सामूहिक रुद्राभिषेक एवं पार्थिव शिवलिंग का 51 जोड़े सहित 101 लोगों ने किया पूजन

Lord shiva :सामूहिक रुद्राभिषेक एवं पार्थिव शिवलिंग का 51 जोड़े सहित 101 लोगों ने किया पूजन

प्रयागराज : वेदांग ज्योतिष संस्थान प्रयागराज की तरफ से श्रावण मास में मांस पर्यंत प्रतिदिन रुद्राभिषेक चल रहा था।


जिसके क्रम में आज 27 अगस्त एकादशी को श्रावण मास के पवित्र पावन पर्व में सामूहिक रुद्राभिषेक एवं पार्थिव शिवलिंग पूजन का कार्यक्रम रखा गया।

जिसमें 51 जोड़े सहित 101 लोगों ने भाग लिया। यह प्रोग्राम पूरी तरह निशुल्क रखा गया था ।जिसमें मुख्य आयोजन के रूप में पंडित  अवनीश शुक्ला अपने परिवार सहित उपस्थित रहे ।

इस अभिषेक का उद्देश्य मानव मात्र का कल्याण, राष्ट्र प्रेम एवं भगवत आराधना है ।जिस कार्यक्रम के माध्यम से राष्ट्र का संदेश के रूप में स्वच्छ एवं निर्मल गंगा के विषय में जानकारी दी गई एवं लोगों ने सभी नदियों को स्वच्छ एवं साफ रखने का संकल्प लिया।


पर्यावरण की सुरक्षा सहित राष्ट्र  चिंतन किया गया जिसमें ज्योतिषाचार्य अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि यह कार्यक्रम प्रत्येक वर्ष निःशुल्क किया जाता है। 

जिसमें अधिक से अधिक लोग आकर इस पावन पवित्र मां गंगा की गोद में भगवान शिव की आराधना कर अपने जीवन को धन्य कर करते  हैं ।
जिसमे सभी लोगों के ग्रह दोष वास्तु दोष पितृ दोष समस्त दोष का समन होता है।

ज्योतिषाचार्य अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि सावन में रुद्राभिषेक का महत्व


भगवान शिव के षडाक्षरी मंत्र– ॐ नम:शिवाय का जप करते हुए रुद्राभिषेक करने से इसका पूर्ण लाभ मिलता है. रूद्राभिषेक करने से परिवार में सुख-शांति और सफलता आती है. 

रुद्राभिषेक में भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने का विशेष महत्व है. इससे संतान प्राप्ति करने की इच्छा पूरी होती है.

सावन के महीने में पूरे विधि-विधान से शिव जी की आराधना की जाती है. सावन का महीना बहुत ही पवित्र होता है और महादेव को यह महीना अत्यंत प्रिय है.


सावन के महीने में लोग भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा-आराधना करते हैं. इस महीने भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करने के खास महत्व होता है.

रुद्राभिषेक में शंकर भगवान के रुद्र अवतार की पूजा की जाती है. यह भगवान शिव का प्रचंड रूप माना जाता है जो समस्त ग्रह बाधाओं और समस्याओं का नाश करता है. 

रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक करना. रुद्राभिषेक में शिवलिंग को पवित्र स्नान कराकर उसकी पूजा-अर्चना की जाती है.

मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में रुद्र ही सृष्टि का कार्य संभालते हैं, इसलिए इस समय रुद्राभिषेक करना अत्यंत फलदायी होता है. रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रूद्र हैं और रुद्र ही शिव है.

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