कवि दुष्यंत की "कौन कहता है आसमाँ में सुराख"..पंक्तियो को सूरज तिवारी ने सच साबित कर दिखाया
दिव्यांगता को मात दे सूरज ने UPSC में हासिल की 917वीं रैंक
ये एक बहुत ही प्रेरणादायक कविता है जो दुष्यंत कुमार जी ने लिखी है। इसका सीधा सा यही मतलब है कि कोई भी कार्य कठिन नहीं होता बस जरूरत है सही मन और पक्के इरादे से उस कार्य को पूरा करने की कोशिश करना।
मंगलवार को यूपीएससी का परीक्षा परिणाम घोषित हुआ तो सूरज के जीवन में खुशियों की बहार आ गई। सूरज तिवारी ने यूपीएससी परीक्षा में 917वीं रैंक हासिल की है। सूरज का कहना था कि परिस्थितियां चाहे कुछ भी हों लेकिन हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। जीवन में उतार चढ़ाव आते रहते हैं। इनसे मनोबल नहीं तोड़ना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के कुरावली नगर के घरनाजपुर मोहल्ला निवासी दिव्यांग सूरज तिवारी पुत्र राजेश तिवारी ने दिव्यांगता को मात देकर यूपीएससी परीक्षा में 917वीं रैंक पाकर सफलता हासिल की है।दिव्यांग सूरज तिवारी की प्रारंभिक शिक्षा नगर के महर्षि परशुराम स्कूल में हुई। उन्होंने वर्ष 2011में हाईस्कूल परीक्षा एसबीआरएल इंटर कॉलेज मैनपुरी से तथा 2014 मे इंटरमीडिएट परीक्षा संपूर्णानंद इंटर कॉलेज अरम सराय बेवर से उत्तीर्ण की। 2021 में उन्होंने जेएनयू दिल्ली से बीए किया। सूरज तिवारी के पिता राजेश तिवारी पेशे से दर्जी हैं।
सूरज ने यह सफलता पहले प्रयास में हासिल की है. मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले सूरज तिवारी दिव्यांग हैं. हालांकि, सूरज ऐसे बचपन से नहीं थे. साल 2017 में ट्रेन दुर्घटना में उन्होंने अपने दोनों पैर, एक हाथ और दूसरे हाथ की दो अंगुलियां खो दिया. इसके बाद भी उन्होंने कभी कमजोर आर्थिक स्थिति और अपनी दिव्यांगता को अपनी मंजिल के रास्ते की बाधा नहीं बनने दिया. सूरज ने अपनी मेहनत से यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी हासिल की.
संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा और इंटरव्यू का फाइनल रिजल्ट जारी कर दिया है. इशिता किशोर ने यूपीएससी 2022 की परीक्षा में टॉप किया है. यूपीएससी के मुताबिक इस बार कुल 933 अधिकारियों का चयन इस परीक्षा के माध्यम से किया गया है. कुल 933 सफल उम्मीदवारों में कई ऐसे भी हैं, जिन्होंने मुश्किल हालातों से लड़कर कामयाबी हासिल की और एक उन लोगों के लिए एक मिसाल बने हैं जो थोड़ी से परेशानी आने पर हिम्मत हार जाते हैं.