CAA लागू होने के बाद छाती पीटो गैंग आतंकवादियो घुसपैठियो को भी भारतीय बनाने पर तुला है

CAA लागू होने के बाद छाती पीटो गैंग आतंकवादियो घुसपैठियो को भी भारतीय बनाने पर तुला है


पाकिस्तान बांग्लादेश अफगानिस्तान मे जुल्म झेलने के बाद जान बचाकर आये गैर मुस्लिमो के लिए CAA ने दिया होली और दिवाली जैसा माहौल


केंद्र सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 को लागू करने से जुड़े नियमों को सोमवार को अधिसूचित कर दिया गया. इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से दस्तावेज के बिना आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया है.



अब इसके बाद छाती पीटो गैंग आतंकवादियो रोहिंगियो को भी भारत की नागरिकता दिलाने के पक्ष मे छाती पीटने लगा है ।

नागरिकता संशोधन अधिनियम यानि सीएए मोदी सरकार के लिए हमेशा से ही एक बड़ा मुद्दा रहा है, गृहमंत्री अमित शाह तो बार-बार दावा कर रहे थे कि लोकसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन कानून लागू किया जाएगा, और आज अचानक सीएए को लेकर सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करके इसे लागू कर दिया. 

सरकार के मुताबिक, पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है. आवेदकों को वह साल बताना होगा, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था. 


दूसरी तरफ इस फैसले को लेकर विपक्ष हमलावर है. इस बीच दिल्ली और उत्तर भारत समेत कई राज्यों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

वहीं उत्तर 24-परगना समेत दूसरे ज़िलों में फैले मतुआ समुदाय ने इस पर खुशियां जताई है और उत्सव मनाया है. मतुआ समुदाय के लोग लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे.

हरिचंद ठाकुर ने साल 1812 में ओराकांदी (अब बांग्लादेश) में इस समुदाय की स्थापना की थी. 

मतुआ महासंघ के नेता और बनगांव के बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर कहते हैं, "सीएए से सिर्फ मतुआ ही नहीं बल्कि राज्य में रहने वाले तमाम शरणार्थियों की नागरिकता का रास्ता खुल जाएगा."


वह कहते हैं कि यह क़ानूनी नागरिकता छीनने नहीं बल्कि देने के लिए बनाया गया है.


प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने भी इस क़ानून को लागू करने की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा है कि आख़िर इसे चुनाव से पहले क्यों लागू किया गया है? साफ़ है कि इसका मक़सद चुनावी फ़ायदा उठाना है.


दूसरी ओर, प्रदेश सीपीएम सचिव मोहम्मद सलीम ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच की मिलीभगत का नतीजा बताया है.

इस बीच, इस कानून की अधिसूचना जारी होने की खबर सामने आने के बाद उत्तर 24-परगना और नदिया जिले के मतुआ बहुल इलाकों में ढाक-ढोल बजा कर इसका स्वागत किया गया और मिठाइयां बांटी गई.


बनगांव के मतुआ सांसद शांतनु ठकुर कहते हैं कि मतुआ समाज की बहुत पुरानी मांग पूरी हो गई है. इससे इस समुदाय में खुशी स्वाभाविक है.


मतुआ समुदाय के लोग उत्तर और दक्षिण 24-परगना जिले के अलावा नदिया जिले में भी भारी तादाद में रहते हैं. करीब तीन करोड़ की आबादी वाला यह समुदाय राज्य विधानसभा की कम से कम 50 सीट पर निर्णायक स्थिति में हैं.


राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सीएए लागू होने से नागरिकता और दूसरे मौलिक अधिकारों को लेकर इस समुदाय में पसरी आशंका खत्म हो जाएगी. 

इसके साथ ही आगामी चुनाव में इसकी वजह से राजनीतिक परिदृश्य भी बदल सकता है. मतुआ समुदाय को बीजेपी का समर्थक माना जाता है. यह समुदाय लंबे अरसे से नागरिकता कानून की मांग कर रहा था.

कांग्रेस नेता कहते हैं, "बीजेपी ने सीएए को लागू कर असमिया लोगों की भूमि, भाषा और संस्कृति की रक्षा करने के वादों को तोड़ दिया है. महज़ कुछ वोट हासिल करने के लिए बीजेपी ने 2014 तक यहां आए विदेशियों को असम में रहने और यहां ज़मीन का अधिकार हासिल करने का मौका दे दिया है."


बीजेपी का कहना है कि उनकी पार्टी को लोगों का जनादेश है और सारे निर्णय उसी के अनुसार लिए जा रहे हैं. असम प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजय कुमार गुप्ता कहते हैं, "सीएए को लेकर एक-दो संगठन विरोध कर रहे हैं जबकि असम की जनता बीजेपी के समर्थन में है.

 2019 में आंदोलन हुआ लेकिन 2021 के विधानसभा चुनाव में असम की जनता ने बीजेपी को ही शासन में बैठाया. "


सीएए के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय को नागरिकता दी जाएगी.

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