शिवभक्त मोदी! प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi)भारतीय संस्‍कृति की ग्‍लोबल ब्रांडिंग(Global Branding) कर रहे हैं

 शिवभक्त मोदी! प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi)भारतीय संस्‍कृति की ग्‍लोबल ब्रांडिंग(Global Branding) कर रहे हैं


उज्जैन, काशी से लेकर केदारनाथ तक मंदिर अब नए भारत की पहचान से जुड़ गए हैं


मंदिरों के जरिये पीएम मोदी युवाओं को अपनी सांस्‍कृतिक विरासत से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं


माथे पर चंदन का तिलक। हाथों में रुद्राक्ष की माला। पूरे मन से पूजा-अर्चना में तल्‍लीन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को आपने इस तरह कई बार देखा होगा। शिव में उनकी गहरी आस्‍था है। 

वह जब तब बाबा के दरबार में दिखते हैं। काशी विश्‍वनाथ, महाकाल से लेकर बैद्यनाथ धाम और केदारनाथ तक वह भोले का बार-बार आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं। अपने कार्यकाल में उन्‍होंने मंदिरों की शोभा बढ़ाने में पूरी ताकत झोंक दी। 

काशी विश्‍वनाथ और उज्‍जैन का महाकाल लोक कॉरिडोर (Mahakal Lok Project) इसका उदाहरण हैं।


उन्‍होंने साफ मैसेज दे दिया है कि नए भारत की नींव उसकी अपनी सांस्‍कृति धरोहरों पर पड़ेगी। इसके केंद्र में मंदिर हैं।


मोदी की पॉलिसी पिछली सरकारों से बिल्‍कुल अलग

मंदिरों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की पॉलिसी पिछली सरकारों से बिल्‍कुल अलग है। पिछली सरकारें मंदिर प्रोजेक्‍टों को लेकर अलग रही हैं।

 यह विचार देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से नीचे आया। 1951 में नेहरू ने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण में सरकार की सीधी भूमिका का विरोध किया था। वहीं, मोदी ने कई मंदिर प्रोजेक्‍टों को अपनी पॉलिसी के केंद्र में रखा। 

मसलन, काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर का 2021 में शुभारंभ किया। अगस्‍त 2020 में अयोध्‍या में रामजन्‍मभूमि का भूमि-पूजन किया।


मोदी की स्‍ट्रैटेजी थोड़ी अलग है। वह मंदिरों के जरिये पर्यटन को बढ़ावा देना चाहते हैं। इसके लिए नए ट्रासंपोर्ट लिंक बनाए जा रहे हैं।


नई स्‍वदेश दर्शन स्‍कीम के तहत 15 थीम आधारित सर्किट बनाए जा रहे हैं। इसमें रामायण सर्किट और बौद्ध सर्किट शामिल हैं। उदाहरण के लिए आईआरसीटीसी ने श्री रामायण एक्‍सप्रेस को लॉन्‍च किया है।


प्रधानमंत्री मोदी भारतीय संस्‍कृति की ग्‍लोबल ब्रांडिंग कर रहे हैं। उज्‍जैन, काशी और बैद्यनाथ धाम में जब वह भोले का जयघोष करते हैं तो हिंदुओं की आस्‍था को सीधा छू लेते हैं।

 देश में भगवान भोले के अनगिनत भक्‍त पीएम मोदी को अपने से जुड़ा हुआ देखने लगते हैं। वे पीएम की आस्‍था में अपनी आस्‍था को मिला हुआ पाते हैं। 

प्रधानमंत्री मोदी ने शिव और मंदिरों को केंद्र में लाकर हर समीकरण को ध्‍वस्‍त कर दिया है।

उज्जैन, काशी से लेकर केदारनाथ तक मंदिर अब नए भारत की पहचान से जुड़ गए हैं। मंदिरों के जरिये पीएम मोदी युवाओं को अपनी सांस्‍कृतिक विरासत से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

 उन्‍हें पता है कि इसके लिए ऐसे बदलाव करने होंगे जो युवाओं को पसंद हों। मंदिर की आभा को बढ़ाना और उन्‍हें नया कलेवर देना इसका हिस्‍सा है। 

शिव और मंदिरों के मार्फत मोदी ने वो कदम बढ़ाया है जिसके पीछे आने के लिए विपक्ष के दूसरे दल भी मजबूर हैं। आज देश में इस तरह का माहौल बन चुका है कि हर नेता चुनाव से पहले मंदिरों में भोले के दर पर आशीर्वाद लेता हुआ दिखता है।

 इस ट्रेंड की अगर किसी ने सबसे मुखरता से अगुवाई की है तो वो पीएम मोदी ही हैं।


काशी से चुने जाने के बाद तो वे शिव के लगभग सभी धामों में अर्चना कर चुके हैं. पशुपति नाथ से लेकर केदारनाथ तक.


भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में 11वें केदारनाथ धाम के प्रति मोदी का पहले से ही लगाव है. कहा जाता हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से पहले मोदी ने हिमालय के इस क्षेत्र गरुड़चट्टी की एक गुफा में रहकर साधना की. गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से पहले भी मोदी केदारनाथ की यात्रा कर चुके हैं.


प्रधानमंत्री मोदी का शिव से लगाव काफी पुराना है. जब पीएम मोदी युवा थे तो उन्होंने घर को त्याग दिया. करीब तीन साल तक नरेंद्र मोदी हिमालय की पहाड़ियों में रहे.


महाकाल का बुलावा आया तो ये बेटा बिना आए कैसे रह सकता है...' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण के मौके पर कुछ ऐसे ही शब्दों का इस्तेमाल किया और खुद को एक बार फिर महाकाल का बेटा बताया. 

ऐसा पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी का शिव और शक्ति को लेकर समर्पण देखने को मिला हो.


उनका और शिव का एक अलग ही रिश्ता नजर आता है. मोदी जब भी केदारनाथ या भोले के किसी धाम पर गए, उन्होंने यहां अपना पूरा वक्त बिताया और साधना भी की. कहा जाता है कि मोदी की इसी साधना के चलते उनके हर भाषण में आध्यात्म जरूर दिखाई देता है.

 मोदी के इसी अंदाज ने उन्हें एक बड़े आध्यात्मिक और हिंदुत्ववादी नेता के तौर पर पहचान दी है. 


प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद पीएम मोदी और उनके शिव मंदिरों में जाने का दौर चलता रहा. इसी बीच तमाम लोगों का ध्यान पीएम मोदी ने तब खींचा जब वो 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों से ठीक पहले केदारनाथ गए. केदारनाथ में मोदी ने शिव की आराधना की और इसके बाद वो कई घंटों तक रुद्र गुफा में रहे. 

यहां पीएम मोदी ने भगवा वस्त्र धारण कर ध्यान लगाया. करीब 17 घंटे तक गुफा में ध्यान के बाद पीएम मोदी वापस लौटे थे. 


साल 2014 में बीजेपी की तरफ से गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया. 

पर्चा भरने से पहले मोदी वाराणसी पहुंचे. जहां उन्होंने अपनी भक्ति को जगजाहिर करने का काम किया. उन्होंने कहा कि,  "मुझे बीजेपी ने वाराणसी नहीं भेजा है. ना मैं खुद आया हूं. मुझे तो 'गंगा मां' ने बुलाया है. 

जैसे एक बालक अपनी मां की गोद में वापस आता है, वैसे ही मैं महसूस कर रहा हूं." पीएम मोदी ये खुद बता चुके हैं कि, मैं जिस गांव में जन्मा... वडनगर, वो भी शिव का बहुत बड़ा तीर्थ है. वाराणसी को लेकर उन्होंने कहा कि, ये भोलेबाबा की धरती है.

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