Chandrayaan-3 :चंद्रयान-3 मिशन के तहत चांद फतह करने वाली इसरो टीम के नायक और उनकी जिम्मेदारी

 Chandrayaan-3 :चंद्रयान-3 मिशन के तहत चांद  फतह करने वाली इसरो टीम के नायक और उनकी जिम्मेदारी


चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रयान-3 की सॉफ़्ट लैंडिंग कराने के साथ ही भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है.



इसी महीने रूस ने भी चंद्रमा पर अपना मिशन लूना-25 भेजा था और उसे चंद्रयान-3 से दो दिन पहले ही सतह पर उतरना था लेकिन वो क्रैश हो गया.


ऐसे में भारत की कामयाबी की पूरी दुनिया में तारीफ़ हो रही है. रूस के राष्ट्रपति ने खुद बधाई दी है.


अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रमुख बिल नेल्सन ने इसरो को बधाई देते हुए कहा "चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग की बधाई. चंद्रमा पर किसी अंतरिक्ष यान की सफल सॉफ़्ट लैंडिंग कराने वाला दुनिया का चौथा देश बनने पर भारत को बधाई. हमें इस मिशन में आपका भागीदार बनने की ख़ुशी है."


भारत की इस ऐतिहासिक क़ामयाबी के पीछे इसरो के सैकड़ों वैज्ञानिकों का संयुक्त प्रयास है लेकिन ख़ासकर चार वैज्ञानिक इस पूरे मिशन का चेहरा रहे हैं.


*मोहन कुमार* मिशन डायरेक्टर

एस मोहन कुमार विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं और चंद्रयान-3 मिशन के डायरेक्टर हैं.


मोहन कुमार एनवीएम3-एम-3 मिशन के तहत वन वेब इंडिया 2 सैटेलाइट के सफल व्यावसायिक लॉन्च में भी डायरेक्टर के तौर पर काम कर चुके हैं.


मोहन कुमार ने कहा, “एलएम3-एम04 ने एक फिर सिद्ध किया कि वो इसरो का हैवी लिफ़्ट व्हीकल है. इसरो परिवार को टीमवर्क के लिए बधाई.”



*एस सोमनाथ, इसरो चेयरमैन*

कहा जा रहा है कि भारत के महत्वाकांक्षी मून मिशन के पीछे एस सोमनाथ की बड़ी भूमिका है.


गगनयान और सूर्य मिशन आदित्य-एल-1 समेत इसरो के अन्य अंतरिक्ष अभियानों को रफ़्तार देने का भी श्रेय उन्हें दिया जाता है.


इसरो के प्रमुख की ज़िम्मेदारी निभाने से पहले एस सोमनाथ विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर डायरेक्टर भी रह चुके हैं.


लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर मुख्य रूप से इसरो के लिए रॉकेट टेक्नोलॉजी विकसित करता है.


जब चंद्रयान3 का प्रक्षेपण किया गया उस समय सोमनाथ ने कहा था, “चंद्रयान-3 अपने सटीक कक्षा में पहुँच गया है और उसने चांद की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है. यान बिल्कुल ठीक है...”


बुधवार को चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद एस सोमनाथ ने कहा, "चंद्रयान-2 की असफलता से हमने काफ़ी कुछ सीखा और आज हम सफल हुए हैं."


उन्होंने कहा कि सूर्य मिशन पर जाने वाले अंतरिक्ष यान आदित्य एल-1 को श्रीहरिकोटा से अगले महीने छोड़ा जा सकता है.


*कल्पना के* डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर, चंद्रयान-3

कल्पना के चंद्रयान-3 टीम का नेतृत्व किया. उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान भी दृढ़ इच्छाशक्ति के सहारे सारी चुनौतियों का सामना करते हुए मिशन के काम को आगे बढ़ाया.


भारत के सैटेलाइन प्रोग्राम के पीछे इस प्रतिबद्ध इंजीनियर की बड़ी भूमिका रही है.


कल्पना ने चंद्रयान-2 और मंगलयान मिशन में भी मुख्य भूमिका निभाई है.


कल्पना के ने पत्रकारों से कहा, "सालों से जिस मक़सद को हम हासिल करना चाह रहे थे और हमें इस पल का इंतज़ार था, आज हमने बिल्कुल सटीक परिणाम हासिल किया."


*ए राजाराजन

लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड के प्रमुख

ए राजाराजन सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा के डायरेक्टर और वैज्ञानिक हैं.


मानव अंतरिक्ष मिशन प्रोग्राम – गगनयान और एसएसएलवी के मोटर को लेकर काम करते हैं.


लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड असल में लॉन्च की हरी झंडी देता है.


*एम शंकरन, यूआर राव* सैटेलाइट सेंटर डायरेक्टर

एम शंकरन यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर हैं.


कम्युनिकेशन, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, मेटीरियोलॉजी और दूसरे ग्रहमों पर खोज जैसे क्षेत्रों में अहम भूमिका निभाते हैं.


जून 2021 में उन्होंने इसरो के लिए सभी सैटेलाइट के डिज़ाइन और डेवलपमेंट की जिम्मा देखने वाले सेंटर के प्रमुख का पद संभाला.


*एस उन्नीकृष्णनन नायर* विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, डायरेक्टर

एस उन्नीकृष्णन नायर केरल के तिरुअनंतपुरम के थुम्बा विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के प्रमुख हैं.


वो और उनकी टीम इस अहम मिशन के मुख्य संचालन के लिए ज़िम्मेदार थी.


जियोसिंक्रोनस सैटेलाइल लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) मार्क-III, जिसे लॉन्च व्हीकल मार्क-III नाम दिया गया था, इसे भी विक्र साराभाई स्पेस सेंटर ने ही तैयार किया था.


*एम शंकरन, यूआर राव* सैटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर

एम शंकरन यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के प्रमुख हैं और उनकी टीम इसरो के लिए भारत के सभी उपग्रहों को बनाने की ज़िम्मेदारी निभाती है.


चंद्रयान-1, मंगलयान और चंद्रयान-2 सैटेलाइट के निर्माण में शंकरन शामिल रहे.


चंद्रयान तीन उपग्रह का तापमान संतुलित रहे, इस बात को सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी शंकरन की थी.


असल में सैटेलाइट के अधिकतम और न्यूनतम तापमान की टेस्टिंग एक पूरी प्रक्रिया का बेहद अहम हिस्सा होता है.

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