शिक्षको की तानाशाही ;हम नही मानेंगे सरकार के आन लाइन अटेंडेंस का आदेश!

शिक्षको की तानाशाही ;हम नही मानेंगे सरकार के आन लाइन अटेंडेंस का आदेश!


'शिक्षक खाला जी के घर से बाहर निकलने को तैयार नही'


"संपादक के मन की बात"

सोमवार मतलब आज 8/7/24  से यूपी परिषदीय प्राथमिक और उच्‍च प्राथमिक स्‍कूलों में टीचरों को ऑनलाइन अटेंडेंस लगाने की अनिवार्यता लागू हो गई है। इसके विरोध में शिक्षकों ने काली पट्टी पहनी। जिलों में डीएम को भी ज्ञापन दिया गया।


शिक्षकों के कारनामे आए दिन पेपर की सुर्खियां बनते हैं। कभी एमडीएम को लेकर कहीं खान-पान में घपला बाजी को लेकर ,कही बच्चों के खेलने कूदने के समान में गड़बड़ी को लेकर ,कहीं विद्यालय के रंगाई पुताई में घपले को लेकर और शिक्षण कार्य कम शिक्षक नेता नगरी पर उतारू कुछ ज्यादा ही उतारू हो जा रहा है। 

कोई मंडल अध्यक्ष है, कोई ब्लॉक अध्यक्ष , है कोई जिला अध्यक्ष है ,कोई महामंत्री है ,कोई सचिव है वह पढ़ाना नहीं चाहता। शिक्षक शिक्षण कार्य कम कर रहा है वह नेता नगरी ज्यादा कर रहा है ।वह घर बैठे या तफरी मार कर सरकार से पेमेंट लेना चाह रहा है। 

वह काम नहीं करना चाह रहा और जब उस पर शिकंजा योगी सरकार ने कसा तो उसको अजीब लगा कि अरे अब तो हमको समय से स्कूल जाना होगा, समय से आना होगा ,बच्चों को पढ़ना होगा अब हम तो फर्जी सिग्नेचर या बहाना बनाकर घूम नहीं पाएंगे, अब हम मन माफिक समय से जा नहीं पाएंगे, अब तो हमारे ऊपर जो है नियम कानून हो जाएगा तगड़ा तो उसको लगा कि यह सरकार तानाशाही कर रही है ।

आपको पेमेंट मिलती है बच्चों को शिक्षण कार्य करने का ,बच्चों को देखरेख करने का  बच्चों को खिलाने का पढ़ाने का, ना तो आप बच्चों को सही ढंग से एमडीएम परोस  पा रहे हैं, ना तो सही ढंग से बच्चों को पढ़ पा रहे हैं ,ना तो उनकी देखरेख कर पा रहे हैं।

 कहीं बच्चे विषाक्त भोजन खाकर बीमार हो रहे हैं । कहीं बच्चे बाहर घूम रहे हैं। बच्चों के पढ़ाई लिखाई का स्तर एकदम बेकार है ।

एक समय था शिक्षक गुरु के समान और बच्चों को शिष्य के समान समझते थे मन लगाकर शिक्षण कार्य करते थे और प्राथमिक विद्यालय जूनियर और इसी सरकारी विद्यालयों से पढ़कर लोग अच्छे-अच्छे पदों पर जाते थे। 

आईएएस ,पीसीएस, डॉक्टर इंजीनियर बनते थे लेकिन आज लोगों का भरोसा सरकारी विद्यालय या कॉलेज से हट गया है। 

क्योंकि वहां पढ़ाई होती नहीं है ,समय से शिक्षक आते- जाते नहीं है। मनमाना घर जाना वही वाला सिस्टम है।

 अभिभावक जो है वह मोटी रकम देकर प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए मजबूर हो रहा है ।जहां उसकी जेब काटी जा रही है  लेकिन किसी तरह बर्दाश्त कर रहा है। बस बच्चों को पढ़ा रहा है और यहां गुरुजी महीने में 50-60 हजार रुपए लेकर बैठ जा रहे हैं। 

महिला शिक्षक हैं उनका जो नियम कानून आधार है 6 महीने मातृत्व अवकाश में 6 महीने घर बैठकर पेमेंट मिलेगा। सीसीएल के बीच तो कही मेडिकल हर विद्यालय में तमाम टीचर तो सीधा छुट्टी में रहते हैं ।

अब जब किसी नए नियम कानून को लागू किया जा रहा है तो वहां नेता नगरी करने पर अमादा है ।

उसका विरोध करना यह दर्शाता है कि हम पढ़ाना नहीं चाह रहे हैं। हम सरकार का विरोध करेंगे। हम नियम कानून का पालन नहीं करेंगे ।

हम जैसे चलता रहा है पुराने ढर्रे पर जब मन होगा आएंगे जाएंगे फर्जी सिग्नेचर बनाकर फर्जी तरीके से छुट्टी लेकर जो फर्जी वाडा चला आ रहा था कही कही तो फर्जी टीचर पढ़ाते रहे फर्जी लोग रहे हम सब फर्जी वाला ही करते रहेंगे ।

 अब लग रहा है यह तो तुगलकी फरमान उनको यह लग रहा है कि योगी सरकार ने जो किया है यह तो गलत है। जबकि सच्चाई यह है कि एक नियम कानून सरकार योगी सरकार लेकर आई है कि जिससे आप समय से आपके ऊपर दबाव होगा। 

आप समय से स्कूल जाये समय से आए हर कार्य समय से सही ढंग से करें ।जिससे जो देश के प्रदेश के बच्चे हैं गरीबों के बच्चे हैं ,जो प्राथमिक विद्यालय मे पढ़ते है ।

उनको जिस उद्देश्य से विद्यालय जा रहे हैं। वह उद्देश्य सफल हो सरकार के लाख कोशिशों के बावजूद न तो बच्चे विद्यालय पहुंच रहे हैं ,ना उनको उनकी शिक्षा का स्तर गुणवत्ता बढ़ रही है, ना उनके खान-पान में सुधार हो रहा है।

 मतलब फ्री फंड का बिना कुछ किए धरे पैसे लेने का एक शिक्षा विभाग का शिक्षकों का एक रूटीन बन गया है ।शिक्षक अपने हिसाब से व्यवस्था को लगाने का निरर्थक प्रयास कर रहे है ।

शिक्षकों को चाहिए कि वह योगी सरकार के नियम कानून को पालन करते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करें और सही ढंग से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दें। 

सही ढंग से उनको पौष्टिक एमडीएम परोसे और उनका ध्यान रखें तथा एक नए भारत के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे । जो एक योग्य गुरु का कर्तव्य होता है। वह उसका पालन करते हुए अपने दायित्व को पूरा करें । 

बेवजह नेता नगरी, आंदोलन, धरना प्रदर्शन करके बच्चों के शिक्षण से विरक्त होकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ ना करें यह कदापि देश व समाज के हित में नहीं है।


आपको बता दे यूपी में आज से बेसिक शिक्षकों को ऑनलाइन अटेंडेंस लगानी थी, लेकिन बेसिक शिक्षकों ने इसका विरोध किया। 


पूरे प्रदेश में केवल 9 शिक्षकों ने ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज हुई है। प्रदेश में कुल 6 लाख से ज्यादा बेसिक टीचर हैं। 


इस नए नियम के विरोध में शिक्षकों ने सोमवार को काली पट्टी बांधकर काम करने का फैसला किया है। 


शिक्षकों के इस विरोध को देखते हुए डीजी स्‍कूल ने ऑनलाइन अटेंडेंस लगाने के लिए कुछ छूट दी है।


पहले अटेंडेंस का समय सुबह 7:45 से 8:15 था समय, अब सुबह 8:30 तक हाज‍िरी लगा सकेंगे। परिषदीय प्राथमिक और उच्‍च प्राथमिक स्‍कूलों में शिक्ष्‍कों को टैबलेट के जरिए सुबह 8:30 तक अटेंडेंस लगानी है। लेकिन अटेंडेंस शिक्षक संघ ऑनलाइन अटेंडेंस का बड़े स्तर पर विरोध कर रहा है।


इस मामले में विभिन्‍न संगठनों ने अलग-अलग तरह से विरोध करने का फैसला किया है। राष्‍ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने तय किया है कि महासंघ सोमवार से प्रदेश के सभी जिलों में डीएम को ज्ञापन सौंपेगा। 

वहीं, प्राथमिक शिक्षक संघ से जुड़ा अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताने का ऐलान किया है।


वी डी पांडेय

(एडीटर इन चीफ 

आर डी न्यूज(रूद्र धारा) मीडिया ग्रुप )

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