड़ी जातियों को ही ओबीसी कोटे के आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है. 

समय-समय पर मुस्लिम समुदाय की पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ देने के लिए ओबीसी कोटे में शामिल कर लिया जाता है.


आरक्षण पर कर्नाटक में जो बहस छिड़ी है इसका खुलासा राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने किया था. दरअसल आयोग को जानकारी मिली थी की कर्नाटक में ओबीसी कोटे में खेल हुआ है.

 इसकी जांच की गई तो सामने आया कि पिछले साल सरकारी पीजी मेडिकल कॉलेज की 930 सीटों में से 150 सीटों पर मुस्लिम वर्ग को आरक्षण का लाभ दिया गया जो कुल 16 प्रतिशत है.

 इस जांच में यह भी सामने आया था कि आरक्षण का लाभ पाने वाली कई मुस्लिम जातियां ऐसी हैं जो पिछड़ों में नहीं आतीं. इस मामले में कर्नाटक के मुख्य सचिव को भी तलब किया गया है.

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