सावधान! अब बच्चों ने की ड्राइविंग तो माता-पिता जाएंगे जेल और भरेंगे जुर्माना

सावधान! अब बच्चों ने की ड्राइविंग तो माता-पिता जाएंगे जेल और भरेंगे जुर्माना


सड़क हादसों में जान गंवाने वाले 40 से 45% नाबालिक होते हैं जिनकी उम्र 13 वर्ष से लेकर 18 वर्ष के बीच में होती है


बच्चों की गलती पर माता-पिता को जेल जाना होगा. सुनने में आपको अटपटा लग रहा होगा लेकिन दरअसल हकीकत यह है कि उत्तर प्रदेश में अब 18 साल से कम उम्र के बच्चों के वाहन चलाने पर पूरी तरह से पांबदी लग गई है.

अगर कोई भी माता-पिता 18 वर्ष से कम उम्र के बालक या बालिकाओं को वाहन चलाने के लिए देते हैं तो उन्हें तीन साल की जेल होगी और 25 हजार के जुर्माना से दंडित किया जाएगा.

शासन ने नाबालिग किशोर या किशोरियों पर दो पहिया या फिर चार पहिया वाहन चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है.

आदेश में कहा गया है कि अगर कोई अभिभावक (वाहन मालिक) 18 साल से कम उम्र के बच्चों को वाहन चलाने के लिए देगा तो उसका जिम्मेदार वो खुद होगा. अगर नाबालिग वाहन चलाते हुए पकड़ा गया तो उसके अभिभावक या वाहन मालिक को तीन साल तक की सजा और 25 हजार रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है. साथ ही वाहन का लाइसेंस भी निरस्‍त कर दिया जाएगा.

उत्तर प्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने परिवहन आयुक्त को पत्र लिखकर अवगत कराया था कि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे बिना ड्राइविंग लाइसेंस के दो पहिया और चार पहिया वाहन चला रहे हैं, जिससे लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं.


शासन ने नाबालिग किशोर या किशोरियों पर दो पहिया या फिर चार पहिया वाहन चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. अगर कोई भी माता-पिता 18 वर्ष से कम उम्र के बालक या बालिकाओं को वाहन चलाने के लिए देते हैं तो उन्हें तीन साल की जेल होगी और 25 हजार के जुर्माना से दंडित किया जाएगा.

आपको बता दें कि किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज और लोहिया अस्पताल के विशेषज्ञों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक सड़क हादसों में जान गंवाने वाले 40 से 45% नाबालिक होते हैं जिनकी उम्र 13 वर्ष से लेकर 18 वर्ष के बीच में होती है.

अगर आप यूपी में रहते हैं तो आपके लिए ये खबर और भी मतलब की है....प्यार-दुलार में अपने बच्चों को स्कूटर, मोटरसाइकिल या गाड़ी की चाबी मत दे देना..आपके लिए बहुत भारी पड़ सकता हैै. क्योंकि सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए.योगी सरकार ने नाबालिग वाहन ड्राइवरों के लिए सख्त नियम लागू कर दिया है.

मोटरयान अधिनियम की धारा 180 के तहत नाबालिग बच्चों को वाहन देने वाले अभिभावकों को तीन माह तक की सजा का प्रावधान है। उनका डीएल भी जब्त किया जा सकता है। आईपीसी में 88, 89, 109 सहित कई ऐसी धाराएं हैं, जो अपराध के लिए प्रेरित करने वालों पर लागू होती हैं। नाबालिग को वाहन देना भी जुर्म है, इसलिए अभिभावकों पर इन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की जा सकती है।

राष्ट्रीय राजमार्ग एवं परिवहन मंत्रालय की शोध शाखा की रिपोर्ट के मुताबिक, केवल लखनऊ क्षेत्र में पांच साल के दौरान 7,144 हादसे हुए, जिनमें 3102 मौतें हुईं। राजधानी लखनऊ में इस साल हुए हादसों में 500 मौतें (नवंबर तक) हो चुकी हैं। ज्यादातर हादसे शाम 6 से रात 10 बजे बीच हुए। इसमें मरने वालों में 15 से 25 साल के युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। हादसों की वजह स्टंटबाजी, ओवरस्पीडिंग सामने आई है।

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