Dev Deepawali 2023:अमृतकाल मे देव दीपावली को लेकर दुल्हन की तरह सजी काशी

Dev Deepawali 2023:अमृतकाल मे देव दीपावली को लेकर दुल्हन की तरह सजी काशी


यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'नमो घाट' पर दीया जलाकर दुनियाभर में विख्यात काशी की देव दीपावली का उद्घाटन किया

इस बार देव दीपावली देखने के लिए 70 देशों के राजदूत और 150 विदेशी डेलीगेट्स बनारस पहुंचे. 

उन सभी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में देव दीपावली देखी.



उत्तर प्रदेश सरकार ने इस कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए 12 लाख दीपों से घाटों को रोशन किया. 

इनमें एक लाख दीप गाय के गोबर के बने हुए थे. साफ-सफाई करके तिरंगा स्पायरल लाइटिंग से शहर व घाट सजाए गए.

देव दीपावली पर 8 से 10 लाख पर्यटकों काशी पहुंचे.


इस बार देव दीपावली पर 70 से ज्यादा देशों के राजदूत और राजनयिक वाराणसी आए. 

इस यात्रा का आयोजन विदेश मंत्रालय ने किया. मेहमानों ने कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मिट्टी के दीये जलाते हुए देखे और ऐतिहासिक शहर वाराणसी में गंगा आरती और देव दीपावली भी देखी.


देव दीपावली पर बाबा विश्वानाथ की नगरी काशी लाखों रोश्नी से जगमगा उठी. नजारा देख ऐसा लगा जैसे धरती पर ही देवलोक हो.


काशी के 84 घाटों पर इस बार 12 लाख दिये जलाए गए. इनमें एक लाख दीप गाय के गोबर के बने हुए थे.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देव दीपावली की कई तस्वीरें ट्वीट कर कहा, 'बाबा विश्वनाथ की पावन धरा काशी में लाखों दीये अपना दिव्य प्रकाश बिखेर रहे हैं.

 देव दीपावली पर यहां के घाटों का यह दृश्य अद्भुत, अलौकिक और अविस्मरणीय है. कई देशों के राजदूत भी इसके साक्षी बने. 

मैं इस पुण्य अवसर पर अपने सभी परिवारजनों के कल्याण की कामना करता हूं. जय बाबा विश्वनाथ!


देव दिवाली से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार एक बार पृथ्वी पर त्रिपुरासुर राक्षस का आतंक फैल गया था. जिससे हर कोई त्राहि त्राहि कर रहा था.

 तब देव गणों ने भगवान शिव से एक राक्षस के संहार का निवेदन किया.


निवेदन को स्वीकार करते हुए शिव शंकर ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध कर दिया. इससे देवता अत्यंत प्रसन्न हुए और शिव का आभार व्यक्त करने के लिए काशी आए थे.


जिस दिन इस अत्याचारी राक्षस का वध हुआ और देवता काशी में उतरे उस दिन कार्तिक मास की पूर्णिमा थी. उस दौरान देवताओं ने काशी में अनेकों दीए जलाकर दिवाली मनाई थी.


यही कारण है कि हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा पर आज भी काशी में दिवाली मनाई जाती है और चूंकि ये दीवाली देवों ने मनाई थी इसीलिए इसे देव दिवाली या देव दीपावली कहा जाता है.

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