औरंगजेब क्रूर मुगल शासक था;जिहादी को बाप बताने वाले गद्दारो को फांसी हो

औरंगजेब क्रूर मुगल शासक था;जिहादी को बाप बताने वाले गद्दारो को फांसी हो


काशी, मथुरा, सोमनाथ विध्वंस से संभाजी, गुरु तेग बहादुर के सिर काटने तक, औरंगजेब की क्रूरता की लिस्ट बहुत लंबी है


भारत का इतिहास ऐसी हजारों घटनाओं से भरा पड़ा है, जो ये बताती हैं कि औरंगजेब क्रूर मुगल शासक था. वर्ष 1658 से 1707 तक औरंगजेब ने भारत के 15 करोड़ लोगों पर लगभग 49 साल तक राज किया. इस दौरान उसके आदेश पर कई मंदिरों को तोड़ा गया.


औरंगजेब मुगलों के इतिहास का एकमात्र ऐसा बादशाह रहा हुआ जिससे सबसे ज्यादा लोगों ने नफरत की. पिता शाहजहां को कैद कराया. सल्तनत हासिल करने के लिए भाई दाराशिकोह की हत्या कराई. जनता पर जुल्म किए. गैर-मुस्लिमों से अधिक कर वसूला.


औरंगजेब ने तुड़वा डाले थे हिंदुओं के मंदिर

मुगलकाल के अंतिम समय में औरंगजेब ने खूब आतंक मचाया था। 31 जुलाई 1658 में औरंगजेब मुगल बादशाह बना। तभी से उसका आतंक शुरू हो गया था। उसने सैंकड़ों मंदिर तुड़वा दिए थे। उसने वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा का केशवराय मंदिर तुड़वाया था। उसने वीर छत्रपति शिवाजी के राज्य को हड़पने का प्रयास किया, वहीं उसने सिख साम्राज्य को ध्वस्त करने का कार्य भी किया। उसने गुजरात और मध्यप्रदेश में भी आतंक मचा रखा था। मुगल सेना से लोहा लेते हुए औरछा की रानी सारंधा ने वीरगति को प्राप्त किया था। 


औरंगजेब ने हिंदूओं पर लगाया था जजिया कर

औरंगजेब के अत्याचारों से उसके इलाके के सारी हिंदू जनता परेशान थी। उसने हिंदुओं पर जजिया कर लगा दिया था। यह आदेश भी जारी कर दिया था कि सारे ब्राह्मणों का सफाया कर दिया जाए। इस आदेश के बाद इनाम का फरमान भी जारी किया। उसने फरमान जारी किया कि जो जितने ब्राह्मणों को मारकर जितनी जेनऊ लाएगा, उसे उतनी स्वर्ण अशर्फियां दी जाएंगी। इस तरह औरंगजेब से पूरा भारत त्रस्त था। उसी दौर में कश्मीर के पंडितों को खत्म करने का भी फरमान जारी किया था। 1674-75 के बीच कश्मीर के सूबेदार इफ्तार खान को औरंगजेब ने आदेश दिया था कि एक भी कश्मीरी पंडित बचना नहीं चाहिए। 


कौन था औरंगजेब और कहा पैदा हुआ था

औरंगजेब का जन्म 3 नवंबर 1618 को गुजरात के दाहोद में हुआ था। वह शाहजहां और मुमताज महल की छठी संतान और तीसरा बेटा था। उसका पूरा नाम मुहिउद्दीन मोहम्मद है, लेकिन उसे औरंगजेब या आलमगीर के नाम से जाना जाता था। वह भारत पर राज करनेवाला छठा मुगल शासक था। जिसने भारतीय उपमहाद्वीप पर आधी सदी से भी अधिक समय तक राज किया। वो अकबर के बाद सबसे अधिक समय तक शासन करनेवाला मुगल शासक था। 


औरंगजेब ने तुड़वा डाले थे हिंदुओं के मंदिर

मुगलकाल के अंतिम समय में औरंगजेब ने खूब आतंक मचाया था। 31 जुलाई 1658 में औरंगजेब मुगल बादशाह बना। तभी से उसका आतंक शुरू हो गया था। उसने सैंकड़ों मंदिर तुड़वा दिए थे। उसने वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा का केशवराय मंदिर तुड़वाया था। उसने वीर छत्रपति शिवाजी के राज्य को हड़पने का प्रयास किया, वहीं उसने सिख साम्राज्य को ध्वस्त करने का कार्य भी किया। उसने गुजरात और मध्यप्रदेश में भी आतंक मचा रखा था। मुगल सेना से लोहा लेते हुए औरछा की रानी सारंधा ने वीरगति को प्राप्त किया था। 



औरंगजेब ने हिंदूओं पर लगाया था जजिया कर

औरंगजेब के अत्याचारों से उसके इलाके के सारी हिंदू जनता परेशान थी। उसने हिंदुओं पर जजिया कर लगा दिया था। यह आदेश भी जारी कर दिया था कि सारे ब्राह्मणों का सफाया कर दिया जाए। इस आदेश के बाद इनाम का फरमान भी जारी किया। उसने फरमान जारी किया कि जो जितने ब्राह्मणों को मारकर जितनी जेनऊ लाएगा, उसे उतनी स्वर्ण अशर्फियां दी जाएंगी। इस तरह औरंगजेब से पूरा भारत त्रस्त था। उसी दौर में कश्मीर के पंडितों को खत्म करने का भी फरमान जारी किया था। 1674-75 के बीच कश्मीर के सूबेदार इफ्तार खान को औरंगजेब ने आदेश दिया था कि एक भी कश्मीरी पंडित बचना नहीं चाहिए। 


औरंगजेब ने कबूल करवाया था इस्लाम

उसी काल में औरंगजेब ने यह फरमान जारी कर दिया था कि सभी हिंदुओं से कह दो कि इस्लाम धर्म कबूल करे या मौत को गले लगा ले। इस फरमान से हिंदू शासकों और जनता में काफी डर बैठ गया था। कईयों ने इस्लाम कबूल कर लिया। लेकिन कश्मीरी पंडितों को यह नागवार गुजरी। तभी इस आतंक का शिकार सबसे ज्यादा कश्मीरी पंडित हुए थे।


उसने पूरे साम्राज्य में शरियत के मुताबिक फतवा ए आलमगिरी लागू किया। कुछ समय के लिए गैर मुसलमान पर ज्यादा टैक्स लगा दिया गया।इतिहासकार कहते हैं कि औरंगजेब ने अपने शासनकाल में हिंदुस्तान की जनता पर क्रूरतम अत्याचार किए। उसने अपने राज में हिंदुओं के लिए बेहद कठोर नियम बनाए। उसने अपने शासन करने का तरीका इस्लाम आधार पर लागू किया और हिंदुओं के धार्मिक स्थानों पर टैक्स लगा दिया। इसी के साथ उसने हिंदू रीति-रिवाज से मनाए जाने वाले त्योहारों पर प्रतिबंध लगा दिया।


काशी, मथुरा, सोमनाथ विध्वंस से संभाजी, गुरु तेग बहादुर के सिर काटने तक, औरंगजेब की क्रूरता की लिस्ट बहुत लंबी है


 हिंदुस्तान में औरंगजेब का मतलब क्रूरता है।जिसके शासनकाल में बेहिसाब हिन्दुओं के मारने के साथ मंदिरों को निशाना बनाया गया। औरंगजेब मजहबी तौर पर कट्टर शासक था जिसके राज में हिंदुओं और सिखों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया गया। औरंगजेब को जब कभी भी याद किया जाएगा तो उसके क्रूरता, मंदिर को तोड़ने, जजिया कर लगाने और सबसे बढ़कर भारतीय समुदाय पर अत्याचार करने के लिए ही याद किया जाएगा।  


*जवाहर लाल नेहरू* ने भी 1946 में प्रकाशित अपनी किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया में औरंगजेब को एक धर्मांध और पुरातनपंथी शख्स के रूप में पेश किया।


*संभाजी को इस्लाम कबूलने के लिए मजबूर करते हुए आंखे निकाल ली*


शिवाजी के पुत्र सांभाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य पर काबिज होने में सफलता पाई थी। संभाजी से नाराज उनका साला गनोजी शिर्के धोखे से अपने जीजा को मुगलों के हवाले कर देता हैं। उन्हें बंधक बनाकर औरंगजेब के सामने पेश किया जाता है। उन्हें कई दिन तक अमानवीय यातनाएं दी जाती हैं। सबसे पहले तो संभाजी महाराज की जीभ काट कर उन्हें रात भर तड़पने के लिए छोड़ दिया गया। फिर लोहे की गर्म सलाखें घोपकर उनकी आंखें तक निकाल ली जाती हैं, लेकिन वे मुगलों के सामने घुटने नहीं टेकेते हैं। अपनी जान और राजपाट बचाने के लिए इस्लाम स्वीकार नहीं करते हैं और धर्म एवं राष्ट्र की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहूति दे देते हैं। औरंगज़ेब ने अपना डर कायम रखने के लिए और हिन्दुओं की रूह कँपाने के लिए संभाजी के सिर को कई शहरों में घुमाया। 


भाई दाराशिकोह की हत्या कराई और पिता को कैद कर लिया था

शाहजहांनामा के मुताबिक औरंगजेब से हारने के बाद दारा शिकोह को जंजीरों से जकड़कर दिल्ली लाया गया और उसके सिर को काटकर आगरा फोर्ट भेजा गया, जबकि उनके धड़ को हुमायूं के मकबरे के परिसर में दफनाया गया था। औरंगजेब कितना क्रूर था उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब 1659 में उसका बड़ा भाई दारा शिकोह पकड़ा गया तो औरंगजेब ने उसे और 14 साल के बेटे शिफिर शिकोह को तपती गड़पी में खुजली की बीमारी से ग्रसित हाथियों पर बैठाकर दिल्ली की सड़कों पर घुमाया था। अपनी महत्वकांक्षा के लिए औरंगजेब ने अपने पिता को साढ़े सात साल तक कैद में रखने से नहीं चूका।


हिन्दुओं के सभी मंदिरों और पाठशालाओं को गिरा दें

औरंगजेब ने पूरे देश में फैले अपने सभी सूबेदारों को खास फरमान जारी किया। सभी सूबेदार अपनी इच्छा से हिन्दुओं के सभी मंदिरों और पाठशालाओं को गिरा दें। मूर्ति पूजा को पूरी तरह से बंद करवा दें। इस आदेश के बाद 2 सितंबर 1669 को औरंगजेब को खबर दी गई कि काशी के प्रसिद्ध विश्वनाथ मंदिर को गिरा दिया गया है। औरंगजेब द्वारा काशी विश्वनाथ के विध्वंस को लेकर इतिहासकारों में मतभेद नहीं है। औरंगजेब की सबसे प्रमाणिक जीवनी मासिर ए आलमगीरी में भी इस घटना का जिक्र किया गया है। इस बात को इतिहासिक तौर पर भी माना जाता है कि मंदिर तोड़कर ज्ञानव्यापी मस्जिद का निर्माण हुआ और औरंगजेब ने ही मंदिर तोड़ने के आदेश दिए थे। औरंगजेब के जीवन पर लिखी गई सबसे प्रमाणिक किताब मासिर ए आलमगीरी जिसे साकी मुस्ताद खान ने लिखा है। जो मुगलों के दरबारी इतिहासकार थे। साथ में वो मुगल शासक के वक्त फतवे-फरमान और दस्तावेजों के भी गवाह थे। इस किताब में औरंगजेब के द्वरा काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़े जाने की घटना का पूरा जिक्र मौजूद है। 


श्रीकृष्ण जन्मभूमि के आधे हिस्से पर ईदगाह बना दी


श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर को भी उसी समय तोड़ा गया। इसका अभिलेखीय साक्ष्य भी है कि कब ऐसे आदेश दिए गए। औरंगजेब के कोर्ट में एक 'मुहतसिब' होता था, जो धार्मिक आचरण को नियंत्रित करता था और उसी की सलाह पर औरंगजेब ने मंदिरों को तोड़ने का अभियान चलाया।' औरंगजेब की तरफ से जन्मभूमि के आधे हिस्से पर ईदगाह बना दी गई, जो आजतक कायम है।


सोमनाथ मंदिर को दो बार तोड़ने के आदेश जारी किए


औरंगजेब ने अपने शासनकाल में गुजरात के सोमनाथ मंदिर को भी दो बार तोड़ने के आदेश जारी किए। मुस्लिम क्रूर बादशाह औरंगजेब के काल में सोमनाथ मंदिर को दो बार तोड़ा गया- पहली बार 1665 ईस्वी में और दूसरी बार 1706 ईस्वी में। 1665 में मंदिर तुड़वाने के बाद जब औरंगजेब ने देखा कि हिन्दू उस स्थान पर अभी भी पूजा-अर्चना करने आते हैं तो उसने वहां एक सैन्य टुकड़ी भेजकर कत्लेआम करवाया। मुराक़त ए अबुल हसन के मुताबिक अपने शासनकाल के 10-12 सालों में ही औरंगजेब ने हर उस मंदिर को तुड़वा दिया जिसे ईट या मिट्टी से बनाया गया था।


*सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर का हत्यारा*


औरंगजेब ने जब कश्मीरी ब्राह्मणों को इस्लाम कबूल करने पर मजबूर किया, तो उन्होंने  सिक्खों के नौवें गुरु तेगबहादुर से मदद मांगी। तेगबहादुर ने इसका विरोध किया तो औरंगजेब ने उन पर भी इस्लाम स्वीकार करने का दबाव डाला। पर गुरु तेगबहादुर जी नहीं झुके। उन्होंने कहा हम शीश कटा सकते हैं, केश नहीं। यह सुनकर वह गुस्से से लाल हो गया और फिर उसने नानक जी का सबके सामने सिर कटवा दिया। इस दिन को सिक्ख आज भी अपने त्यौहारों में याद करते हैं।


उसने अपने शासन काल में क्रूरता की हद कर दी थी। उसने हिन्दू औरतों पर बहुत अत्याचार किए। उसकी अय्याशी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1669 में जब उसने मंदिर को गिराने का आदेश दिया था तब कई हिंदु मारे भी गए थे। उसने यह आदेश भी दिया था कि उनकी पत्नियां अपनी। इज्जत बचाने के लिए आत्महत्या ना कर सके।


*भगवान श्री कृष्ण की दीवानी बेटी को किया कैद*


जैबुन्निसा ने किसी कार्यक्रम के दौरान बुंदेला महाराजा छत्रसाल को देखा तो वह उसको अपना दिल दे बैठी। यह बात औरंगजेब को नागवारा हुई क्यों कि महाराजा छत्रसाल को वह अपना दुश्मन मानता था।

औरंगजेब ने उसे 1691 में दिल्ली के सलीमगढ़ किले में कैद करवा दिया गया।पिता से नाराज राजकुमारी कैद में श्रीकृष्ण भक्त हो गईं और काफी सारी रचनाएं कृष्ण भक्ति में डूबकर लिखीं। वे किले में कैद होकर भी गजलें, शेर और रुबाइयां लिखती रहीं।

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