मुल्ला मुलायम की सरकार में “राम भक्ति” थी अपराध, सड़कों से उठाकर कर जेलों में ठूंसे रामभक्त, कारसेवक का कराया नरसंहार
मोदी योगी युग मे 500 सालों का सपना हो रहा पूरा
जिस तरह राक्षस राज्य रावण के समय श्रीराम कहना अपराध था ठीक वैसा ही मुलायम की सपा सरकार मे रहा
*2 नवंबर 1990 का दिन एक काले अध्याय के समान है.
इस समय तो योगी जी की सरकार है और सभी जगह माहौल साकारात्मक है। आज 500 साल का राम मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष सफल हो गया। हमलोग बड़े सौभाग्शाली हैं जो अयोध्या में राम मंदिर बनते हुए देख रहे हैं।
अयोध्या में भगवान रामलला का भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है।
आगामी 22 जनवरी को उनके श्री विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा गर्भगृह में होगी।
जिसका उत्सव पूरे देश में मनाया जाएगा।
लेकिन इसके लिए हुए आंदोलन में ना जाने कितने ही कारसेवकों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
रामभक्ति को बनाया जाता था चालान का आधार
कारसेवकों को जेल भेजे जाते समय एक प्रमाण पत्र दिया गया था, जिसमें लिखा था कि उनका अपराध क्या है और किस धारा के तहत उन्हें जेल भेजा जा रहा है। उस प्रमाण पत्र पर साफ तौर पर लिखा था, उनका चालान रामभक्ति के कारण हुआ। जी हां, उनके ऊपर धारा तो 107/116 लगी थी, लेकिन आगे उसमें लिखा है ‘रामभक्त चालानी’।
मुल्ला मुलायम के समय का माहौल ऐसा था कि केसरिया पटका लगाकर कोई व्यक्ति बाहर निकलता था तो गिरफ्तार कर लिया जाता था। तिलक लगाकर निकलता था, तो गिरफ्तार कर लिया जाता था। लोग पुलिस वाले के सामने राम-राम कहने से भी डरते थे। उस समय जेल के बाहर बिल्कुल मुगल काल जैसा माहौल था।
आधुनिक रावण राज्य या मुगल काल कह सकते है ।
6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराए जाने से पहले भी एक घटना हुई, जिसने सभी को हिला दिया था. 2 नवंबर 1990 का दिन एक काले अध्याय के समान है. इसी दिन अयोध्या में कारसेवकों पर पुलिस ने गोलियां बरसाई (Ayodhya Firing Incident) थीं. जिसमें 40 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद का मंजर भी काफी हैरान करने वाला रहा.
उत्तर प्रदेश में तब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे. हिंदू साधु-संतों ने अयोध्या कूच कर रहे थे. उन दिनों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ अयोध्या पहुंचने लगी थी. प्रशासन ने अयोध्या में कर्फ्यू लगा रखा था, इसके चलते श्रद्धालुओं के प्रवेश नहीं दिया जा रहा था. पुलिस ने बाबरी मस्जिद के 1.5 किलोमीटर के दायरे में बैरिकेडिंग कर रखी थी.
कारसेवकों की भीड़ बेकाबू हो गई थी. पहली बार 30 अक्टबूर, 1990 को कारसेवकों पर चली गोलियों में 5 लोगों की मौत हुई थीं. इस घटना के बाद अयोध्या से लेकर देश का माहौल पूरी तरह से गर्म हो गया था. इस गोलीकांड के दो दिनों बाद ही 2 नवंबर को हजारों कारसेवक हनुमान गढ़ी के करीब पहुंच गए, जो बाबरी मस्जिक के बिल्कुल करीब था.
2 नवंबर को सुबह का वक्त था अयोध्या के हनुमान गढ़ी के सामने लाल कोठी के सकरी गली में कारसेवक बढ़े चले आ रहे थे. पुलिस ने सामने से आ रहे कारसेवकों पर फायरिंग कर दी, जिसमें करीब ढेड़ दर्जन लोगों की मौत हो गई. ये सरकारी आंकड़ा है. इस दौरान ही कोलकाता से आए कोठारी बंधुओं की भी मौत हुई थी.
कारसेवकों ने अयोध्या में मारे गए कारसेवकों के शवों के साथ प्रदर्शन भी किया. आखिरकार 4 नवंबर को कारसेवकों का अंतिम संस्कार किया गया और उनके अंतिम संस्कार के बाद उनकी राख को देश के अलग-अलग हिस्सों में ले जा गया था.