भगवान श्रीपरशुराम की जयंती आज, जानिए उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

भगवान श्रीपरशुराम की जयंती आज, जानिए उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें


भगवान परशुराम भगवान शिव और भगवान विष्णु के संयुक्त अवतार माने जाते हैं। शास्त्रों में उन्हें अमर माना गया है


भगवान परशुराम भार्गव वंश में जन्मे भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं, उनका जन्म त्रेतायुग में हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन जन्म लेने के कारण ही भगवान परशुराम की शक्ति भी अक्षय थी।

हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को परशुराम जयंती मनाई जाती है। इसी दिन अक्षय तृतीया का भी त्योहार मनाया जाता है। 

शास्त्रों के अनुसार, वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया को जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी, परशुराम के रूप में पृथ्वी लोक पर अवतरित हुए थे। इस कारण से इस तिथि पर परशुराम जयंती मनाई जाती है।

भगवान परशुराम भगवान शिव और भगवान विष्णु के संयुक्त अवतार माने जाते हैं। शास्त्रों में उन्हें अमर माना गया है। 

दरअसल भगवान परशुराम श्री हरि यानि विष्णु ही नहीं बल्कि भगवान शिव और विष्णु के संयुक्त अवतार माने जाते हैं। शिवजी  से उन्होंने संहार लिया और विष्णुजी से उन्होंने पालक के गुण प्राप्त किए।

 भगवान शिव से उन्हें कई अद्वितीय शस्त्र भी प्राप्त हुए इन्हीं में से एक था भगवान शिव का परशु जिसे फरसा या कुल्हाड़ी भी कहते हैं। यह इन्हें बहुत प्रिय था व इसे हमेशा साथ रखते थे। परशु धारण करने के कारण ही इन्हें परशुराम कहा गया।


*अवतरण कथा*

सनातन शास्त्र के अनुसार, चिरकाल में महिष्मती नगर में क्षत्रिय नरेश सहस्त्रबाहु का शासन था। राजा सहस्त्रबाहु क्रूर और निर्दयी था। उसके अत्याचार से प्रजा में त्राहिमाम मच गया। लोग अपने राजा से निराश और हताश थे। उस समय माता पृथ्वी, जगत के पालनहार भगवान विष्णु के पास गईं। 

माता पृथ्वी के आने का औचित्य श्रीहरि को पूर्व से ज्ञात था। इसके लिए माता पृथ्वी को आश्वासन दिया कि आने वाले समय में सहस्त्रबाहु के अत्याचार का अंत अवश्य होगा। 

जब-जब किसी अधर्मी द्वारा धर्म पतन करने की कोशिश की जाती है। उस समय धर्म स्थापना के लिए मैं जरूर अवतरित होता हूं।

 आगे उन्होंने कहा -हे देवी! मैं महर्षि जमदग्नि के घर पुत्र रूप में अवतार लेकर सहस्त्रबाहु का वध करूंगा। आगे चलकर वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया को जगत के पालनहार विष्णु जी, परशुराम रूप में अवतरित हुए। 

कालांतर में परशुराम भगवान ने क्षत्रिय नरेश सहस्त्रबाहु का वध कर पृथ्वी वासियों को सहस्त्रबाहु के अत्याचार, भय और आतंक से मुक्त किया। उस समय भगवान परशुराम के क्रोध को महर्षि ऋचीक ने शांत किया था।


परशुराम जयंती पर जगह-जगह उनके नाम पर भजन, कीर्तन और पाठ का आयोजन भी किया जाता है।

आप नीचे लिखे मंत्र को पढ़कर भगवान परशुराम का जाप कर सकते हैं।

ॐ जमदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।

ॐ परशुरामाय नमः

ॐ क्लिं परशुरामाय नमः

ॐ ह्रीं श्रीं परशुराम धरणेन्द्राय नमः

ॐ ऋणहर्ता परशुरामाय नमः


धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान परशुराम की पूजा उपासना करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है।

 मान्यता है कि परशुराम जयंती के दिन व्रत रखने के साथ विधिवत तरीके से पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 वहीं निसंतान लोग इस व्रत को रखें तो जल्द ही योग्य संतान की प्राप्ति होती है। भगवान परशुराम की पूजा करने से विष्णु भगवान की भी कृपा जातक के ऊपर बनी रहती है।

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