Azam Khan:सपा (SP) का एक और बाहुबली नेता परिवार सहित पहुंचा सलाखो(jail) के पीछे

Azam Khan:सपा (SP) का एक और बाहुबली नेता परिवार सहित पहुंचा सलाखो(jail) के पीछे


आजम खान, और उसके बेटे अब्दुल्ला आजम की सदस्यता जाने के बाद अब 7 साल की सजा हो गयी है. तजीन फात्मा को भी दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में सजा हुई है.


यूपी में अब एक बड़े मुस्लिम परिवार का पॉलिटिक्स से पैकअप लगभग तय हो गया है. रामपुर में एमपी/एमएलए कोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश की सियासत में ये सवाल खूब चर्चा में है. 

बाहुबली नेता आजम खान, और उसके बेटे अब्दुल्ला आजम की सदस्यता जाने के बाद अब 7 साल की सजा हो गयी है. तजीन फात्मा को भी दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में सजा हुई है.

 ऐसे में राजनीति के जानकार कहने लगे हैं कि आजम एंड फैमिली का अब यूपी की पॉलिटिक्स से पैकअप हो गया है. कभी यूपी की सियासत में आजम का बड़ा रूतबा हुआ करता था.


आजम खान और उसके परिवार को लेकर स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट के आए आदेश के बाद खान परिवार की सियासत पर लगभग-लगभग ब्रेक लग गया है.

 एक तरफ खान परिवार जहां 2024 और 2027 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ सकेगा, वहीं आजम खान का कई दशकों से फैला हुआ सियासी कुनबा भी तिनके की तरह बिखर गया.


रामपुर से मौजूदा विधायक आकाश सक्सेना का कहना है कि रामपुर के लोगों को आजम खान के तानाशाही से निजात मिल चुकी है. 

अब उनका यहां कोई अस्तित्व नहीं बचा है. उन्होंने कहा कि आजम ने अपने परिवार के अलावा किसी भी करीबी को आगे नहीं बढ़ाया. आजम के साथ जो-जो भी लोग रहे उन्हें नौकर की तरह रखा. आज भी जो बचे खुचे लोग उनके साथ हैं, वे भी नौकर ही हैं.


आजम खान, अब्दुल्ला आजम और तजीन फात्मा को सजा होने के बाद अब राजनैतिक विरासत कौन संभालेगा. रामपुर से लेकर लखनऊ ही नहीं दिल्ली तक कभी आजम खान की तूती बोलती थी, लेकिन अब कानून का शिकंजा ऐसा कसा कि आजम राजनैतिक विरासत संभालने वालों का भी टोटा पड़ने वाला है. 

परिवार के तीन प्रमुख सदस्यों को सजा के बाद ये चर्चा आम हो गयी है कि कौन संभालेगा रामपुर का सियासी किला. 

2024 में लोकसभा चुनाव होगा ऐसे में समाजवादी पार्टी वहां किसे प्रत्याशी बनाएगी? क्या आजम की फैमिली में कोई है जो इस विरासत को संभालेगा? आजम के करीबियों में कौन-कौन है जो बीजेपी के आगे ताल ठोंकने की कोशिश करेगा? 


समाजवादी पार्टी में आजम खान हमेशा मुस्लिम चेहरा भी बन रहे. आजम खान को लेकर समाजवादी पार्टी ने हालांकि साथ खड़े होने का दावा किया, लेकिन आखिर में आज़म का सियासी सूरज अस्त हो गया.


एमपी-एमएलए कोर्ट से आए फैसले के बाद आजम खान की सियासी जिंदगी लगभग-लगभग खत्म होती हुई नजर आ रही है.

 उत्तर प्रदेश की सियासत में लगभग 3 दशकों तक राज करने वाले आजम खान कई सारे मुकदमों में दोषी करार दिए जाने के बाद सियासी तौर पर खत्म होते हुए नजर आ रहे हैं.


अब सवाल यह उठने लगा है कि आखिर कोर्ट के फैसले के बाद आजम खान का परिवार सियासी तौर से खुद को कैसे संजो कर रख पाएगा.

 सवाल है कि क्या आजम खान के परिवार से कोई अन्य व्यक्ति अब सियासत में प्रवेश करेगा. साथ ही आजम खान ने जो सियासी बीज बोए थे उसका क्या होगा?


वैसे बता दे कि आज़म खान के खिलाफ अधिकांश मामले भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए) (धार्मिक आधार पर विभिन्न समूहों के बीच घृणा को बढ़ावा देना), 159 (शब्द, हावभाव, या किसी महिला की शील भंग करने के इरादे से की गई गतिविधियों), 509 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना), 448 (हाउस ट्रेस पास), और 500. (मानहानि) से संबंधित हैं। 

आजम खान पर चुनावी धाँधली का भी आरोप लगा है। उन पर कई मामलों (चुनाव के सिलसिले में झूठा बयान) में धारा 171 G के तहत आरोप लगाए गए हैं।

 यहाँ यह उल्लेखनीय है कि आजम खान और उनके परिवार के सदस्यों पर बकरियाँ चोरी करने से लेकर बिजली चोरी और इस्लामी संस्थान से पुरानी पांडुलिपियाँ चुराने के भी कई आरोप हैं।

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