हिन्दू शोभायात्रा पर हमला करने वाले 18 मुस्लिम कट्टरपंथियों को जमानत;कहीं ये कोर्ट जिहाद का उदाहरण तो नहीं !
गोधराकांड पर भीड़ का धर्म था लेकिन यहा भीड़ का कोई धर्म नहीं है!
खबर आपको चौंकन्ना करने वाली है !
कहीं ये कोर्ट जिहाद का उदाहरण तो नहीं !
ये जस्टिस फरजंद अली हैं, राजस्थान हाई कोर्ट में जज हैं।
इन्होंने हिन्दू शोभायात्रा पर हमला करने वाले 18 मुस्लिम कट्टरपंथियों को जमानत दे दी।
इन्होंने कहा, "भीड़ का कोई धर्म नहीं होता, इसलिए सभी को जमानत दी जाती है।"
19 मार्च को चित्तौड़गढ़ में हिन्दू शोभायात्रा पर कट्टरपंथी मुसलमानों की भीड़ ने हमला किया था जिसमें एक व्यक्ति की मृत्यु हुई थी।
इनको कोई बताए, भीड़ का धर्म होता है, मुहर्रम के जलूसों में और राम शोभा यात्रा में जो भीड़ उमड़ती है उसका धर्म होता है.
हमारा ऐसा मानना है कि ऐसी व्यवस्था बना दी जाए की जब भी दो धर्मो के बीच का विवाद हो तो दो जज हो दोनो धर्मो से फेसला अगर उचित भी ना होगा तो स्वीकारने में थोड़ी तो आसानी होगी।
ऐसे फैसले देने से पहले जज साहब को एक बार हुई सारी घटनाओं का विश्लेषण कर लेना चाहिए था कि पूरे देश में हिंदुओं की शोभायात्रा और मुसलमानों के जुलूस में सबसे ज्यादा हमला किसने किया है।
अगर कोई भीड़ जज साहब पर हमला कर दे तो भी जज साहब ऐसा ही बोलेंगे??
कहना सही है कि भीड़ का कोई धर्म नही होता!!
...पर उनसे पूछना है कि जब सभी हमलावर एक ही धर्म से ताल्लुक रखतें हो तब वैसा कैसे कहा जा सकता है..?
...वो भी तो "खास धर्मावलंबियों" की भीड़ ही तो थी जिसने कश्मीरी पंडितो को उनके ही घर से बेघर किया था,तो क्या उस भीड़ का धर्म नही था..?