दिवाली(Diwali) का पर्व है 5 दिवसीय;महालक्ष्मी(Mahalaxmi) वर्ष 2024 का आरंभ दिवाली के दिन हो रहा है

 दिवाली(Diwali) का पर्व है 5 दिवसीय;महालक्ष्मी(Mahalaxmi) वर्ष 2024 का आरंभ दिवाली के दिन हो रहा है


इस दिन बहुत ही मंगलकारी सर्वार्थ सिद्धि योग, गजकेसरी योग, आयुष्मान योग और प्रीति योग जैसा महायोग बन रहे हैं


आज छोटी दिवाली और नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जा रहा है और यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह दीपावली महापर्व का दूसरा दिन है और इस दिन कई दिव्य संयोग बन रहे हैं, जिसका लाभ साल 2024 तक मिलेगा। इस दिन बहुत ही मंगलकारी सर्वार्थ सिद्धि योग, गजकेसरी योग, आयुष्मान योग और प्रीति योग जैसा महायोग बन रहे हैं, जिससे छोटी दिवाली का पर्व बहुत ही प्रभावशाली माना जा रहा है। साथ ही छोटी दिवाली पर शनिदेव अपनी मूल त्रिकोण राशि में कुंभ में विराजमान रहेंगे। इन शुभ योग का लाभ कुछ राशियों को मिलने जा रहा है, जिससे साल 2024 में उनकी आमदनी में वृद्धि होगी और सभी संकट भी दूर होंगे। 


महालक्ष्मी वर्ष 2024 का आरंभ दिवाली के दिन हो रहा है. दिवाली के बाद ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है. इस बार दिवाली से ही शनि पूरे साल कुंभ राशि में रहेंगे, जबकि राहु पूरे साल मीन राशि में और केतु पूरे साल कन्या राशि में गोचर करेगा. इसी बीच, गुरु इस साल वृषभ राशि में गोचर करेंगे. ग्रहों की इन स्थितियों के बीच आने वाला साल 5 राशियों के लिए शुभ फल देने वाला है.

दिवाली यानि खुशियों का पर्व. दिवाली हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो न केवल भारत बल्कि नेपाल, पाकिस्तान, अमेरिका, यूरोप, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका और जहां भी भारतीय रहते हैं वहां पर ये पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. दिवाली के पर्व से जुड़ी क्या मान्यताएं हैं. इस पर्व का क्या हिंदू धर्म में महत्व है?


दिवाली का इतिहास, बड़ा ही रोचक (Diwali History)

दिवाली का पर्व भगवान राम की विजय से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि दशहरा पर लंकापति रावण का वध कर भगवान राम माता सीता को लेकर अयोध्या (Ayodhya) लौटे थे. अपने राजा के आगमन पर अयोध्यावासियों ने दीपक जलाकर, पटाखे फोड़कर और मिठाई बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया था. यहीं से दिवाली का पर्व मनाना की पंरपरा का आरंभ हुआ.


दिवाली के पर्व का वर्णन पद्म पुराण और स्कंद पुराण में भी मिलता है. वहीं इसके पीछे खगोलीय घटना भी है. ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार ग्रहों का राजा सूर्य कार्तिक मास में अपनी स्थिति में बदलाव करता है. दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगती हैं. वहीं एक मान्यता ये भी है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था. यमराज-नचिकेता की कथा भी इस पर्व से जुड़ी हुई है.


दिवाली का पर्व है 5 दिवसीय

दिवाली का पर्व पांच दिवसीय होता है. इन 5 दिनों में अलग-अलग पर्व मनाये जाते हैं जिन्हें अलग- अलग नामों से जाना जाता है.



धनतेरस 2023 (Dhanteras 2023)- कार्तिक त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. धनतेरस से ही दिवाली पर्व की शुरुआत हो जाती है. धनतेरस पर लक्ष्मी जी और कुबेर भगवान की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन घर, मकान, भूमि़, कार, बाइक, बर्तन, सोना, आभूषण आदि चीजों की खरीदारी का विशेष महत्व है.


छोटी दिवाली 2023 (Chhoti Diwali 2023)- दिवाली के पर्व का ये विशेष त्यौहार है. छोटी दिवाली पर धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा नहीं होती है. मान्यता अनुसार इस दिन माता काली, भगवान श्रीकृष्ण और यमराज की पूजा की जाती है.


दिवाली 2023 (Diwali 2023)- इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा और साधना की जाती है. दिवाली की रात निशिता काल में की जाती है. इस वर्ष दिवाली पर निशिता काल का समय रात 11:39- 13 नवंबर 2023 से प्रात: 12:32 तक रहेगा.


गोवर्धन पूजा 2023 (Govardhan Puja 2023)- भगवान कृष्ण ने ब्रज के रहने वालों को भयंकर बारिस से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया था, जिस कारण से सभी की रक्षा हुई. सातवें दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को नीचे रखा और गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने के लिए कहा, मान्यता है कि तभी से यह उत्सव अन्नकूट और गोवर्धन पूजा के नाम से मनाया जाने लगा.


भाई दूज 2023 (Bhai Dooj 2023)- कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ये पर्व मनाया जाता है. ये पर्व भाई-बहन को समर्पित है. एक पौराणिक कथा के अनुसार इस पर्व की शुरुआत यमुना जी ने की थी. यमुना और यमराज ये दोनों ही सूर्य देव की संतान हैं. यमराज अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे.कहा जाता है कि भाई दूज के दिन अगर भाई यमुना नदी में स्नान करते हैं, तो उन्हें यमराज के प्रकोप से मुक्ति मिल जाती है. भाई दूज के दिन 5 दिनों तक चलने वाले दिवाली उत्सव का समापन भी हो जाता है.

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