"PM विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना" से जुड़कर अपने हुनर को ब्रांड बनाए

 "PM विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना" से जुड़कर अपने हुनर को ब्रांड बनाए


 इसके तहत भारत सरकार सस्ती ब्याज दरों पर कई प्रकार के कारीगरों को 3 लाख रुपये तक का बिना गारंटी का लोन उपलब्ध करवाती है। 

इस योजना के लिए सरकार ने 13,000 करोड़ रुपये का बजट बनाया है।


जहां राज्य की योजनाओं का लाभ सिर्फ प्रदेश की जनता तक सीमित होता है, तो वहीं केंद्र की योजना का लाभ पूरे देश के लोगों को मिलता है। 

इसी क्रम में केंद्र सरकार ने 17 सितंबर 2023 को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना को लॉन्च किया।


इस योजना का मकसद 18 पारंपरिक व्यापारों और इनमें काम करने वाले लोगों की आर्थिक मदद करना और उन्हें सक्षम बनाना है। 

अगर आप भी इस योजना से जुड़ते हैं, तो आपको कई तरह के लाभ मिल सकते हैं जिनके बारे में आप आगे जान सकते हैं।


बिना सिक्योरिटी और सस्ती ब्याज दर पर पहले एक लाख रुपये और फिर इसे चुकाने के बाद अतिरिक्त 2 लाख रुपये के लोन की व्यवस्था भी इस योजना के अंतर्गत है।


लाभार्थी टूलकिट खरीद सके, जिसके लिए 15 हजार रुपये दिए जाते हैं

अगर आप पीएम विश्वकर्मा योजना से जुड़ते हैं, तो आपको कुछ दिनों का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके लिए लाभार्थी को रोजाना 500 रुपये का स्टाइपैंड देने का प्रावधान है।


मोची/जूता बनाने वाले कारीगर, गुड़िया और खिलौना निर्माता, नाव निर्माता, राजमिस्त्री, नाई, मालाकार, धोबी...

फिशिंग नेट निर्माता और टोकरी/चटाई/झाड़ू बनाने वाले लोग, पत्थर तराशने वाले, लोहार, सुनार, पत्थर तोड़ने वाले, हथौड़ा और टूलकिट निर्माता, ताला बनाने वाले, अस्त्रकार और मूर्तिकार पात्र हैं और ये लोग इस योजना से जुड़ सकते हैं।

इसमे साथ ही इसमें इसेंटिव की भी सुविधा है।

पीएम विश्वकर्मा योजना की जब घोषणा हुई थी, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इस योजना का उद्देश्य न केवल इन कारीगरों और शिल्पकारों की समृद्ध परंपरा को संरक्षित करना है बल्कि और इसे विकसित करना भी है।

इसके तहत भारत सरकार सस्ती ब्याज दरों पर कई प्रकार के कारीगरों को लोन अथवा ऋण उपलब्ध करवाती है। दरअसल, पारंपरिक काम करने वाले कारीगरों को अभी तक बैंक या वित्तीय संस्थानों से लोन नहीं मिल पाता है। इन्हें ही बढ़ावा देने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई है।

पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता, पैमाने और पहुंच में सुधार करना है। उन्हें इस क्षेत्र में चल रही नई तकनीक या मशीनों से परिचित करना है।

सरकार का कहना है कि विश्वकर्मा स्कीम का फायदा देश भर में 30 लाख पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के साथ बुनकरों, सुनारों, लोहारों, कुम्हार, दर्जी, मूर्तिकार, कपड़े धोने वाले, माला बनाने वाले, चिनाई करने वाले और अन्य भी कई प्रकार के श्रमिकों को होगा।


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