जवाहरलाल नेहरू से मनमोहन सिंह तक के समय मे हुए घोटाले....एक नजर ;राहुल गांधी कर रहे गरीबी और बेरोजगारी की बात

 जवाहरलाल नेहरू से मनमोहन सिंह तक के समय मे हुए घोटाले....एक नजर ;राहुल गांधी  कर रहे गरीबी और बेरोजगारी की बात


आज़ाद भारत में हुए उन घोटालों पर एक नजर  जिनमें भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके बाद उनके परिवार के सहयोगी सहित संलिप्त रहे---


पूर्व के कांग्रेस राज में भ्रष्टाचार को भी शिष्टाचार बना दिया था। तब तमाम घोटाले किए। भ्रष्टाचार करेंगे और दुनिया के किसी देश में आराम से रहेंगे। यही सब कांग्रेस राज में चला, लेकिन अब ऐसा संभव नहीं है।

यही है INDI GANG की समस्या !


*बोफ़ोर्स घोटाला–राजीव/सोनिया गांधी* (1990-2014)


इस घोटाले ने 1980 और 1990 के दशक में गांधी परिवार और ख़ासकर तब प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी की छवि को गहरा धक्का पहुँचाया.


आरोप थे कि स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफ़ोर्स ने कमीशन के बतौर 64 करोड़ रुपए राजीव गांधी समेत कई कांग्रेस नेताओं को दिए थे ताकि वो भारतीय सेना को अपनी 155 एमएम हॉविट्ज़र तोपें बेच सके.


बाद में सोनिया गांधी पर भी बोफ़ोर्स तोप सौदे के मामले में आरोप लगे जब सौदे में बिचौलिया बने इतालवी कारोबारी और गांधी परिवार के क़रीबी ओतावियो क्वात्रोकी अर्जेंटिना चले गए.


*मारुति घोटाला- इंदिरा गांधी 1973*


कार कंपनी मारुति की स्थापना से भी पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम मारुति घोटाले में आया था, जब उनके बेटे संजय गांधी को यात्री कार बनाने का लाइसेंस मिला था.


1973 में सोनिया गांधी को मारुति टेक्निकल सर्विसेज़ प्राइवेट लि. का एमडी बनाया गया, हालांकि सोनिया के पास इसके लिए ज़रूरी तकनीकी योग्यता नहीं थी. कंपनी को इंदिरा सरकार की ओर से टैक्स, फ़ंड और ज़मीन को लेकर कई छूटें मिलीं.


मगर कंपनी बाज़ार में उतारने लायक एक भी कार नहीं बना सकी और 1977 में बंद कर दी गई.


*कोयला घोटाला-मनमोहन सिंह 2012*-

 में मनमोहन सरकार के वक्त सामने आया था. इसमें कोयले के खनन और बिक्री के वक्त भ्रष्टाचार और अनियंत्रितता का आरोप था. इसमें Coal India Limited का भी नाम आया था, इसके कई अधिकारी इसमें शामिल पाए गए थे. अधिकारियों ने कोयले के खनन और बिक्री के वक्त घूसखोरी की और कोयले के अवैध खनन और बिक्री में वे शामिल हो गए थे.

CBI ने मामले में दोषियों को अधिकतम सजा देने की मांग की थी क्योंकि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले थे.

छत्तीसगढ़ से जुड़े कोयला घोटाले में दिल्ली की अदालत का फैसला आया है. इसमें कांग्रेस के पूर्व सांसद, उनके बेटे को चार-चार साल की सजा सुनाई गई . इसी के साथ 15-15 लाख का जुर्माना भी लगाया गया .


*कॉमनवेल्थ गेम्स (CWG 2010) घोटाला*


साल 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स (CWG 2010) के दौरान भारत का प्रदर्शन तो अच्छा रहा था लेकिन खेलों के आयोजकों ने देश के भरोसे को तार-तार कर दिया

खेल की आड़ में भ्रष्टाचार का ऐसा 'महाखेल' खेला जिसके बाद दुनियाभर में भारत गलत वजहों से सुर्खियों में आ गया. कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में इतने घोटाले हुए कि जिन्हें गिन पाना भी आसान नहीं है.


कॉमनवेल्थ घोटाला साल 2011 में सामने आया और इसे भारत के सबसे बड़े घोटालों में से एक कहा जाता है. माना जाता है कि दिल्ली में आयोजित हुए इन खेलों में बड़े पैमाने पर पैसों का घपला किया गया. अनुमान के मुताबिक कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले में देश को 70 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाया गया. इस पूरे घोटाले में जो सबसे बड़े आरोपी पूर्व कांग्रेस सासंद सुरेश कलमाड़ी थे जो आयोजन समिति के अध्यक्ष भी थे. कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 खत्म होने के 193 दिन बाद 25 अप्रैल 2011 को सुरेश कलमाड़ी (Suresh Kalmadi) को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया. कलमाड़ी पर पैसों की हेराफेरी का आरोप लगा. उनपर आरोप लगे कि उन्होंने कम पैसों की चीजें 100 से 200 गुना ज्यादा कीमत पर खरीदी. कलमाडी के खिलाफ दायर हुई चार्जशीट में उनपर धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया.


*2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला*

अब तक 2 जी घोटाला को भारत का सबसे बड़ा आर्थिक घपला माना जाता था.

ये घोटाला साल 2010 में सामने आया जब भारत के महालेखाकार और नियंत्रक (कैग) ने अपनी एक रिपोर्ट में साल 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े किए.


2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कंपनियों को नीलामी की बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे, जिसमें भारत के महालेखाकार और नियंत्रक के अनुसार सरकारी खजाने को अनुमानत एक लाख 76 हजार करोड़ रुपयों का नुक़सान हुआ था.

भारत में घोटालों के लंबे इतिहास में सबसे बड़ा बताए जाने वाले इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय और तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पर भी सवाल उठाए गए.


तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणाधि की बेटी कनिमोड़ी को भी मामले में जेल जाना पड़ा था और उन्हें बाद में ज़मानत मिली. 2 जी घोटाले से भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी नुक़सान पहुंचा था.


टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में ए. राजा के अलावा के राजनीतिक और उद्योग जगत की कई और बड़ी हस्तियों को इस मामले से जुड़े अलग-अलग आरोपों में हिरासत में लिया गया.


*ताबूत घोटाला*


1999 में भारतीय सेना और पाकिस्तानी सैनिकों और भारत के कारगिल सेक्टर में अनियमितताओं के बीच हुए कारगिल युद्ध के बाद, तत्कालीन भारत सरकार द्वारा ताबूतों की खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। पूरे लेन-देन में सरकार को 187,000 डॉलर का भारी नुकसान हुआ था।


*नागरवाला स्कैंडल- 1971*


सेना के एक पूर्व कैप्टेन रुस्तम सोहराब नागरवाला ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आवाज़ की नकल करके संसद मार्ग स्थित स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की शाखा को फ़ोन किया और उससे 60 लाख रुपए निकलवा लिए.


घोटाला तब खुला जब नागरवाला ने पैसा लेने के बाद टैक्सी वाले को ढेर सारे नोट दिए. इसके बाद एसबीआई के हैड कैशियर वेद प्रकाश मल्होत्रा को इस्तीफ़ा देना पड़ा. नागरवाला को पकड़ा गया और उनकी जेल में ही मौत हो गई.


*मूंदड़ा स्कैंडल –जवाहरलाल नेहरू  1951*


कलकत्ता के उद्योगपति हरिदास मूंदड़ा को आज़ाद भारत के पहले ऐसे घोटाले के बतौर याद किया जाता है जिसे तब प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जोड़कर देखा गया. 1957 में मूंदड़ा ने सरकारी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी के ज़रिए अपनी छह कंपनियों में 12 करोड़ 40 लाख रुपए का निवेश कराया.


यह निवेश सरकारी दबाव में एलआईसी की इन्वेस्टमेंट कमेटी की अनदेखी करके किया गया. जब तक एलआईसी को पता चला उसे कई करोड़ का नुक़सान हो चुका था.


*नेशनल हेराल्ड केस-2011*


कांग्रेस के पैसे से एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नाम की कंपनी 1938 में बनी और तीन अख़बार चलाती थी– नेशनल हेरल्ड, नवजीवन और क़ौमी आवाज़. एक अप्रैल 2008 को ये अख़बार बंद हो गए.


मार्च 2011 में सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी ने यंग इंडिया लिमिटेड नाम की कंपनी खोली, जिसमें दोनों की 38-38 फ़ीसदी हिस्सेदारी थी. कंपनी को खड़ा करने का मक़सद एजेएल पर मौजूद 90.21 करोड़ रुपए की देनदारियां उतारना था.


पार्टी ने हेरल्ड हाउस में एक करोड़ रुपया और लगाया जो कभी एजेएल के पास होता था. इस मामले में सोनिया और राहुल के ख़िलाफ़ सुब्रमण्यम स्वामी अदालत गए और संपत्ति के बेजा इस्तेमाल का केस दर्ज कराया.


*वाड्रा-डीएलएफ़ घोटाला- 2012*


2012 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ़ से 65 करोड़ का ब्याजमुक्त लोन लेने का आरोप लगा.


ये आरोप भी लगे कि इस बिना ब्याज पैसे की अदायगी के पीछे कंपनी को राजनीतिक फ़ायदा पहुँचाना मक़सद था. यह भी कहा गया कि इस दौरान केंद्र में कांग्रेस सरकार के रहते रॉबर्ट वाड्रा ने देश के कई हिस्सों में बेहद कम क़ीमतों पर ज़मीनें ख़रीदीं.


*अगस्ता हेलिकॉप्टर घोटाला- 2013*


2013 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर इतालवी चॉपर कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से कमीशन लेने के आरोप लगे.


अगस्ता वेस्टलैंड से भारत को 36 अरब रुपए के सौदे के तहत 12 हेलिकॉप्टर ख़रीदने थे.


इतालवी कोर्ट में रखे गए 15 मार्च 2008 के एक नोट में इशारा किया गया था कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया इस वीआईपी चॉपर ख़रीद के पीछे अहम भूमिका निभा रही थीं.


*साइकिल आयात (1951) स्कैंडल-जवाहरलाल*


तत्कालीन वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सेकरेटरी एस.ए. वेंकटरमन ने एक कंपनी को साइकिल आयात कोटा दिए जाने के बदले में रिश्वत ली। इसके लिए उन्हें जेल जाना पड़ा,इसमें भी वसूली नहीं हुई।


*तेजा ऋण स्कैंडल*

1960 में एक बिजनेसमैन धर्म तेजा ने एक शिपिंग कंपनी शुरू करने केलिए सरकार से 22 करोड़ रुपये का लोन लिया। लेकिन बाद में धनराशि को देश से बाहर भेज दिया। उन्हें यूरोप में गिरफ्तार किया गया और छह साल की कैद हुई,लेकिन वसूली इसमें भी नहीं हो पाई।


*कुओ ऑयल डील*


1976 में तेल के गिरते दामों के मददेनजर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने हांग कांग की एक फर्जी कंपनी से ऑयल डील की। इसमें भारत सरकार को 13 करोड़ का चूना लगा। माना गया इस घपले में इंदिरा और संजय गांधी का भी हाथ है।


*सिक्योरिटी स्कैम*

1992 में हर्षद मेहता ने धोखाधाड़ी से बैंको का पैसा स्टॉक मार्केट में निवेश कर दिया, जिससे स्टॉक मार्केट को करीब 500 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।


*चारा घोटाला*

1996 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और अन्य नेताओं ने राज्य के पशु पालन विभाग को लेकर धोखाबाजी से लिए गए 950 करोड़ रुपये कथित रूप से निगल लिए।


*स्टांप पेपर स्कैम*

यह करोड़ो रुपये के फर्जी स्टांप पेपर का घोटाला था। इस रैकट को चलाने वाला मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी था।


*स्टॉक मार्केट*

स्टॉक ब्रोकर केतन पारीख ने स्टॉक मार्केट में १,१५,००० करोड़ रुपये का घोटाला किया। दिसंबर, २००२ में इन्हें गिरफ्तार किया गया।


*सत्यम घोटाला*

२००८ में देश की चौथी बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी सत्यम कंप्यूटर्स के संस्थापक अध्यक्ष रामलिंगा राजू द्वारा ८००० करोड़ रूपये का घोटाले का मामला सामने आया। राजू ने माना कि पिछले सात वर्षों से उसने कंपनी के खातों में हेरा फेरी की।


*मनी लांडरिंग*

२००९ में मधु कोड़ा को चार हजार करोड़ रुपये की मनी लांडरिंग का दोषी पाया गया। मधु कोड़ा की इस संपत्ति में हॉटल्स, तीन कंपनियां, कलकत्ता में प्रॉपर्टी, थाइलैंड में एक हॉटल और लाइबेरिया ने कोयले की खान शामिल थी।


*दूरसंचार घोटाला-१२०० करोड़ रुपए*


तत्कालीन दूरसंचार मंत्री सुखराम द्वारा किए गए इस घोटाले में छापे के दौरान उनके पास से ५.३६ करोड़ रुपए नगद मिले थे, जो जब्त हैं। पर गाजियाबाद में घर (१.२ करोड़ रु.), आभूषण (लगभग १० करोड़ रुपए) बैंकों में जमा (५ लाख रु.) शिमला और मण्डी में घर सहित सब कुछ वैसा का वैसा ही रहा। सूत्रों के अनुसार सुखराम के पास उनके ज्ञात स्रोतों से ६०० गुना अधिक सम्पत्ति मिली थी।


*यूरिया घोटाला*

प्रधानमंत्री नरसिंहराव के करीबी नेशनल फर्टीलाइजर के प्रबंध निदेशक सी.एस.रामाकृष्णन ने यूरिया आयात के लिए पैसे दिए, जो कभी नहीं आया।


कांग्रेस के घोटालो की लिस्ट लंबी है ...

Post a Comment

Previous Post Next Post