कांग्रेस सरकार के समय 1991 मे गिरवी रखा सोना, मोदी सरकार मे आया वापस;देश बेच कौन रहा था ?

कांग्रेस सरकार के समय 1991 मे गिरवी रखा सोना, मोदी सरकार मे आया वापस;देश बेच कौन रहा था ?


*देश के लिए गर्व करने वाली खबर !


मोदी सरकार के नेतृत्व मे RBI की बड़ी कामयाबी !


मोदी सरकार मे ब्रिटेन से वापस लाया गया 100 टन सोना।


1991 में कांग्रेस सरकार मे इस सोने को ब्रिटेन के पास गिरवी रख दिया गया था।


कुछ महीनों बाद 100 टन और सोना भारत वापस लाया जाएगा।


RBI के पास 822.1 टन सोना है जिसमें से 413.8 टन सोना विदेशों में है।


भारत में RBI अपना सोना मुंबई के मिंट रोड स्थित RBI की पुरानी बिल्डिंग के साथ-साथ नागपुर में रखता है।


भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ब्रिटेन से 100 टन से ज्‍यादा सोना देश में वापस मंगाया है.


 और इसे अपने भंडार में ट्रांसफर किया है.सूत्रो के अनुसार आने वाले महीने में फिर से इतनी ही मात्रा में येलो मेटल को देश में लाया जा सकता है.


 साल 1991 में गिरवी रखे इस सोने को पहली बार आरबीआई के स्‍टॉक में शामिल किया गया है. 


साल 1991 में चंद्रशेखर सरकार ने भुगतान संतुलन संकट से निपटने के लिए गोल्‍ड को गिरवी रख दिया था. 4 से 18 जुलाई 1991 के बीच आरबीआई ने 400 मिलियन डॉलर जुटाने के लिए बैंक ऑफ इंग्‍लैंड और बैंक ऑफ जापान के पास 46.91 टन सोना गिरवी रखा था. 


आरबीआई ने दिसंबर 2017 से नियमित रूप से बाजार से सोना जमा करना शुरू कर दिया है. देश के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी दिसंबर 2023 के अंत में 7.75 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल 2024 के अंत तक लगभग 8.7 प्रतिशत लाने का लक्ष्य था. 


वर्ल्‍ड गोल्‍ड कॉउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक केंद्रीय बैंकों के पास अबतक खनन किए गए सभी सोने का लगभग 17 प्रतिशत हिस्‍सा है और साल 2023 के अंत तक भंडार  36,699 मीट्रिक टन (MT) से अधिक रहा होगा.


केंद्रीय बैंक द्वारा स्‍टॉक में सोना रखने का उद्देश्य मुख्य रूप से महंगाई दर और विदेशी मुद्रा जोखिमों के खिलाफ सुरक्षा के रूप में अपने विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों के आधार में विविधता लाना है.


भारत ने कब रखा था सोना गिरवी?

साल 1991 में देश के पास इम्पोर्ट करने के लिए विदेशी करेंसी नहीं बची थी. तब भारत ने अपना 67 टन सोना गिरवी रखकर 2.2 अरब डॉलर का कर्ज लिया था. पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने अपनी बुक में बताया है कि सरकार ने सोना गिरवी रखने का फैसला लिया था, मुंबई एयरपोर्ट पर एक चार्टर प्लेन खड़ा था. इस प्लेन में यह सोना रखवाया गया, सोने को लेकर प्लेन इंग्लैंड गया. तब भारत को कर्ज मिला. उसके बाद भारत ने गिरवी रखे सोने को छुड़वाया, उसके बाद धीरे-धीरे देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ता गया.

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