हाथरस कांड:कलयुगी पौन्डरक ढोंगी बाबा सूरजपाल ! जो खुद को भगवान कहता था,ने निगल ली 121 जिंदगिया...पूरी कहानी!

हाथरस कांड:कलयुगी पौन्डरक ढोंगी बाबा सूरजपाल ! जो खुद को भगवान कहता था,ने निगल ली 121 जिंदगिया...पूरी कहानी!


उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ कस्बे के फुलरई गांव में मंगलवार को बड़ा हादसा हो गया। यहां साकार हरि बाबा का सत्संग चल रहा था। 

सत्संग समाप्त होने के बाद यहां से जैसे भी भीड़ निकलना शुरू हुई तो भगदड़ मच गई। भगदड़ में अब तक 121 लोगों की मौत की खबर है।


यूपी के एटा जिले के बहादुर नगर गांव में जन्मे बाबा साकार हरि का असली नाम सूरजपाल सिंह जाटव है. सत्संग मार्ग में आने से पहले सूरजपाल इटावा पुलिस में पदस्थ था. 

नौकरी के दौरान साल 1997 में बाबा के ऊपर यौन शौषण की एफआईआर भी दर्ज हुई थी. लेकिन जेल से छूटने के बाद वह साकार विश्व हरि बाबा बनकर सत्संग करने लगा.


कई दावों में सत्संग के दौरान मंच पर बैठने महिला को बाबा की पत्नी या सेविका बताया जा रहा है. लेकिन भक्तों के बीच 'मां जी' के नाम से पहचाने जानी वाली महिला बाबा की पत्नी नहीं, बल्कि रिश्ते की मामी लगती है. 


सूरजपाल जाटव उर्फ भोले बाबा के उपर अब तक 5 मुकदमे चल रहे हैं  इनमें से 1- 1 केस आगरा, इटावा, कासगंज और फर्रुखाबाद और राजस्थान के दौसा में दर्ज है.


उसका राजस्थान के दौसा में भी दरबार लगता था। खास बात यह है कि दौसा के जिस मकान में बाबा आता-जाता था वह पेपर लीक माफिया हर्षवर्धन पटवारी का मकान है।


29 फरवरी को जेईएएन भर्ती परीक्षा-2020 के पेपर लीक के मामले में एसओजी ने हर्षवर्धन पटवारी के दौसा में नेशनल हाइवे 21 स्थित गोविंददेवजी मंदिर के सामने स्थित कॉलोनी में मकान पर छापा मारा था, जब यह भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि का दरबार चर्चा में आया था।


इसी दरबार की आड़ में हर्षवर्धन पेपरलीक का रैकेट चलाता था। यहां पेपर लीक से जुड़े कुछ संदिग्ध दस्तावेज भी मिले थे।

लेकिन जिस नारायण साकार हरि उर्फ 'भोले बाबा' के सत्संग में इतना बड़ा हादसा हुआ वो अभी तक फरार है. इस बीच वो डिटेल निकलकर सामने आई है जिससे पता चला कि 'भोले बाबा' ने मौके से फरार होने के बाद किन-किन लोगों से बात की थी. 

फिलहाल, पुलिस एफआईआर दर्ज कर आयोजकों और बाबा के सेवादारों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है. देर रात पुलिस फोर्स ने बाबा के मैनपुरी वाले आश्रम में छापा मारा था. लेकिन बाबा वहां नहीं मिला.  


बाबा के जिस सत्संग में ढाई लाख की भीड़ उमड़ी थी, उसकी पूरी कमान खुद बाबा के सेवादारों ने ही संभाली हुई थी. ये सेवादार सत्संग की सुरक्षा से लेकर तमाम इंतजाम खुद ही देख रहे थी. यही नहीं ड्यूटी पर जिन पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. उन्हें भी सेवादारों ने वहां से हटा दिया था. 


बाबा का जहां सत्संग हुआ था वहां उनके सेवादार ही सारी व्यवस्थाएं देख रहे थे. यातायात से लेकर पंडाल और अन्य व्यवस्थाओं में बाबा के वॉलेंटियर्स ने ही मोर्चा संभाल रखा था. घटना के वक्त भी बाबा के सेवादार ही आगे खड़े थे. जब भीड़ बाबा के चरण रज पाने के लिए टूटी तो सेवादारों ने उन्हें हटाने की कोशिश की और पीछे की ओर धकेलना शुरू कर दिया. 


जिस बाबा के सत्संग में मची भगदड़ के दौरान 123 लोगों की जान गई थी, वो करोड़ों का मालिक है. उसके नाम कई बीघा जमीन और दर्जनों लग्जरी गाड़ियों का कलेक्शन भी है.


उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में कई आश्रम, 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति, दर्जनों लग्जरी गाड़ियों का काफिला, ये सारी संपत्ति उसी 'भोले बाबा' की है जिसके हाथरस के सत्संग में 123 लोगों की जान गई है. 

'भोले बाबा' का मैनपुरी स्थित आश्रम का एक ड्रोन शॉर्ट्स भी सामने आया है. इसे देखकर तो लग रहा है कि यह आश्रम किसी 5 सितारा होटल से कम नहीं है.


अकेले मैनपुरी के बिछवां आश्रम की जमीन की कीमत ही चार करोड़ के आसपास है. सूत्रों के मुताबिक विनोद नाम के एक सेवादार ने इतनी कीमती जमीन बाबा भोले के ट्रस्ट को दान में दे दी है. अब राजस्व विभाग इस जमीन की जांच कर रही है. आश्रम के सामने करीब 50 बीघे जमीन को भी 'भोले बाबा' ने लीज पर ली हुई है. 


बिछवां के इस जमीन पर आठ साल पहले करोड़ों की लागत से किलेनुमा एक भव्य आश्रम बनाया गया था.


बिछवां की तरह ही बहादुर नगर का आश्रम करीब चालीस बीघे में फैला हुआ है. बाबा ने इसके साथ-साथ ही कई धर्मशालाएं भी बनाई हैं. सालभर पहले भोले बाबा यहां अपने ट्रस्ट के नाम पर जमीन खरीदने आया था.


ऐसे में ये तो साफ है कि भोले बाबा का आर्थिक सामराज्य उसके आध्यात्मिक संसार से कही ज्यादा रहस्यमसी और आलीशान है


इसके अलावा श्री नारायण साकार हरि चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर सैकड़ों बीघा जमीन खरीदने की बात सामने आई है...ये भी पता चला है कि भोले बाबा के भक्तों के नाम पर करीब दर्जनों लग्जरी गाड़ियाॉ भी खरीदी गई है. 


करीब 40 बीघे में फैले नारायण साकार हरि धाम बहादुर नगर में पहुंचने पर एक बोर्ड लगा है कि यहां कि वीडियोग्राफी  मना है. साथ ही ये भी लिखा है कि नारायण साकार हरि धाम किसी प्रकार का धन, दौलत, चंदा चढ़ावा नहीं लेता है. अगर ऐसा है तो फिर भोले बाबा ने इनती संपत्ति कैसे बनाई. कहीं ये खाने के और, ये दिखाने के और दांत जैसी बात तो नहीं है.


पश्चिमी यूपी के जिलों में बाबा के कई  एकड़ जमीन पर आश्रम हैं, जहां लगातार सत्संग के कार्यक्रम चलते रहते हैं. बाबा के अनुयायियों में सबसे बड़ा वर्ग अनुसूचित जाति-जनजाति और ओबीसी वर्ग का है. 

वंचित वर्गसाकार हरि अपने प्रवचनों में सफेद थ्री पीस सूट-बूट और महंगे चश्मे में दिखते हैं. बाबा के पास लगजरी कारों का काफिला है और खुद की वर्दीधारी फौज भी है. इस लंबी चौड़ी फौज को आश्रम के सेवादार कहा जाता है.  बाबा को भोले बाबा के रूप में देखते हैं.

Post a Comment

Previous Post Next Post