कथित ऊँची जाति का हल्ला कब तक..

कथित ऊँची जाति का हल्ला कब तक.. 

दिनेश तिवारी!


इन कथित उच्च जातियों में ऊँचा क्या है? ये संविधान जवाब दे ! प्रश्न ये हैं कि ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्य आदि को किस आधार पर ऊँची जाति वाला बोल कर सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। 

आज के दौर में ऐसा क्या है कि इन जाति में जो ऊँचा है, सरकारों एवं सभी दलों के नेताओं को ये भी खुलासा करना चाहिए। जबकि ये जातियां अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं, अगर पूजा पाठ करना, पंचांग पढ़ना, हवन करवाना (उनके पौराणिक व्यवसाय के कारण), देश और समाज की सुरक्षा करने, उनके सम्मान और अस्मिता की रक्षा करने में अपनी जान न्यौछावर करना, देश समाज की आर्थिक ढांचे को सुचारू रूप से चलने और व्यवसाय करने को सवर्ण जाति कहा जाता है, तो मैं बताना चाहता हूँ कि आजकल मंदिर के पुरोहित मंदिर कमेटी के आधीन नौकरी करते हैं.

जिन्हें बहुत ही अल्प वेतन पर रखा जाता है और मंदिर-कमेटी के सदस्यों के दबाव में रहना पड़ता है।बहुत से मंदिर में चढ़ावा से अपने परिवार का जीवकोपार्जन कर रहें हैं।सेना और पुलिस आदि में सभी जाति वर्ग के भर्ती होते हैं, व्यापार भी अब सभी वर्ग और जाति द्वारा किया जाता है,कई पुजारियों पर अब तो गाली भी पड़ने लगी हैं , फिर किस प्रकार इन को उच्च बोल कर सरकारी नौकरी में / सरकारी स्कूल में / सरकारी योजनाओं में किसी प्रकार की छूट नहीं दी जाती। 


इन की नई पीढ़ी जिन्हें किसी परीक्षा या इंटरव्यू में कोई रियायत नहीं मिलती, क्षमता होते हुए भी अपने से कम क्षमता वाले का चयन होते देखकर, वे आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं। क्या इस सविंधान ने मुगलों के जुल्म सहने का इनाम, मुग़लों से युद्ध लड़कर देश के लिए पूरे परिवार का शहीद होना, फिर मुगलों  द्वारा जब ब्राह्मणों और क्षत्रियों को काटा जाता था, 

वैश्यों को लुटा जाता था, वेद पुराण, ग्रंथों को जलाया जाता था, तो ब्राह्मण ही था जिसे वेद पुराण कंठस्थ थे और वो जुल्म सहन करता हुआ भी छुप छुप कर अपने बच्चों को मंत्र -हवन - क्रियाकर्म की विधि - मुंडन की विधि - गृह प्रवेश, भूमि पूजन आदि सिखाता रहता था ताकि अपने देश की संस्कृति और सभ्यता जिन्दा रह सके।

 वो क्षत्रिय होता था,जो वन वन भटक भटक कर अपने बच्चे को घांस की रोटी खिला खिला कर देश की रक्षा का पाठ पढ़ाता था, ताकि इस देश की रक्षा हो सके और वह हिन्दू धर्म को बचा सके।गुरु साहिब के मासूम पुत्रों को चुनाया जाता था, उनके शहीद स्थल को खरीदने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करके, अपने लिए कोई संतान ना उत्पन्न करके अपना वंश समाप्त करने का काम भी व्यवसाई वैश्य ने ही किया था। 

ऐसे प्रयासों से इन्ही लोगों ने हिन्दू धर्म को बचा लिया जबकि एक हजार वर्ष मुग़लों और 200 वर्षों अंग्रेज़ों के जुल्म के बावजूद भारतीयों को हिन्दू व सनातन संस्कृति व सभ्यता बनाये रखा, भारत के पौराणिक व्यवसाय की पौराणिक आस्था व जीवनविधि की पहचान को जिंदा रखा और आज उन्ही जातियों का अपमान हो रहा है। 


हम कोई विशेष सम्मान नहीं चाहते, परन्तु कम से कम सरकारी योजनाओं या निजी कार्य में बराबरी तो मिले, ये कैसी उच्च जाति व्यवस्था है कि उच्च बोल कर हमें प्रताड़ित किया जा रहा रहा है! हर जगह हर मंच पर हर दल चाहे सत्ता दल हो या विपक्ष का दल हो केवल संविधान की दुहाई देकर उच्च जातियों को अपमानित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहें हैं बस नेता केवल इतना जवाब दे ब्राह्मण/क्षत्रिय/वैश्यों में ऊँचा क्या है और इसका आधार क्या है? 

क्यों हिन्दुओं में जहर घोला जा रहा हैं क्या कथित उच्च जाति को जिंदा रहने का अधिकार भारत के संविधान ने खत्म कर दिया हैं? कथित उच्च जाति का अपराध क्या हैं जो भी दल या नेता ब्राह्मण,क्षत्रिय/वैश्य जाति से ऊँचा होने के जलन हैं तो उन्हें सबसे पहले जन्म से लेकर शादी विवाह एवं मरण तक मानव जीवन के अनिवार्य 16 संस्कार कार्यकर्मों में मत बुलाओं, अपने वर्ग से ही संपन्न कराना शुरू कर दे.अब वर्तमान व्यवस्था ने हमें मजबूर कर दिया है कि हम इन समाज को एकजुट करें और इस व्यवस्था को खत्म करें। 


इतिहास के पंन्नों को पलट देखें तो 

300 वर्ष तक भारत के बड़े भूभाग पर राज करने वाले होलकर की जाति से आने वाले धनगर और सिंधिया के कुनबे वाले आज पिछड़े हैं।वहीं महाराजा विक्रमादित्य हेमराज तेली के वंशज आज पिछड़े हैं, जिन्होंने अखंड भारत पर राज किया है।वह मौर्य साम्राज्य आज पिछड़ा/दलित है, जिनके वंशजों ने पीढ़ियों तक बंगाल की खाड़ी से लेकर पर्शिया की सीमा तक अखंड भारतवर्ष पर राज किया।

महापद्मनंद और धनानंद का वंशज नाई समुदाय आज पिछड़ा है। जो भारत के सबसे शक्तिशाली राजा होते थे। हिंदुओं के सबसे पवित्र ग्रंथ रामायण के रचियता महर्षि वाल्मीकि के वंशज आज अछूत कैसे हो सकते हैं।

 महर्षि वेद व्यास की माता व निषाद समुदाय से आने वाली रानी सत्यवती के वंशज भी आज पिछड़े हैं। जिनके बच्चे हस्तिनापुर पर राज करने वाले कौरव और पांडव अखंड भारत के सबसे महान योद्धा और चक्रवर्ती सम्राट थे।

 उस आदिवासी कन्या शकुंतला का समुदाय भी आज अनुसूचित जनजाति में गणना होता है, जिनके पुत्र "भरत" के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा। महर्षि वेद व्यास, महर्षि वाल्मीकि, आचार्य विदुर, सम्राट चंद्रगुप्त, सम्राट अशोक जैसे और भी अनेका अनेक उदाहरण हैं... जिनके वंशज/स्वजातीय लोग आज स्वयं को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग का बताकर अपने साथ शोषण, दमन और अत्याचार हुआ बताते हैं। 


अब सवाल ये उठता है कि...

क्या इतने लंबे समय तक राज करने वाले इन वर्गों के राजाओं ने अपनी ही जात, बिरादरी वालों पर स्वयं ही अत्याचार किया/होने दिया या उन को पढ़ने/बढ़ने नही दिया।

 उन्हें हजारो वर्षों से अनपढ़, गंवार व शोषित बनाये रखा। भगवान कृष्ण के वंशज होने का दावा करने वाले, आज भी बड़ी बड़ी जमीन जायदाद वाले खेती किसानी करने वाले हर तरह से संपन्न यदुवंशी अंततः पिछड़े कैसे हो गए। मध्य काल में बहराइच से नेपाल तक बड़े भूभाग पर राज करने वाले पासी आखिर दलित कैसे हो गए।

मध्यकाल में प्रसिद्ध पाल वंशी राजाओं के वंशज कैसे पिछड़े हो गए। इतिहास में चंवर वंशी राजाओं का जिक्र है, जो आज दलित कहे जाते हैं। गौर, गुर्जर, मीणा, जाट, वर्मा, गोंड आदि वर्ग के राजा सब बड़े लम्बे समय तक शासक रहे हैं। देश के इतिहास में इनकी छाप है। 

लेकिन ऐसा क्या हुआ कि मुगल आक्रांताओं के शासन काल व उसके बाद अंग्रेजी शासन काल की गुलामी के बाद ये सारे वर्ग विभाजित होकर वंचित, शोषित और पीड़ित कहलाने लगे... क्या किसी ने यह विचार किया कि कहीं विदेशी आक्रांताओं ने ही हिंदू सनातन समाज में फूट डालने के लिए ये अंकुरण तो नहीं किया ?

 परतंत्रता से निकलने के बाद भी विभाजन की दोधारी तलवार से समस्त हिंदू समाज को काटने की रणनीति के चलते ही 1947 के बाद इस विभाजन को और गहरा ही किया गया। 

अन्यथा यह कैसे संभव है कि तुम लंबे समय तक राज भी करो और विदेशी नेक्सस के फैलाए जाल में फंसकर विक्टिज़्म भी बन जाओ और राजा बनने के बाद भी क्या आपके स्वजातीय राजा अपनी जात/बिरादरी के साथ ऐसा ही करते रहे कि वो अनपढ़/गंवार/मूर्ख/पिछड़ा/दबा/कुचला ही बना रहे। 

सैकड़ों वर्षो तक अखंड भारत पर राज करने के बाद भी तुम अपनी जाति का उद्धार नहीं कर सके तो इसमें दोष किसका है। लेकिन आरोप ब्राह्मण, ठाकुरों, सवर्णो के उपर लगाना है। यह लोग बहुत अत्याचार किए हैं।

पिछड़े समाज के ऊपर,दलित समाज के ऊपर अब जाति जाति में विखंडित करो। जातिगत जनगणना कराओ। तब उद्धार होगा, तोड़ो सनातनी समाज को। गजब राजनीति चल रही है। आजकल यह जो जातिगत जनगणना का ढोल जो बजा रहे हैं। 

पहले अपनी नीति तो आम जनमानस के बीच साझा करो कि जातिगत जनगणना और गिनती करने के बाद आर्थिक रूप से पिछड़े समाज के लोगों के विकास के लिए विजन तुम लोग के पास क्या है। योजनाएं क्या है।

 वर्ना फूट डालो, वोट बैंक बढ़ाओ, सरकार बनाओं। ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्य आदि को किस आधार पर कथित ऊँची जाति का हल्ला बोल कर सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। यह जबाब भी दे दीजिए।

 सवाल उठता हैं कि कौन हैं जो भारत में सनातन संस्कृति और पौराणिक सभ्यता से भारत के हिंदू समाज को खंड खंड बाटने में तुला हैं। इन कथित ऊँची जातियों से पिछड़े व दलित वर्ग की कुछ जातियाँ आर्थिक, सामाजिक, संपतिक, राजनैतिक दृष्टि से ज्यादा संपन्न व सामंती मानसिकता से ग्रस्त हैं।

कथित ऊँची जाति के कुछ लोगों का जीवन विधि भौतिक दृष्टि से सुगम हैं। ईश्वर की साधना व तप से ही जीवित रखा हैं, तो यह इनकी शिक्षा, दीक्षा और कर्मकांड के परिश्रम का परिणाम हैं किसी प्रकार हक छिनैती या लूट या सरकारी रहमों करम के कारण नहीं हैं। 

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