Scholarship Scam: कांग्रेस का फर्जी मदरसा छात्रवृत्ति घोटाला; फर्जी मदरसों और फर्जी छात्रों के नाम पर करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति लूट
देश के 1572 संस्थानों में करीब 830 संस्थान सिर्फ कागजों में पाए गए
कई मामलों में पता चला कि एक मोबाइल नंबर पर 22 बच्चे रजिस्टर्ड थे
असम के नौगांव के एक बैंक शाखा में 66 हजार स्कॉलरशिप खाता एक ही बार में खोले गए
मोदी सरकार ने साल 2016 में जब पूरी स्कॉलरशिप प्रक्रिया को डिजिटलाइज किया तो घोटाले की परतें खुलना शुरू हुई.
भ्रष्टाचार का सिलशिला 2007 से 2022 तक चला
केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय की जांच में स्कॉलरशिप स्कीम में घोटाला सामने आया है. जांच में पता चला है कि फर्जी मदरसों और फर्जी छात्रों के नाम पर करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति बैंक खाते के जरिए निकाल ली गई. मामले की जानकारी मिलते ही अल्पसंख्यक मंत्रालय ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी है।
शुरुआती जांच में सामने आया कि देश के 1572 संस्थानों में करीब 830 संस्थान सिर्फ कागजों में पाए गए. इनमें पिछले 5 सालों में 144.83 करोड़ की स्कॉलरशिप का घोटाला किया गया. वहीं देश में करीब 1 लाख 80 हजार अल्पसंख्यक संस्थान है.
अल्पसंख्यक मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि करीब 53 फीसदी संस्थान फेक या नॉन ऑपरेटिव निकले.कई मामलों में पता चला कि एक मोबाइल नंबर पर 22 बच्चे रजिस्टर्ड थे. इसी तरह केरल के एक जिले मल्लपुरम में पिछले 4 साल में 8 लाख बच्चों को छात्रवृत्ति मिली.
असम के नौगांव के एक बैंक शाखा में 66 हजार स्कॉलरशिप खाता एक ही बार में खोले गए. इसी तरह कश्मीर के अनंतनाग डिग्री कॉलेज का मामला सामने आया. कॉलेज में कुल 5000 छात्रों की संख्या है, लेकिन फर्जीवाड़ा कर 7000 छात्रों का स्कॉलरशिप लिया जा रहा है.
साल 2016 में जब पूरी स्कॉलरशिप प्रक्रिया को डिजिटलाइज किया गया तो घोटाले की परतें खुलना शुरू हुई.
सूत्रों ने बताया कि ये 2007 से 2022 तक चला. केंद्र सरकार अब तक करीब 22000 करोड़ रुपये स्कॉलरशिप के रूप में जारी कर चुकी है. इसमें पिछले चार साल से हर साल 2239 करोड़ रुपये जारी किए गए हैंं।
ये स्कॉलरशिप अल्पसंख्यक समुदाय के पहली क्लास से लेकर पीएचडी तक के छात्रों को दिया जाता है. इसके तहत 4000 से लेकर 25000 रुपये तक दिए जाते हैं. जांच में सामने आया कि 1.32 लाख बच्चे बिना हॉस्टल के रह रहे थे, लेकिन वह इसके नाम पर मिलने वाली छात्रवृत्ति ले रहे थे.
अल्पसंख्यक मंत्रालय की जारी की जाने वाली स्कॉलरशिप भले ही केंद्र की ओर से दी जारी होती है, लेकिन उसका भौतिक सत्यापन और प्रक्रिया राज्य सरकार की मशीनरी पर निर्भर करता है. ऐसे में अल्पसंख्यक के जो भी संस्थान हैं वह राज्य के जिला इकाई में अल्पसंख्यक विभाग के दफ्तर में रजिस्टर्ड किए जाते हैं.
बच्चों की स्कॉलरशिप के अकाउंट लोकल बैंकों में खोले जाते हैं. वहीं जबकि संबंधित संस्थान में बच्चे हैं या नहीं. इसके अलावा संस्थान है या नहीं. इसका सत्यापन भी राज्य सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय के विभागीय अधिकारी करते हैं. राज्य सरकार से अनुमोदित लिस्ट केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय को दी जाती है. फिर यहां से स्कॉलरशिप डायरेक्ट बैंक खाते में भेज दी जाती है.
देश में 1,75,000 मदरसे हैं, जिनमें केवल 27000 मदरसे रजिस्टर्ड हैं जो स्कॉलरशिप लेने के लिए पात्र हैं. स्कॉलरशिप माइनोरिटी समुदाय के पहली क्लास से लेकर पीएचडी तक के छात्रों को दिया जाता है.
बाकी बचे माइनोरिटी संस्थानों 1 लाख 79 हजार 500 संस्थाओं की जांच अभी जारी है.